लहसुन रबी मौसम की नकदी फसल है जो छोटे-बड़े हर किसान को अच्छी कमाई देती है। कृषि विज्ञान केंद्रों और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों की ताजा सिफारशों के अनुसार कुछ नई और पुरानी किस्में ऐसी हैं जो कम दिनों में तैयार हो जाती हैं, रोग कम लगते हैं और बाजार में वजनदार कंदों की वजह से बेहतर दाम मिलते हैं। 2025 के रबी सीजन में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और पंजाब में ये किस्में किसानों की पहली पसंद बन रही हैं। एक हेक्टेयर से 100 से 150 क्विंटल तक सूखा लहसुन आसानी से मिल जाता है और कीमत 8000 से 15000 रुपये प्रति क्विंटल तक चल रही है।
यमुना सफेद मुनाफे की पहली पसंद
लहसुन की कई प्रजातियाँ होती हैं, लेकिन यमुना सफेद आजकल किसानों के बीच बहुत लोकप्रिय है। यह प्रजाति न सिर्फ़ अच्छी पैदावार देती है, बल्कि बाज़ार में इसकी माँग भी ज़्यादा रहती है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह 140 से 160 दिन में पककर तैयार हो जाती है। एक हेक्टेयर में यह 15 से 20 टन तक लहसुन दे सकती है, जो किसानों के लिए किसी खजाने से कम नहीं। इतना ही नहीं, यह प्रजाति बैंगनी धब्बा और झुलसा जैसे रोगों से भी कम प्रभावित होती है, यानी आपकी फसल को नुकसान का डर कम रहता है। अगर आप अपने गाँव में लहसुन बेचने का सोच रहे हैं या शहर के बाज़ारों तक पहुँचाना चाहते हैं, तो यमुना सफेद आपके लिए सही विकल्प है।
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एग्रीफाउंड पार्वती-2
महाराष्ट्र की यह किस्म 110-120 दिन में तैयार हो जाती है। कंद मध्यम आकार के, सफेद और चटपटे स्वाद वाले होते हैं। प्रति हेक्टेयर 120-140 क्विंटल तक उत्पादन देती है। थ्रिप्स और पर्पल ब्लॉच रोग कम लगते हैं। गर्म और सूखी जलवायु में भी अच्छा परिणाम देती है। छोटे किसानों के लिए बढ़िया विकल्प है क्योंकि बीज कम लगता है और बाजार में आसानी से बिक जाता है।
जी-282
यह किस्म डायरेक्टरेट ऑफ ओनियन एंड गार्लिक रिसर्च पुणे की है। कंद बहुत बड़े, एक कंद का वजन 50-70 ग्राम तक होता है। कलियां 15-20 तक मध्यम आकार की। बुवाई के 130-140 दिन में तैयार। उत्पादन 130-150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक। भंडारण में 8-10 महीने तक खराब नहीं होता। निर्यात के लिए भी उपयुक्त है क्योंकि कंद चमकदार और आकर्षक होते हैं।
भिमा पर्पल
महाराष्ट्र की यह बैंगनी लहसुन किस्म बाजार में अलग पहचान बनाती है। कंद बैंगनी-सफेद, स्वाद तीखा और खुशबूदार। 120-130 दिन में तैयार। उत्पादन 120-140 क्विंटल प्रति हेक्टेयर। थ्रिप्स और फ्यूजेरियम रोग के प्रति उच्च प्रतिरोधक। होटल और प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में इसकी डिमांड ज्यादा रहती है। कीमत भी सामान्य सफेद लहसुन से 20-30 प्रतिशत अधिक मिलती है।
एग्रीफाउंड पार्वती
यह किस्म छोटे लेकिन बहुत सारी कलियों वाली होती है। प्रति कंद 40-50 कलियां तक। उत्पादन 110-130 क्विंटल प्रति हेक्टेयर। बुवाई के 110-120 दिन में तैयार। रोग कम लगते हैं और पानी की कम जरूरत पड़ती है। मध्य प्रदेश और राजस्थान के किसान इसे पसंद करते हैं क्योंकि मशीन से छंटाई आसान हो जाती है।
खेत को ऐसे करें तैयार
लहसुन की अच्छी फसल के लिए खेत की तैयारी बहुत ज़रूरी है। सबसे पहले अपने खेत को अच्छे से जोत लें। तीन से चार बार जुताई करें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। मिट्टी जितनी मुलायम होगी, लहसुन की जड़ें उतनी अच्छी तरह फैलेंगी और पोटियाँ बड़ी-बड़ी बनेंगी। जुताई के बाद खेत में देसी खाद डालें। गाय या भैंस का सड़ा हुआ गोबर इस काम के लिए सबसे अच्छा है। इसे मिट्टी में अच्छे से मिला लें। अगर मिट्टी में नमी कम हो, तो बुवाई से पहले हल्की सिंचाई कर लें। इससे खेत में नमी बनी रहेगी और लहसुन की जड़ें मज़बूत होंगी। ध्यान रहे, खेत में पानी का ठहराव न हो, वरना लहसुन की फसल खराब हो सकती है।
बुवाई का सही तरीका
लहसुन की बुवाई सितंबर के आखिरी हफ्ते या अक्टूबर की शुरुआत में शुरू कर देनी चाहिए। इसके लिए लहसुन की पोटियों को अलग-अलग कर लें। ध्यान रखें कि पोटियाँ स्वस्थ और मोटी हों, ताकि पौधा मज़बूत बने। इन्हें खेत में 10-15 सेंटीमीटर की दूरी पर बोएँ। ज्यादा गहरा न बोएँ, वरना पोटियाँ छोटी रह सकती हैं। बुवाई के बाद खेत को पुआल या सूखी घास से ढक दें। यह देसी नुस्खा बहुत काम का है। पुआल नमी को बनाए रखता है और खरपतवार को भी रोकता है। इससे आपकी मेहनत कम होगी और फसल को फायदा ज़्यादा।
फसल की देखभाल और मुनाफा
बुवाई के बाद लहसुन की फसल को समय-समय पर पानी देते रहें, लेकिन ज़्यादा पानी न दें। अगर खेत में नमी सही रहेगी, तो पौधे अच्छे से बढ़ेंगे। साथ ही, समय-समय पर खेत की निराई-गुड़ाई करें ताकि खरपतवार न पनपे। यमुना सफेद की खासियत यह है कि यह रोगों से कम प्रभावित होती है, लेकिन फिर भी अगर पत्तियों में कोई धब्बे या सड़न दिखे, तो नज़दीकी कृषि केंद्र से सलाह लें। जब फसल पक जाए, तो लहसुन की पोटियों को सावधानी से निकालें और धूप में अच्छे से सुखा लें। सूखने के बाद इन्हें बाज़ार में बेचें। यमुना सफेद की माँग गाँव से लेकर शहर तक रहती है, तो आपको अच्छा दाम मिल सकता है।
क्यों चुनें लहसुन की खेती?
लहसुन की खेती हमारे किसान भाइयों के लिए एक सुनहरा मौका है। यह न सिर्फ़ कम लागत में हो जाती है, बल्कि बाज़ार में इसकी कीमत भी अच्छी मिलती है। खासकर यमुना सफेद जैसी प्रजातियाँ, जो कम समय में तैयार हो जाती हैं और रोगों से बची रहती हैं, आपके लिए मुनाफे का रास्ता खोल सकती हैं। अगर आप अपने खेत में कुछ नया आजमाना चाहते हैं, तो लहसुन की खेती शुरू करें। थोड़ी मेहनत और सही जानकारी के साथ आप अपनी कमाई को दोगुना कर सकते हैं।
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