Soyabean Farming: खेत में सोयाबीन की फसल लहराए, फलियां दानों से भरी हों, और मंडी में अच्छा दाम मिले—ये हर किसान भाई का सपना है। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, और राजस्थान के किसान भाइयों, मानसून की दस्तक के साथ अब खेत तैयार करने का समय आ गया है। केरल में मानसून आ चुका है, और जल्दी ही 15 जून से सोयाबीन की बुवाई का सीजन शुरू होगा। लेकिन अच्छी फसल के लिए सही बीज चुनना सबसे जरूरी है।
आज हम आपको सोयाबीन की तीन ऐसी उन्नत किस्मों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो न सिर्फ ज्यादा पैदावार देती हैं, बल्कि कीट, रोग, और कम बारिश में भी कमाल करती हैं। ये किस्में आपके खेत को मुनाफे का खजाना बना सकती हैं। तो चलिए, इनके बारे में जानते हैं।
JS-23-03: जल्दी तैयार, मोटा मुनाफा
किसान भाइयों, सालों से आप पुरानी किस्मों जैसे JS-9560 और JS-20-34 से खेती करते आए हैं, लेकिन इनमें वायरस, फलियों का फटना, और कम पैदावार जैसी समस्याएं आपको परेशान करती हैं। जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय (JNKVV), जबलपुर ने इन सबका जवाब दे दिया है। उनकी नई किस्म JS-23-03 एक चमत्कार है। ये 88-90 दिन में तैयार हो जाती है, यानी जल्दी कटाई के बाद आप रबी की फसलें जैसे चना, मटर, या प्याज भी उगा सकते हैं। इसकी फलियां चटकती नहीं, दाने चमकदार पीले और बोल्ड होते हैं, जिनका वजन 100 दानों में 12-13 ग्राम होता है। पौधे की ऊंचाई 47 सेमी है, जो हार्वेस्टर से कटाई के लिए एकदम सही है।
ये किस्म येलो मोजेक, जड़ सड़न, और चारकोल रॉट जैसे रोगों से लड़ने में माहिर है। कीट भी इसे ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाते। मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, और महाराष्ट्र के लिए ये किस्म खासतौर पर बनाई गई है। अगर आप 40 किलो प्रति एकड़ बीज डालें और 14 इंच की दूरी रखें, तो सही देखभाल के साथ 31-32 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार मिल सकती है। कुछ किसानों ने तो 7 क्विंटल प्रति बीघा तक लिया है। मंडी में इसके चमकदार दाने अच्छा दाम दिलाते हैं, और जल्दी तैयार होने से आप अगली फसल के लिए खेत खाली कर सकते हैं।
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JS-24-33: मजबूत और भरोसेमंद
अगर आप ऐसी किस्म चाहते हैं जो वायरस और कीटों से डटकर मुकाबला करे, तो JS-24-33 आपके लिए है। JNKVV, जबलपुर ने इसे भी 88-90 दिन में तैयार होने वाली अर्ली किस्म के तौर पर बनाया है। इसके पौधे 50 सेमी ऊंचे होते हैं, जो मशीन से कटाई के लिए बढ़िया हैं। दाने मध्यम आकार के, पीले, और चमकदार होते हैं, जिनका वजन 100 दानों में 11.25 ग्राम है। इसकी फलियां चटकती नहीं, और तीन-चार दानों वाली फलियां झुमके की तरह लगती हैं।
ये किस्म येलो मोजेक, चारकोल रॉट, और जड़ सड़न जैसे रोगों के खिलाफ मजबूत है। पत्ती चूसने और काटने वाले कीटों से भी ये बचे रहते हैं। मध्य प्रदेश, राजस्थान, और महाराष्ट्र के विदर्भ-मराठवाड़ा जैसे इलाकों के लिए ये एकदम फिट है। 40 किलो प्रति एकड़ बीज और 14 इंच की दूरी के साथ, सही पानी, खाद, और खरपतवार नियंत्रण से आप 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार ले सकते हैं। जल्दी तैयार होने की वजह से आप रबी में आलू, लहसुन, या शरबती गेहूं जैसी फसलें आसानी से उगा सकते हैं, जिससे आपकी कमाई दोगुनी हो सकती है।
NRC-150: नई तकनीक, नया जोश
सोयाबीन अनुसंधान केंद्र (NRCS), इंदौर ने NRC-150 किस्म को 2023 में लॉन्च किया, और ये 92 दिन में तैयार होने वाली एक और शानदार किस्म है। इसके दाने बोल्ड, पीले, और चमकदार हैं, जिनका वजन 100 दानों में 11.50 ग्राम है। पौधे फैलावदार और ऊंचे हैं, जो हार्वेस्टर से कटाई के लिए बिलकुल सही हैं। इसकी फलियां चटकती नहीं, और तीन दानों वाली फलियां ज्यादा होती हैं।
ये किस्म रोगों और कीटों के खिलाफ खासी मजबूत है। चाहे येलो मोजेक हो या जड़ सड़न, ये डटकर मुकाबला करती है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, और बुंदेलखंड के लिए ये किस्म अनुकूल है। 40 किलो प्रति एकड़ बीज और 14 इंच की दूरी के साथ, आप 30-35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार ले सकते हैं। खास बात ये है कि इसके दाने मंडी में अच्छा दाम लाते हैं, और तेल की मात्रा 20% से ज्यादा होने से प्रोसेसिंग के लिए भी ये पसंद की जाती है।
खेती को बनाएं आसान और फायदेमंद
किसान भाइयों, ये तीनों किस्में JS-23-03, JS-24-33, और NRC-150—आपके लिए वरदान हैं। ये कम समय में तैयार होती हैं, रोगों से लड़ती हैं, और मुनाफा बढ़ाती हैं। मानसून आने से पहले अपने खेत तैयार करें, मृदा जांच करवाएं, और इनमें से अपनी मिट्टी और मौसम के हिसाब से सही किस्म चुनें। अपने नजदीकी कृषि केंद्र से संपर्क करें, ताकि आपको सही बीज और सलाह मिले। इन किस्मों से न सिर्फ आपकी कमाई बढ़ेगी, बल्कि खेती में नया जोश भी आएगा।
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