पिछले कई दिनों से तपती गर्मी ने सबको परेशान कर रखा था। मगर अचानक हुई झमाझम बारिश ने न सिर्फ उमस से राहत दी, बल्कि खेत-खलिहानों को भी नई जिंदगी दे दी। गर्म जमीन पर बारिश की ठंडी बूंदें पड़ते ही वो सोंधी-सोंधी खुशबू उठी, जो गांव के हर इंसान का मन मोह लेती है। लेकिन इस बारिश का सबसे बड़ा फायदा हमारे किसान भाइयों को मिल रहा है। खेती हो या सब्जियों की बाड़ी, ये बारिश हर तरह से वरदान बनकर आई है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि ये बरसात न सिर्फ मिट्टी को उपजाऊ बनाएगी, बल्कि फसलों को कीटों से भी बचाएगी।
मिट्टी को मिली नमी
गर्मी की तपिश ने खेतों की मिट्टी को रूखा कर दिया था। लेकिन इस बारिश ने सब कुछ बदल दिया। खेतों में नमी लौट आई है, जिससे किसानों को एक बार की सिंचाई का खर्चा बच गया। खासकर जो भाई सब्जी खेती कर रहे हैं, उनके लिए तो ये बारिश किसी रामबाण से कम नहीं। बलिया के एक अनुभवी कृषि वैज्ञानिक प्रो. अशोक सिंह बताते हैं कि ऐसी बारिश खेतों में नमी का सही बैलेंस बनाती है। जिन खेतों में पानी की कमी थी, वहां अब फसलों को बढ़ने का अच्छा मौका मिलेगा। इतना ही नहीं, बारिश ने खेतों में पड़े फसल के अवशेषों को गीला कर दिया। ये अवशेष अब मिट्टी में मिलकर सड़ेंगे और जैविक खाद बनकर मिट्टी की ताकत बढ़ाएंगे। इससे मिट्टी में जीवांश कार्बन की मात्रा बढ़ेगी, जो फसलों की पैदावार के लिए बहुत जरूरी है।
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कीटों से छुटकारा
ये बारिश सिर्फ मिट्टी के लिए ही नहीं, बल्कि साग-सब्जियों के लिए भी कमाल कर रही है। खेतों में भिंडी, लौकी, पालक जैसी सब्जियों पर अक्सर कीड़े-मकोड़े लग जाते हैं, जो फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। लेकिन इस बारिश ने इन कीटों को धोकर साफ कर दिया। बलिया के कृषि कीट वैज्ञानिक डॉ. संजीत कुमार कहते हैं कि बारिश का पानी पौधों पर लगे कीड़ों को बहा ले जाता है, जिससे फसलों को रोगों से बचाव मिलता है। इससे न सिर्फ पैदावार अच्छी होगी, बल्कि किसानों को कीटनाशकों पर खर्चा भी कम करना पड़ेगा। ये बारिश खासकर छोटे किसानों के लिए बहुत फायदेमंद है, जो जैविक खेती की तरफ बढ़ रहे हैं। बिना केमिकल के फसल को बचाने का ये एकदम देसी और सस्ता तरीका है।
गर्मी की जुताई का सही मौका
इस बारिश ने किसानों को एक और बड़ा फायदा दिया है। गर्मी की जुताई के लिए ये समय एकदम सही है। बलिया के भूमि संरक्षण विभाग के वैज्ञानिक डॉ. मुनेंद्र पाल बताते हैं कि बारिश से मिट्टी में नमी आ जाने की वजह से खेतों की जुताई आसान हो जाती है। ये जुताई मिट्टी में छिपे कीटों, पतंगों और रोगाणुओं के अंडों को नष्ट कर देती है। गर्मी की तपिश और बारिश का पानी मिलकर इन कीटों को खत्म कर देते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। साथ ही, ये बारिश खरीफ की फसलों की तैयारी के लिए भी मददगार है। किसान भाई अब धान की नर्सरी तैयार कर सकते हैं, ताकि समय पर बुवाई हो सके। इससे न सिर्फ फसल अच्छी होगी, बल्कि सिंचाई का खर्चा भी बचेगा।
पर्यावरण को भी मिली राहत
ये बारिश सिर्फ खेतों के लिए ही नहीं, बल्कि हवा और पर्यावरण के लिए भी वरदान है। गर्मी में धूल और प्रदूषण की वजह से हवा खराब हो जाती है। लेकिन बारिश ने धूल के कणों को जमीन पर बिठा दिया, जिससे हवा साफ हो गई। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बारिश की वजह से हवा की क्वालिटी कम से कम एक हफ्ते तक बेहतर रहेगी। ये न सिर्फ इंसानों के लिए, बल्कि पेड़-पौधों और जानवरों के लिए भी अच्छा है। साफ हवा और नम मिट्टी का माहौल फसलों को और हरा-भरा बनाएगा।
किसानों के लिए प्रकृति का संदेश
कृषि शस्य वैज्ञानिक डॉ. कौशल पांडे कहते हैं कि ये बारिश प्रकृति का एक संदेश है। ये किसानों को अलर्ट कर रही है कि अब खरीफ की फसलों की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। धान की नर्सरी से लेकर सब्जियों की बुवाई तक, ये बारिश हर तरह से मददगार है। सबसे बड़ा फायदा ये है कि किसानों की लागत कम होगी और पैदावार बढ़ेगी। सरकार भी ऐसी खेती को बढ़ावा दे रही है, जो कम खर्च में ज्यादा मुनाफा दे। फर्रुखाबाद हो या बलिया, ये बारिश हर किसान के लिए एक तोहफा है, जो उनकी मेहनत को और रंग लाएगा।
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