झारखंड के गुमला जिले में किसानों के लिए एक अच्छी खबर है। इस बार खरीफ सीजन में सरकार की तरफ से ऊँची क्वालिटी वाले दालों के बीज दिए जाएंगे। गाँव के किसान भाइयों को अरहर और उड़द की नई किस्मों के बीज मिलेंगे, जिससे उनकी फसल अच्छी होगी और कमाई भी बढ़ेगी। यह योजना कृषि विभाग ने बनाई है ताकि देश में दालों का उत्पादन बढ़े और हमें विदेशों से दालें मंगाने की जरूरत कम पड़े। इससे न सिर्फ पैसों की बचत होगी, बल्कि हमारे देश को दालों के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में भी मदद मिलेगी।
दालों की खेती से मिट्टी को भी फायदा
दालों की खेती सिर्फ कमाई का जरिया ही नहीं है, बल्कि यह हमारी मिट्टी को भी ताकत देती है। दालों की फसलें मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाती हैं, जिससे खेत की उर्वरक शक्ति बढ़ती है। जब मिट्टी ज्यादा उपजाऊ होगी तो आपको रासायनिक खादों की जरूरत भी कम पड़ेगी। यानी, कम खर्च में ज्यादा फायदा। गुमला के किसान इस मौके का फायदा उठाकर अपने खेतों को और बेहतर बना सकते हैं।
कौन-कौन से बीज मिलेंगे?
कृषि विभाग ने इस मॉनसून सीजन में गुमला में दालों की दो खास किस्मों को उगाने का प्लान बनाया है। पहली है पंत अरहर-6, जिसे 500 हेक्टेयर जमीन पर लगाया जाएगा। दूसरी है कोटा उड़द-6, जिसके लिए 760 हेक्टेयर जमीन चुनी गई है। इन दोनों किस्मों की खास बात यह है कि ये पुरानी किस्मों से ज्यादा फसल देती हैं। जिला कृषि विभाग के तकनीकी सलाहकार अजीत भाई ने बताया कि अरहर के 4 किलो वजन वाले 2,500 मिनी किट और उड़द के 3,800 मिनी किट किसानों को बांटे जाएंगे। इन बीजों को एक बार लगाने के बाद अगले तीन साल तक आप इन्हें बीज के तौर पर दोबारा इस्तेमाल कर सकते हैं।
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क्यों चुना गया गुमला?
झारखंड के कई इलाकों, खासकर पठारी क्षेत्रों में, खेती करना आसान नहीं है। पानी की कमी और मुश्किल हालात किसानों के लिए परेशानी बनते हैं। लेकिन दालों की खेती के लिए गुमला एकदम सही जगह है। क्यों? क्योंकि अरहर और उड़द जैसी फसलें कम पानी में भी अच्छी तरह उग जाती हैं। इन फसलों को ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती। गुमला जिले में कुल 2.43 लाख हेक्टेयर जमीन खेती के लिए है, जिसमें से करीब 30,000 हेक्टेयर पर दालों की खेती हो रही है। अब इन नई किस्मों के बीजों से किसान और ज्यादा फायदा उठा सकते हैं।
कृषि विभाग का और क्या प्लान है?
दालों के साथ-साथ कृषि विभाग ने गुमला में 1,360 हेक्टेयर जमीन पर वीएल 379 किस्म की रागी (फिंगर मिलेट) उगाने का भी प्लान बनाया है। रागी भी ऐसी फसल है जो कम पानी में उग जाती है और पोषण से भरपूर होती है। जिला कृषि अधिकारी विजय कुजूर ने बताया कि ये नई किस्में न सिर्फ ज्यादा फसल देंगी, बल्कि पुरानी कम उपज वाली किस्मों को भी धीरे-धीरे हटा देंगी। इससे किसानों को लंबे समय तक फायदा होगा।
गुमला के किसान भाइयों के लिए यह एक बड़ा मौका है। इन नए बीजों को अपनाकर आप न सिर्फ अपनी फसल बढ़ा सकते हैं, बल्कि खेती के खर्च को भी कम कर सकते हैं। दालों की खेती से मिट्टी की सेहत सुधरेगी, और कम पानी में भी अच्छी फसल मिलेगी। तो देर किस बात की? अपने नजदीकी कृषि केंद्र से संपर्क करें, इन बीजों को लो, और अपनी खेती को नई ऊँचाइयों तक ले जायें।
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