Tomato Prices: हरियाणा के करनाल जिले में टमाटर उगाने वाले किसानों की हालत बेहद खराब हो गई है। इस समय मंडी में टमाटर की कीमत मात्र 2 रुपये प्रति किलो पहुंच गई है, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। टमाटर की खेती पर काफी खर्च आता है, लेकिन इतनी कम कीमत मिलने से लागत भी नहीं निकल पा रही। किसानों का कहना है कि इस स्थिति में खेती करना अब घाटे का सौदा बनता जा रहा है।
टमाटर के गिरते दाम से किसानों की चिंता बढ़ी
करनाल जिले की पधाना गांव की मंडी में टमाटर के दाम अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। किसान अपनी फसल लेकर मंडी में पहुंच रहे हैं, लेकिन उन्हें महज 2 रुपये किलो की दर से टमाटर बेचना पड़ रहा है। इतनी कम कीमत मिलने से किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही।
किसानों की लागत भी नहीं निकल रही
किसानों का कहना है कि वे 42-66 हाइब्रिड किस्म का टमाटर उगाते हैं, जिसकी खेती पर प्रति किले लगभग 1 लाख रुपये का खर्च आता है। लेकिन मंडी में टमाटर की कीमत इतनी कम हो गई है कि फसल बेचकर भी लागत पूरी नहीं हो रही। कुछ किसानों ने बताया कि वे अपनी फसल की ट्रॉली मंडी में लेकर आए, जिसकी कीमत 8200 रुपये होनी चाहिए थी, लेकिन उन्हें केवल 4400 रुपये ही मिले।
फसल को खेत में ही छोड़ने को मजबूर किसान
स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि कई किसान अब अपनी फसल को खेतों में ही छोड़ने के लिए मजबूर हो गए हैं। उनका कहना है कि टमाटर को तोड़कर मंडी ले जाने और वहां बेचने की प्रक्रिया में जो खर्च आता है, वह भी पूरा नहीं हो पा रहा। कई किसानों ने अपनी टमाटर की फसल को बर्बाद होते हुए देखने का फैसला किया है, क्योंकि उन्हें इससे कोई मुनाफा नहीं हो रहा।
मजदूरी के भी पैसे नहीं निकल रहे
किसानों की हालत इतनी खराब हो गई है कि वे अगली फसल के लिए निवेश करने में भी असमर्थ हैं। किसानों का कहना है कि मजदूरों को दी जाने वाली मजदूरी भी अब उनकी फसल से ज्यादा हो गई है। मजदूरों की दिहाड़ी जहां 250 रुपये तक पहुंच गई है, वहीं टमाटर की एक क्रेट मात्र 50 रुपये में बिक रही है। इस कारण किसान अब नई फसल की तैयारी भी नहीं कर पा रहे हैं।
सरकार से मदद की गुहार
टमाटर की गिरती कीमतों को देखते हुए किसान सरकार से राहत पैकेज और उचित समर्थन मूल्य की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर टमाटर की कीमतों को स्थिर नहीं किया गया और किसानों को उचित दाम नहीं मिले, तो वे भारी कर्ज में डूब सकते हैं। किसानों ने यह भी सवाल उठाया कि जब टमाटर के दाम बढ़ते हैं, तो पूरे देश में चर्चा होती है, लेकिन जब टमाटर कौड़ियों के भाव बिक रहा है, तब उनकी परेशानी पर कोई ध्यान नहीं दे रहा।
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