Top 5 Wheat Varieties in Rabi 2025: रबी सीजन की शुरुआत हो चुकी है, और देश के किसान भाई अपने खेतों में गेहूं की बुआई की तैयारी में जुटे हैं। मध्य प्रदेश के खरगोन जैसे इलाकों में 15 से 30 नवंबर के बीच बुआई का समय सबसे अच्छा माना जाता है, खासकर जहाँ 5-6 सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो। कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजीव सिंह बताते हैं कि इस समय बोई गई फसल न सिर्फ अच्छी पैदावार देगी, बल्कि गुणवत्ता में भी बेहतर होगी। बाजार में इनकी मांग ज्यादा रहती है, क्योंकि इनसे बनी रोटियाँ नरम और स्वादिष्ट होती हैं। प्रति एकड़ 18-20 क्विंटल तक उपज संभव है, जो किसानों की आय को नई ऊँचाई देगी। आइए जानते हैं ऐसी पाँच उन्नत किस्मों के बारे में, जो रबी सीजन में कम समय में शानदार नतीजे देंगी।
एचआई 1544
एचआई 1544 गेहूं की एक लोकप्रिय किस्म है, जो मध्य भारत के लिए खासतौर पर फायदेमंद साबित हो रही है। यह किस्म कम सिंचाई में भी अच्छी पैदावार देती है, जिससे पानी की कमी वाले इलाकों के किसानों को राहत मिलती है। समय पर बुआई वाले हालात में इसकी उपज 51.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुँच सकती है। यह किस्म रोगों के खिलाफ मजबूत है और पौधे की ऊँचाई मध्यम रहती है, जिससे आसानी से कटाई हो जाती है। डॉ. राजीव सिंह के अनुसार, यह किस्म चपाती के लिए बेस्ट है, क्योंकि अनाज की गुणवत्ता ऊँची होती है। मध्य प्रदेश और आसपास के क्षेत्रों में इसकी बुआई नवंबर के आखिर तक करें, तो 110-120 दिनों में कटाई तैयार।
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जीडब्ल्यू 322
जीडब्ल्यू 322 गेहूं की एक मेगा वैरायटी है, जो केंद्रीय क्षेत्र में किसानों की पहली पसंद बनी हुई है। समय पर बुआई वाली सिंचाई वाली फसलों में यह 51.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज दे सकती है। इसकी खासियत है मजबूत तना और अच्छी दाना भरी बालियाँ, जो बाजार में ऊँचे दाम दिलाती हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होने से पीली रतुआँ जैसी बीमारियों से फसल सुरक्षित रहती है। पौधे की ऊँचाई 90-100 सेंटीमीटर के आसपास होती है, और परिपक्वता 115 दिनों में हो जाती है। खरगोन जैसे जिलों में यह किस्म रबी सीजन के लिए आदर्श है, खासकर जब 5-6 सिंचाई का इंतजाम हो।
जीडब्ल्यू 366
जीडब्ल्यू 366 भी केंद्रीय क्षेत्र की एक मेगा वैरायटी है, जो समय पर बुआई से 51.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार सुनिश्चित करती है। यह किस्म उपज के मामले में श्रेष्ठ है और अनाज की गुणवत्ता से रोटियाँ मुलायम बनती हैं। रोगों जैसे स्टेम रस्ट और लीफ रस्ट के खिलाफ अच्छी रक्षा प्रदान करती है। पौधे मध्यम ऊँचे होते हैं, जिससे हवा का प्रवाह बेहतर रहता है। परिपक्वता अवधि करीब 110-115 दिन है, जो किसानों को जल्दी कटाई का मौका देती है। मध्य भारत के किसान इस किस्म को अपनाकर अपनी कमाई को बढ़ा सकते हैं।
एचआई 1636
एचआई 1636 2021 में नोटिफाइड हुई एक आधुनिक किस्म है। यह केंद्रीय क्षेत्र के लिए विकसित की गई है और औसतन 56.6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है, जबकि पोटेंशियल 78.8 क्विंटल तक है। जिंक से भरपूर (44.4 ppm) होने से यह पोषण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। स्टेम और लीफ रस्ट के खिलाफ मजबूत प्रतिरोधक है। चपाती और बिस्किट के लिए उपयुक्त अनाज देती है। परिपक्वता 110-120 दिनों में होती है, और 3-4 सिंचाई पर्याप्त हैं। आईसीएआर-आईएआरआई द्वारा विकसित यह किस्म छोटे किसानों के लिए वरदान है।
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एचआई 1658
एचआई 1658 गेहूं की एक उन्नत किस्म है, जो रबी सीजन में उच्च उपज और अच्छी गुणवत्ता का संतुलन प्रदान करती है। समय पर बुआई वाले हालात में यह 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से ज्यादा पैदावार दे सकती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होने से पीली और काली रतुआँ से फसल बच जाती है। अनाज से बनी रोटियाँ स्वादिष्ट और पौष्टिक होती हैं। पौधे की ऊँचाई मध्यम है, और परिपक्वता करीब 115 दिनों में पूरी हो जाती है। मध्य प्रदेश और उत्तर भारत के क्षेत्रों में यह किस्म बाजार की मांग पूरी करने के लिए बेस्ट साबित हो रही है।
सही बुआई से बनाएँ रबी को सफल
ये पाँचों किस्में रबी 2025 में गेहूं की खेती को आसान और फायदेमंद बनाएँगी। डॉ. राजीव सिंह की सलाह है कि बुआई से पहले मिट्टी की जाँच करवाएँ और सही मात्रा में खाद डालें। 15-30 नवंबर के बीच बोयें, तो बालियाँ अच्छी तरह भरेंगी और उपज बढ़ेगी। इन किस्मों से न सिर्फ पैदावार मिलेगी, बल्कि बाजार में अच्छे दाम भी। किसान भाई इन वैरायटी को अपनाकर अपनी मेहनत का पूरा फल पा सकते हैं।
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