तितर पालन की शुरुआत कैसे करें
तितर पालन एक ऐसा व्यवसाय है, जो छोटे किसानों और ग्रामीण उद्यमियों के लिए आदर्श है। यह छोटे आकार का पक्षी है, जिसे पालने के लिए कम जगह और संसाधनों की जरूरत होती है। तितर का मांस प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, और खनिजों से भरपूर होता है, जिसे लोग बड़े चाव से खाते हैं। इसके अंडे भी कोलेस्ट्रॉल कम करने और स्वास्थ्य लाभ के लिए उपयोगी माने जाते हैं।
वर्तमान में, तितर पालन उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में लोकप्रिय हो रहा है। यह व्यवसाय कम पूँजी में शुरू हो सकता है, और 4-10 तीतरों से भी छोटे स्तर पर शुरुआत की जा सकती है। तितर की मादा अपने जन्म के 40-45 दिनों में अंडे देना शुरू कर देती है, जिससे जल्दी आय शुरू हो जाती है।
लाइसेंस की अनिवार्यता और प्रक्रिया
तितर एक संरक्षित प्रजाति है, और इसके शिकार पर भारत सरकार ने प्रतिबंध लगा रखा है। इसलिए, तितर पालन शुरू करने से पहले वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत स्थानीय वन विभाग से लाइसेंस लेना अनिवार्य है। लाइसेंस के लिए निम्नलिखित कदम उठाएँ:
स्थानीय वन विभाग कार्यालय या जिला पशुपालन विभाग से संपर्क करें।
आवेदन पत्र में पालन का उद्देश्य (वाणिज्यिक/शौक), स्थान, और पक्षियों की संख्या बताएँ।
खेत/शेड की स्थिति, भोजन व्यवस्था, और स्वच्छता का विवरण दें।
लाइसेंस शुल्क (500-2000 रुपये, क्षेत्र के आधार पर) जमा करें।
वन अधिकारी द्वारा निरीक्षण के बाद लाइसेंस जारी होता है।
लाइसेंस के बिना तितर पालन अवैध माना जाता है, और इससे जुर्माना या सजा हो सकती है। इसलिए, इस प्रक्रिया को पूरी गंभीरता से पूरा करें।
तितर पालन के लिए शेड और स्थान
तितर पालन के लिए खुला, हवादार, और सुरक्षित स्थान चुनें। एक छोटा शेड (10×10 फीट) 100-150 तीतरों के लिए पर्याप्त है। शेड की दीवारें मजबूत और जालीदार हों, ताकि शिकारी जानवर (जैसे बिल्ली, साँप) प्रवेश न करें। शेड में निम्नलिखित व्यवस्थाएँ करें:
फर्श: कंक्रीट या मिट्टी का फर्श, जिस पर चावल की भूसी या लकड़ी का बुरादा बिछाएँ।
तापमान: 25-30 डिग्री सेल्सियस आदर्श है। सर्दियों में हीटर और गर्मियों में पंखे का उपयोग करें।
प्रकाश: दिन में 12-14 घंटे हल्की रोशनी रखें, ताकि अंडा उत्पादन बढ़े।
पानी और भोजन के बर्तन: प्रत्येक 10 तीतरों के लिए 1 पानी और 1 भोजन का बर्तन रखें।
शेड को नियमित रूप से साफ करें और कीटाणुनाशक (जैसे नीम तेल) का छिड़काव करें।
भोजन और देखभाल की ख़ास जरूरत
तितर का भोजन उनकी उम्र और स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। मादा तितर की अंडा देने की क्षमता भोजन की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। निम्नलिखित भोजन व्यवस्था करें:
चूजे (0-3 सप्ताह): उच्च प्रोटीन (24-26%) वाला स्टार्टर फीड, जैसे पोल्ट्री चूजा दाना। प्रति चूजा 5-10 ग्राम दाना प्रतिदिन।
वयस्क तितर (3 सप्ताह से अधिक): 18-20% प्रोटीन वाला फीड, जिसमें गेहूँ, मक्का, सोयाबीन, और मिनरल मिक्स शामिल हों। प्रति तितर 20-25 ग्राम दाना प्रतिदिन।
पानी: साफ और ताजा पानी हमेशा उपलब्ध रखें। पानी में मल्टीविटामिन (जैसे विटामिन A, D3) मिलाएँ।
तितर के चूजों की मृत्यु भुखमरी या ठंड के कारण हो सकती है। इसलिए, पहले 2-3 सप्ताह तक विशेष ध्यान दें। चूजों को 30-32 डिग्री सेल्सियस तापमान में रखें और नियमित भोजन दें। मादा तितर हर 28-30 दिन में 10-15 अंडे देती है। स्वस्थ अंडों को इनक्यूबेटर में रखकर चूजे निकाले जा सकते हैं।
तितर पालन में कितना उत्पादन संभव
तितर का मांस और अंडे दोनों बिक्री के लिए उपयोगी हैं। मांस के लिए तितर 6-8 सप्ताह की उम्र में तैयार हो जाते हैं, जब उनका वजन 150-200 ग्राम होता है। अंडे 40-45 दिनों से शुरू हो जाते हैं और प्रति मादा सालाना 250-300 अंडे मिलते हैं। अंडों का वजन 8-12 ग्राम होता है।
अंडों को साफ करके 15-20 डिग्री सेल्सियस पर स्टोर करें। मांस के लिए तितरों को स्थानीय बूचड़खाने में बेचा जा सकता है। सर्दियों में मांस और अंडों की माँग अधिक होती है, जिससे कीमतें 20-30% बढ़ जाती हैं।
लागत और मुनाफे का हिसाब
तितर पालन (Titar Farming) में लागत बहुत कम आती है। 100 तीतरों के लिए प्रारंभिक लागत निम्नलिखित है:
शेड निर्माण: 20,000-30,000 रुपये (10×10 फीट)। चूजे: 100 चूजे x 30-50 रुपये = 3,000-5,000 रुपये।भोजन: प्रति तितर 2 रुपये प्रतिदिन x 100 x 90 दिन = 18,000 रुपये।अन्य (पानी, बिजली, दवाएँ): 5,000-7,000 रुपये।कुल लागत: 46,000-60,000 रुपये।
आय:
अंडे: 100 मादा x 250 अंडे x 5 रुपये = 1,25,000 रुपये/वर्ष।
मांस: 100 तितर x 150 रुपये = 15,000 रुपये (हर 2 महीने में)।
कुल आय: 1,50,000-2,00,000 रुपये/वर्ष।
मुनाफा: 1,00,000-1,40,000 रुपये/वर्ष।
सर्दियों में माँग बढ़ने पर मुनाफा 20-30% और बढ़ सकता है।
बाजार और बिक्री का लेखा जोखा
तितर के अंडे और मांस की माँग स्थानीय मंडियों, होटलों, और रेस्तरां में रहती है। सर्दियों और त्योहारों के दौरान माँग चरम पर होती है। किसान e-NAM पोर्टल, स्थानीय पोल्ट्री मंडियों, या सीधे खरीदारों से जुड़ सकते हैं। जैविक अंडों की माँग बढ़ रही है, जिसके लिए 7-10 रुपये प्रति अंडा मिल सकता है।कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए होटल चेन या निर्यातकों से संपर्क करें। उत्तर भारत की मंडियाँ, जैसे लखनऊ, पटना, और जयपुर, तितर मांस और अंडों के लिए अच्छा बाजार हैं।
सरकारी सहायता
भारत सरकार तितर पालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ चलाती है। राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NLM) के तहत 25-50% सब्सिडी शेड निर्माण, चूजे, और भोजन पर मिलती है। पशुपालन विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) तितर पालन पर मुफ्त प्रशिक्षण देते हैं, जिसमें चूजा प्रबंधन, भोजन, और रोग नियंत्रण शामिल हैं।
किसान स्थानीय KVK (जैसे लखनऊ, पटना) या ICAR-केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान (CARI), बरेली से संपर्क कर सकते हैं। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत 50,000-10 लाख रुपये का ऋण भी उपलब्ध है।
तितर पालन कम लागत में लाखों का मुनाफा देने वाला व्यवसाय है, जो ग्रामीण और शहरी किसानों के लिए आदर्श है। लाइसेंस लेकर, सही शेड, भोजन, और देखभाल के साथ इसे शुरू करें। तितर के अंडे और मांस की बढ़ती माँग इसे भविष्य का व्यवसाय बनाती है। स्थानीय KVK, पशुपालन विभाग, या NLM से संपर्क करें, प्रशिक्षण लें, और तितर पालन से अपनी आय बढ़ाएँ। यह व्यवसाय न केवल आर्थिक स्वतंत्रता देगा, बल्कि ग्रामीण रोजगार को भी बढ़ावा देगा।
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