Top 5 Basmati Rice Varieties : किसान भाइयों, बासमती धान की खेती तो हमारे गाँवों की पहचान है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली के खेतों में ये लहराता है, और दुनिया भर में इसकी खुशबू फैलती है। पूसा बासमती की उन्नत किस्में – 1592, 1609, 1637, 1692 और 1886 – आजकल किसानों का भरोसा बन गई हैं। ये बीमारियों से लड़ती हैं, बंपर फसल देती हैं, और लंबे-सुगंधित दानों से मंडी में दाम बढ़ाती हैं। इनकी खेती करिए, तो मेहनत का पूरा फल जेब में आएगा। चलिए, इन टॉप किस्मों का पूरा हिसाब-किताब समझते हैं, ताकि आप खेत में उतरने को तैयार हो जाएँ।
पूसा बासमती 1592
पूसा 1592 पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर के खेतों के लिए बनी है। खरीफ में जून-जुलाई में बोइए, सिंचाई का इंतजाम रखिए। औसतन 47.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर देती है, और सही देखभाल से 67.3 क्विंटल तक जा सकती है। 120 दिन में पककर तैयार। झुलसा रोग इसके पास नहीं फटकता। दाने लंबे (14 मिमी), पतले, और चमकदार। पकने पर खुशबू ऐसी कि खाने वाले तारीफ करें। 58.2% चावल निकलता है। छोटे खेत वाले भाई इसे बोकर मंडी में 50-60 रुपये किलो का दाम पा सकते हैं।
पूसा बासमती 1609
पूसा 1609 उत्तराखंड, पंजाब और दिल्ली के लिए बढ़िया है। खरीफ में बोइए, औसत उपज 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, और मेहनत से 67.5 क्विंटल तक। 120 दिन में तैयार। झौंका रोग (ब्लास्ट) इसे कुछ नहीं बिगाड़ सकता। दाने 7.9 मिमी लंबे, पकने पर 13.9 मिमी तक बढ़ते हैं। पतले, सुगंधित और चमकीले दाने बाजार में छा जाते हैं। इसकी खुशबू और क्वालिटी इसे खास बनाती है। मंडी में अच्छा दाम पाने के लिए इसे आजमाइए, फायदा पक्का।
पूसा बासमती 1637
पूसा 1637 पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में फिट बैठती है। औसत उपज 42 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, और अच्छी मेहनत से 70 क्विंटल तक। 130 दिन में पकती है। झौंका रोग से बचाव इसमें पक्का। दाने 7.3 मिमी लंबे, पकने पर 13.8 मिमी। तेज खुशबू और बढ़िया स्वाद इसे बाजार का सितारा बनाते हैं। खेत में इसे सही पानी और खाद दीजिए, तो मुनाफा ऐसा कि गाँव में नाम हो जाएगा।
पूसा बासमती 1692
पूसा 1692 दिल्ली, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए है। अर्ध-बौनी किस्म, औसत उपज 52.6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, और मेहनत से 73.5 क्विंटल तक। 115 दिन में तैयार, यानी सबसे तेज। दाने पकने पर 17 मिमी तक लंबे, पतले और खुशबू से भरपूर। जल्दी पकने से दूसरी फसल का मौका भी मिलता है। छोटे और मझोले किसानों के लिए ये सोने की खान है। बाजार में 60-70 रुपये किलो तक बिकता है, तो कमाई का हिसाब जोड़ लीजिए।
पूसा बासमती 1886
पूसा 1886 हरियाणा और उत्तराखंड के खेतों के लिए बनी है। औसत उपज 44.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, और सही देखभाल से 80 क्विंटल तक। 145 दिन में पकती है। बैक्टीरियल ब्लाइट और ब्लास्ट रोग इसे छू नहीं सकते, इसमें xa13, Xa21, Pi2 और Pi54 जीन हैं। दाने 7.8 मिमी लंबे, पकने पर 15.2 मिमी। मध्यवर्ती एमाइलोज (23.7%) और तीव्र सुगंध इसे अलग करती है। बीमारी से बचाव और बढ़िया फसल इसे मुनाफे का सौदा बनाती है।
इन किस्मों की ताकत
ये पूसा बासमती किस्में औसतन 42-52 क्विंटल प्रति हेक्टेयर देती हैं। मौसम और मेहनत साथ दे, तो 67.3 से 80 क्विंटल तक जा सकती हैं। झुलसा, झौंका, ब्लास्ट और बैक्टीरियल ब्लाइट इनका कुछ नहीं बिगाड़ते। दाने लंबे, पतले, और खुशबूदार, जो पकने पर 13.8-17 मिमी तक बढ़ते हैं। खरीफ में बोइए, 115-145 दिन में कटाई करिए। इनकी क्वालिटी और सुगंध देश-विदेश में मशहूर है। मंडी में 50-70 रुपये किलो तक बिकता है, और एक्सपोर्ट का मौका भी बनता है।
खेती का तरीका
इन किस्मों को जून-जुलाई में बोइए। बीज को 24 घंटे पानी में भिगोइए, फिर नर्सरी में डालिए। 25-30 दिन बाद रोपाई करिए। पौधों की दूरी 20×15 सेमी रखिए, ताकि हवा और धूप सबको मिले। प्रति हेक्टेयर 100-120 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस और 40 किलो पोटाश डालिए। गोबर की सड़ी खाद 5-10 टन मिला दीजिए, तो मिट्टी की ताकत बढ़ेगी। हर 5-7 दिन में हल्की सिंचाई करिए, पानी ठहरे नहीं। फूल आने पर पानी सही रखिए, वरना दाने छोटे रह जाएँगे। कटाई सही वक्त पर करिए, देर हुई तो झड़ सकते हैं।
सावधानियाँ और टिप्स
बीज अच्छी जगह से लीजिए, सरकारी दुकान या पूसा संस्थान से बेस्ट रहेगा। नर्सरी में कीड़े न लगें, इसके लिए नीम का तेल छिड़किए। बीमारी दिखे, तो गाँव के कृषि अफसर से पूछ लीजिए। खेत की जुताई अच्छे से करिए, कंकड़-पत्थर हटा दीजिए। रोपाई से पहले खेत में गोबर खाद डालिए, फसल मजबूत होगी। कटाई के बाद दानों को धूप में सुखाइए, नमी रह गई तो खराब हो सकते हैं। मंडी में बेचने से पहले साफ कर लीजिए, दाम ज्यादा मिलेगा।
मुनाफे का पूरा गणित
मान लीजिए आपने पूसा 1692 बोई। 52 क्विंटल मिले, 50 रुपये किलो भी बिका, तो 2.6 लाख की कमाई। लागत (बीज, खाद, मजदूरी) 50-60 हजार निकाल लीजिए, शुद्ध मुनाफा 2 लाख। पूसा 1886 से 80 क्विंटल मिले, तो 4 लाख तक बन सकता है। एक हेक्टेयर में 2-4 लाख का फायदा, वो भी 4-5 महीने में। बासमती का चावल देश-विदेश में बिकता है। मंडी में बेचिए या डीलर से सीधे सौदा करिए, दाम अच्छा मिलेगा। गाँव में डिमांड बढ़ रही है, तो कमाई का रास्ता खुला है।
तो भाइयों, पूसा बासमती की ये टॉप किस्में आपके खेत को सोने की खान बना सकती हैं। बीमारियों से लड़ेंगी, बंपर फसल देंगी, और खुशबूदार दानों से मंडी में नाम कमाएँगी। खेत तैयार करिए, बीज लाइए, और खेती शुरू कर दीजिए। आपकी मेहनत रंग लाएगी, और जेब भरेगी!
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