4 Methods of Seed Treatment: मॉनसून की बारिश शुरू होते ही खरीफ फसलों की बुवाई का समय आ जाता है। देश के तमाम किसान भाई धान, मक्का, और दूसरी फसलों की बुवाई में जुट गए हैं। लेकिन बुवाई से पहले एक छोटा सा काम आपकी फसल को बचा सकता है और मुनाफा बढ़ा सकता है वो है बीज उपचार। बिहार कृषि विभाग ने किसानों के लिए एक खास एडवाइजरी जारी की है, जिसमें बताया गया है कि बीजों का सही उपचार कैसे करें। ये छोटा सा कदम आपकी फसल को बीमारियों और कीटों से बचाता है और पैदावार बढ़ाता है। आइए, जानते हैं कि बीज उपचार कैसे करें और इसके फायदे क्या हैं।
बीज उपचार क्यों जरूरी है?
खेती में बीज किसी फसल का आधार होता है। अगर बीज स्वस्थ और मजबूत होगा, तो फसल भी अच्छी होगी। लेकिन बीजों में कई बार अंदर या बाहर कीट और रोग छिपे होते हैं। मिट्टी में भी रोग पैदा करने वाले कीट और फफूंद हो सकते हैं। हवा के जरिए भी कुछ बीमारियाँ पौधों तक पहुंचती हैं। अगर आप बुवाई से पहले बीजों का उपचार कर लें, तो पौधे इन रोगों से बचे रहते हैं।
बिहार कृषि विभाग का कहना है कि 1 रुपये का बीज उपचार करने से फसल की सुरक्षा में 10 रुपये तक की बचत हो सकती है। यानी, ये छोटा खर्चा आपकी फसल को बर्बाद होने से बचाता है और जेब में ज्यादा पैसा लाता है।
1. सीड ड्रम विधि से बीज उपचार
बीज उपचार का एक आसान तरीका है सीड ड्रम विधि। इसके लिए आपको एक ड्रम चाहिए, जिसमें बीज डालकर उसमें सही मात्रा में दवा मिलानी है। ड्रम में एक हैंडल होता है, जिसे घुमाकर बीज और दवा को अच्छे से मिला लें। इसे इतना घुमाएं कि हर बीज पर दवा की पतली परत चढ़ जाए। ये तरीका बड़े खेतों के लिए बहुत अच्छा है, क्योंकि इसमें ढेर सारे बीज एक साथ उपचारित हो जाते हैं। बस दवा की मात्रा सही रखें, ताकि बीज खराब न हों।
ये भी पढ़ें- CO₂ बढ़ने से काले हो रहे आम? 4 ग्राम बोरिक एसिड से करें तुरंत इलाज!
2. घड़ा विधि से बीज उपचार
अगर आपके पास ड्रम नहीं है, तो घड़ा विधि आजमाएं। इसमें एक मिट्टी या प्लास्टिक का घड़ा लें और उसमें थोड़ा-थोड़ा बीज डालें। साथ में सही मात्रा में दवा डालते जाएं। घड़े को दो-तिहाई भरने के बाद उसका मुँह बंद करें और अच्छे से हिलाएं। हिलाने से बीज और दवा अच्छे से मिल जाएंगे, और हर बीज पर दवा की परत चढ़ जाएगी। ये तरीका छोटे किसानों के लिए बहुत आसान है, क्योंकि घड़ा हर गाँव में आसानी से मिल जाता है।
3. स्लरी विधि से बीज उपचार
स्लरी विधि भी बीज उपचार का एक बढ़िया तरीका है। इसमें आपको दवा का गाढ़ा घोल बनाना है। इस घोल को बीज के ढेर पर डालें और दस्ताने पहनकर अच्छे से मिला लें। ध्यान रखें कि हर बीज पर दवा की पतली परत चढ़ जाए। ये तरीका तब अच्छा है, जब आपके पास कम बीज हों और आप हर बीज को ध्यान से उपचारित करना चाहते हों। इस विधि में मेहनत थोड़ी ज्यादा है, लेकिन बीज की सुरक्षा पक्की हो जाती है।
ये भी पढ़ें- गाजर घास से हैं परेशान? अपनाएं ये देसी उपाय, खेत हो जाएंगे हमेशा के लिए साफ
4. घोल विधि से बीज उपचार
घोल विधि उन किसानों के लिए है, जो बीज को और गहराई से उपचारित करना चाहते हैं। इसमें दवा को पानी में मिलाकर एक घोल बनाएं। फिर इस घोल में बीज को कुछ देर के लिए डुबोकर रखें। ऐसा करने से दवा बीज के अंदर तक पहुंचती है और रोगों से बचाव और बेहतर होता है। डुबोने के बाद बीज को निकालकर छाया में सुखा लें। ये तरीका उन फसलों के लिए अच्छा है, जो कीटों और फफूंद से ज्यादा प्रभावित होती हैं।
अच्छे बीज कैसे चुनें?
बीज उपचार से पहले अच्छे बीज चुनना भी जरूरी है। इसके लिए 10% नमक का घोल बनाएं और उसमें बीज डालें। जो बीज तैरने लगें, उन्हें निकाल दें, क्योंकि ये खराब होते हैं। जो बीज नीचे बैठ जाएं, उन्हें साफ पानी से दो-तीन बार धोकर छाया में सुखा लें। ये बीज स्वस्थ और बुवाई के लिए तैयार होंगे। इस आसान तरीके से आप अपनी फसल की क्वालिटी को और बेहतर बना सकते हैं।
ये भी पढ़ें- धान के खेत से जड़ से खत्म होंगे खरपतवार, बस 200 ML इस दवा का करें छिड़काव
बीज उपचार के लिए सही दवाएं
बिहार कृषि विभाग ने कुछ खास दवाओं की सलाह दी है। आप जैव कीटनाशी जैसे ट्राइकोडर्मा विरीडी या स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस का इस्तेमाल कर सकते हैं। इनकी 5 ग्राम या 5 मिलीलीटर मात्रा प्रति किलोग्राम बीज के लिए काफी है। अगर रासायनिक दवा चाहिए, तो कार्बेन्डाजिम 50% या थीरम 75% की 2 ग्राम मात्रा प्रति किलोग्राम बीज के लिए डालें। मिट्टी के कीटों से बचाव के लिए क्लोरपायरीफास 20% ई.सी. की 6 मिलीलीटर मात्रा प्रति किलोग्राम बीज के लिए इस्तेमाल करें। ध्यान रखें, पहले फफूंदनाशी से उपचार करें, फिर कीटनाशक से। इससे बीज को दोहरी सुरक्षा मिलेगी।
खरीफ की बुवाई का समय किसानों के लिए सुनहरा मौका है। लेकिन बिना बीज उपचार के बुवाई करना जोखिम भरा हो सकता है। बीज उपचार एक छोटा सा कदम है, जो आपकी फसल को रोगों और कीटों से बचाता है और पैदावार बढ़ाता है। बिहार कृषि विभाग की सलाह मानें, सही दवाओं और आसान तरीकों से बीज उपचार करें। चाहे ड्रम विधि हो, घड़ा विधि, स्लरी, या घोल विधि, बस सही मात्रा में दवा डालें और बुवाई शुरू करें। अगर आपने बीज उपचार करके अच्छी फसल पाई हो, तो अपने गाँव के दूसरे किसान भाइयों को भी जरूर बताएं। साथ मिलकर हम अपनी खेती को और बेहतर बना सकते हैं।
ये भी पढ़ें- बासमती धान की बेस्ट किस्म अब ऑनलाइन उपलब्ध, सरकार बेच रही कम रेट में