Top 5 Wheat Diseases and Scientific Control: इस बार रबी में गेहूं बोया है ना? मौसम अच्छा चल रहा है, लेकिन रोग और कीट कभी भी आ धमकते हैं। पांच-सात ऐसे रोग हैं जो सबसे ज्यादा नुकसान करते हैं। अगर समय रहते पहचान लिए और सही इलाज कर लिया तो फसल आराम से बच जाती है और पैदावार भी अच्छी रहती है। आज इन्हीं पांच बड़े रोगों-कीटों की बात करते हैं, लक्षण क्या हैं और बचाव का सबसे आसान-सस्ता तरीका क्या है।
गेहूं में भूरा रतुआ कैसे पहचानें और कैसे रोकें
जब हवा में नमी ज्यादा रहती है और बादल छाए रहते हैं, तब भूरा रतुआ सबसे जल्दी फैलता है। पत्तियों पर छोटे-छोटे भूरे-नारंगी धब्बे दिखते हैं, जैसे जंग लग गई हो। धीरे-धीरे पूरे खेत में फैल जाता है और दाने हल्के रह जाते हैं।
बचाव सबसे आसान है रतुआ रोधी किस्में बोइए, जैसे HD-2967, DBW-187, WH-1105। ये हमारे यूपी-बिहार में अच्छी चलती हैं। पुरानी फसल के अवशेष अच्छे से जला दें या मिट्टी में मिला दें। अगर फिर भी लक्षण दिखें तो प्रोपिकोनाजोल 25 EC दवा लें, एक लीटर को हजार लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। दस दिन के फासले पर दो छिड़काव काफी हैं। खर्चा भी सिर्फ 600-700 रुपए हेक्टेयर आता है।
काला रतुआ का हमला और उससे बचने का तरीका
काला रतुआ तने पर आता है। तने और बालियों की डंडी पर पहले लाल-भूरे धब्बे बनते हैं, फिर काले हो जाते हैं। फसल आसानी से गिर जाती है। पहाड़ी इलाकों और मध्य भारत में ज्यादा परेशान करता है, लेकिन अब मैदानी इलाकों में भी आने लगा है।
ज्यादा नाइट्रोजन वाली खाद से बच-दरख्तों में यह जल्दी फैलता है, इसलिए खाद संतुलित डालें। खेत के आसपास बेर की झाड़ियां या जंगली घास न रहने दें। रोग दिखते ही प्रोपिकोनाजोल या टेबूकानाजोल का छिड़काव कर दें। दो बार स्प्रे से पूरी तरह काबू हो जाता है।
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पीला रतुआ से खेत को कैसे बचाएं
पीला रतुआ ठंडे इलाकों में राज करता है – पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड। पत्तियों पर पीली लकीरें बनती हैं, हाथ रगड़ो तो पीला पाउडर लगता है। कोहरा और ठंड ज्यादा रही तो तेजी से फैलता है।
पीला रतुआ रोधी किस्में सबसे अच्छी हैं – PBW-550, HD-3086, HD-3226। बुवाई नवंबर के पहले-पहले कर लें ताकि बालियां बनते समय ठंड कम रहे। अगर रोग दिखे तो प्रोपिकोनाजोल का एक ही छिड़काव काफी होता है। खेत में पानी न रुके, अच्छी निकासी रखें।
माहू कीट से फसल को कैसे सुरक्षित रखें
माहू छोटे हरे-काले कीड़े होते हैं जो पत्तियों के नीचे छुपकर रस चूसते हैं। ऊपर से चिपचिपा पदार्थ निकलता है और काली फफूंद लग जाती है। फरवरी-मार्च में सबसे ज्यादा आते हैं।
खेत के किनारे पर सरसों की दो-तीन कतारें बोने से माहू वहीं फंस जाते हैं। नीम तेल और गौमूत्र का घोल भी बहुत काम करता है। अगर ज्यादा हो गए हों तो इमिडाक्लोप्रिड 17.8 SL या थायमेथोक्सम की हल्की मात्रा का छिड़काव कर दें। एक बार में ही साफ हो जाते हैं।
दीमक का छुपा हमला और उसका इलाज
दीमक ऊपर से कुछ नहीं दिखाती, अंदर ही अंदर जड़ें खा जाती हैं। पौधा अचानक पीला पड़ता है और सूख जाता है। रेतीली मिट्टी और कम पानी वाले खेतों में ज्यादा होती है।
बुवाई के समय नीम की खली 8-10 क्विंटल हेक्टेयर जरूर डालें। गोबर की खाद अच्छे से सड़ी हुई इस्तेमाल करें। खेत में नमी बनाए रखें, दीमक सूखी जगह पसंद करती है। अगर फिर भी दिख जाए तो क्लोरपायरीफॉस 20 EC की थोड़ी सी मात्रा पानी के साथ डाल दें। बस यही काफी है।
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