Top 3 Varieties Of Cucumber : गर्मी का मौसम आते ही तेज धूप और चिलचिलाती गर्मी शरीर को तरसाती है। ऐसे में रसदार फल और सब्जियों की माँग बढ़ जाती है, जो पानी की कमी को पूरा करते हैं। इन्हीं में से एक है खीरे की उन्नत किस्म ‘स्वर्णा शीतल’, जिसकी खेती किसान भाइयों के लिए मुनाफे का सौदा बन सकती है। खीरे में 80% तक पानी होता है, और इसकी डिमांड सालभर रहती है। गर्मियों में तो ये बाजार में छा जाता है। स्वर्णा शीतल समेत खीरे की कई किस्में हैं, जो अपनी खासियत से किसानों को फायदा पहुँचा रही हैं। चलिए, जानते हैं कि स्वर्णा शीतल और दूसरी उन्नत किस्मों से कैसे बंपर पैदावार और कमाई हो सकती है।
स्वर्णा शीतल: गर्मी की शानदार किस्म
स्वर्णा शीतल खीरे की ऐसी किस्म है, जो गर्मी में कमाल करती है। इसके फल मध्यम आकार के होते हैं और सबसे बड़ी खासियत ये कि इसमें चूर्णी फफूंदी और श्याम वर्ण रोग का खतरा नहीं होता। ये 40-45 दिन में तैयार हो जाती है। अप्रैल में बुवाई करें, तो गर्मी में अच्छी पैदावार मिलती है। एक हेक्टेयर में 290-300 क्विंटल तक खीरा मिल सकता है। बाजार में गर्मियों में खीरा 20-30 रुपये किलो बिकता है, यानी 60-90 हजार रुपये का मुनाफा आसानी से हो सकता है। इसकी रोगमुक्त खूबी इसे किसानों का चहेता बनाती है।
स्वर्ण अगेती: जल्दी फल, ज्यादा फायदा
स्वर्ण अगेती खीरे की सबसे मशहूर किस्मों में से एक है। इसके पौधे 40-45 दिन में फल देने लगते हैं। एक पौधे से 3-4 किलो खीरा मिलता है। ये जल्दी तैयार होने वाली किस्म है, जो कम वक्त में पैदावार देती है। गर्मी में इसकी बुवाई फरवरी-मार्च में शुरू कर दें। छोटे खेतों में भी ये अच्छा फायदा देती है। एक हेक्टेयर से 250-300 क्विंटल तक पैदावार संभव है। कम समय में मुनाफा कमाने के लिए ये शानदार विकल्प है।
पंत संकर: बंपर पैदावार की गारंटी
पंत संकर एक हाइब्रिड किस्म है, जिसके फल मध्यम आकार के और 20 सेमी लंबे होते हैं। इनका रंग हरा और स्वाद कुरकुरा होता है। बुवाई के 50 दिन बाद तुड़ाई शुरू हो जाती है। एक हेक्टेयर में 300-350 क्विंटल तक खीरा मिल सकता है। गर्मी में इसकी माँग बढ़ती है, और बाजार में अच्छा दाम मिलता है। दोमट मिट्टी और नियमित पानी से ये फसल खूब फलती-फूलती है। बड़े पैमाने पर खेती करने वालों के लिए ये किस्म सोने की तरह है।
स्वर्ण पूर्णिमा और पूसा संयोग: मजबूत विकल्प
स्वर्ण पूर्णिमा के फल लंबे, सीधे, हल्के हरे और ठोस होते हैं। ये 40-50 दिन में तैयार हो जाती है और एक हेक्टेयर से 200-225 क्विंटल पैदावार देती है। वहीं, पूसा संयोग हाइब्रिड किस्म है, जिसके फल 22-30 सेमी लंबे, हरे और पीले काँटों वाले होते हैं। इसका गूदा कुरकुरा होता है और 50 दिन में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाता है। इससे 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक मिलता है। दोनों किस्में गर्मी में अच्छी पैदावार देती हैं और बाजार में खूब चलती हैं।
खेती का सही तरीका
खीरे की खेती के लिए दोमट मिट्टी चुनें और गोबर खाद डालकर खेत तैयार करें। बीज को 2-3 फीट की दूरी पर पंक्तियों में बोएँ। गर्मी में हफ्ते में 2 बार पानी दें, लेकिन जलभराव न हो। अप्रैल में बुवाई शुरू करें। नीम तेल (2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी) छिड़ककर कीटों से बचाएँ। फफूंद से सुरक्षा के लिए ट्राइकोडर्मा डालें। पौधों को सहारा देने के लिए बाँस की जाली लगाएँ। 40-50 दिन में फसल तैयार हो जाएगी। एक हेक्टेयर में 200-350 क्विंटल तक पैदावार मिल सकती है।
मुनाफे का रास्ता
किसान भाइयों, स्वर्णा शीतल और दूसरी किस्मों से गर्मी में बंपर कमाई का मौका है। एक हेक्टेयर से 200-350 क्विंटल खीरा और 20 रुपये किलो के हिसाब से 40,000 से 1 लाख तक मुनाफा हो सकता है। होटल, जूस सेंटर और घरों में इसकी माँग बढ़ती है। कम लागत और जल्दी पैदावार से ये खेती फायदे का सौदा है। सही देखभाल और समय पर बुवाई करें, तो आपकी मेहनत रंग लाएगी।
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