तोरई की ये हैं टॉप 5 हाई यील्डिंग वैरायटी, किसानों के लिए बंपर मुनाफे का मौका

Torai Top 5 High Yield Varieties 2025 : भारत में तोरई की खेती हर कोने में होती है, खासकर गर्मी और बरसात के मौसम में। ये फसल जल्दी तैयार हो जाती है और बाजार में अच्छा दाम भी दिलाती है। अगर आप 2025 में तोरई की खेती करने की सोच रहे हैं, तो सही किस्म और सही देखभाल से आपकी कमाई दोगुनी हो सकती है। आइए जानते हैं कि कौन सी किस्में सबसे ज्यादा फसल देती हैं और किन देसी तरीकों से आप अपने खेत को मुनाफे का खजाना बना सकते हैं।

तोरई के लिए सही मौसम और मिट्टी

तोरई को गर्म और नम मौसम बहुत पसंद है। 20 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान में ये फसल खूब फलती-फूलती है। अगर आपके खेत की मिट्टी बलुई दोमट है या उसमें गोबर खाद, वर्मी कम्पोस्ट जैसे जैविक तत्व मिले हैं, तो तोरई की पैदावार शानदार होगी। मिट्टी का पीएच 6 से 7 के बीच होना चाहिए। खेत को बुवाई से पहले अच्छे से तैयार कर लें, ताकि पौधों को बढ़ने में कोई दिक्कत न हो।

2025 की सबसे ज्यादा फल देने वाली तोरई की किस्में

बाजार में कई नई और बेहतर किस्में उपलब्ध हैं, जो ज्यादा उपज और रोगों से बचाव की खासियत रखती हैं। ये रही 2025 के लिए टॉप 5 किस्में:

पूसा नसदार
Torai Top 5 High Yield Varieties 2025
Torai Top 5 High Yield Varieties 2025

ये किस्म भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) की देन है। इसके फल लंबे, पतले और रसीले होते हैं। बाजार में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है। ये 50-55 दिन में तैयार हो जाती है और 200-250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज देती है। छोटे और मझोले किसानों के लिए ये एकदम सही है।

अर्का समृद्धि

Torai Top 5 High Yield Varieties 2025

कर्नाटक के IIHR द्वारा विकसित अर्का समृद्धि रोगों से लड़ने में माहिर है। खासकर बिसौर रोग और फल मक्खी से ये बची रहती है। ये 220-270 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक फल देती है। इसके फल चमकदार और स्वादिष्ट होते हैं, जिससे बाजार में अच्छा दाम मिलता है।

NS-412 (नमधारी बीज)
Torai Top 5 High Yield Varieties 2025
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नमधारी बीज की NS-412 किस्म अपनी भारी उपज और लंबे समय तक फल देने की खासियत के लिए जानी जाती है। ये 45-50 दिन में तैयार हो जाती है और 250-280 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक देती है। इसका नुकसान कम होता है, यानी मुनाफा ज्यादा।

महिको ग्रीन वेलवेट

Torai Top 5 High Yield Varieties 2025

महिको की ये हाइब्रिड किस्म उन किसानों के लिए है, जो जल्दी फसल और ज्यादा मुनाफा चाहते हैं। इसके फल चमकदार और बाजार में खूब बिकने वाले होते हैं। ये 270-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज देती है। इसकी खास बात ये है कि इसके फल देखने में सुंदर और स्वाद में लाजवाब होते हैं।

इंडो-अमेरिकन H-44
Torai Top 5 High Yield Varieties 2025
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ये हाइब्रिड किस्म लगातार फल देती है और मौसम की मार को अच्छे से झेल लेती है। ये 45-50 दिन में तैयार होकर 250-290 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है। इसकी जल्दी पकने की खासियत इसे छोटे किसानों के लिए पसंदीदा बनाती है।

उपज दोगुनी करने के देसी नुस्खे

तोरई की खेती में अगर कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखा जाए, तो पैदावार को आसानी से बढ़ाया जा सकता है। ये रहे कुछ देसी और आजमाए हुए तरीके:

बीजों को करें तैयार

बुवाई से पहले बीजों को ट्राइकोडर्मा या गौमूत्र से उपचारित करें। इसके लिए 1 लीटर पानी में 10 मिली गौमूत्र मिलाकर बीजों को 2-3 घंटे भिगोएं। इससे फसल रोगों से बची रहती है और अंकुरण बेहतर होता है।

जैविक खाद का जादू

खेत को तैयार करते समय गोबर की खाद (8-10 टन प्रति हेक्टेयर), वर्मी कम्पोस्ट (2-3 टन प्रति हेक्टेयर) और नीम की खली डालें। ये मिट्टी को ताकत देते हैं और पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं। फूल आने के समय कम्पोस्ट टी (10 लीटर पानी में 1 किलो कम्पोस्ट भिगोकर) का छिड़काव करें, इससे फल ज्यादा लगते हैं।

पानी का सही हिसाब

फूल आने के समय ज्यादा पानी देने से फूल गिर सकते हैं। इसलिए इस दौरान हल्की सिंचाई करें। ड्रिप इरिगेशन का इस्तेमाल करें, ताकि पानी की बचत हो और पौधों को जरूरत जितनी नमी मिले। बरसात में खेत में पानी जमा न होने दें, वरना जड़ें सड़ सकती हैं।

कीटों पर देसी कंट्रोल

तोरई में फल मक्खी और चेपा जैसे कीट परेशान कर सकते हैं। इसके लिए नीम तेल (5 मिली प्रति लीटर पानी) का छिड़काव हर 10 दिन में करें। फेरोमोन ट्रैप लगाकर फल मक्खी को फंसाएं। ये देसी तरीके सस्ते हैं और फसल को नुकसान नहीं पहुंचाते।

सही समय पर तुड़ाई

तोरई के फल जब 15-20 सेंटीमीटर लंबे और मुलायम हों, तभी तोड़ें। ज्यादा पकने पर फल सख्त हो जाते हैं और बाजार में दाम कम मिलता है। हर 2-3 दिन में तुड़ाई करें, इससे पौधे पर नए फल जल्दी आते हैं।

तोरई से कितनी कमाई हो सकती है

अगर आप सही किस्म चुनते हैं और ऊपर बताए देसी तरीकों को अपनाते हैं, तो तोरई की खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। एक एकड़ में करीब 80-100 क्विंटल तोरई पैदा हो सकती है। बाजार में इसका दाम 10-20 रुपये प्रति किलो होता है, जो मौसम और मांग के हिसाब से 30 रुपये तक भी जा सकता है। कुल खर्च निकालने के बाद 60,000 से 1,20,000 रुपये तक की शुद्ध कमाई हो सकती है। अगर आप इसे शहरों के बाजारों या होटलों को बेचते हैं, तो और ज्यादा मुनाफा मिल सकता है।

तोरई की खेती क्यों है फायदेमंद

तोरई की खेती छोटे और मझोले किसानों के लिए वरदान है। ये फसल 45-60 दिन में तैयार हो जाती है, यानी आप एक सीजन में दो बार खेती कर सकते हैं। इसकी देखभाल आसान है और पानी की जरूरत भी ज्यादा नहीं। बाजार में तोरई की मांग सालभर रहती है, खासकर गर्मी और बरसात में। साथ ही, ये फसल मिट्टी को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाती, जिससे अगली फसल के लिए खेत तैयार रहता है।

तोरई की खेती से करें नई शुरुआत

तोरई की खेती आपके लिए मुनाफे का नया रास्ता खोल सकती है। पूसा नसदार, अर्का समृद्धि, NS-412, महिको ग्रीन वेलवेट और इंडो-अमेरिकन H-44 जैसी किस्में चुनें, जो ज्यादा उपज और रोगों से बचाव की गारंटी देती हैं। देसी और जैविक तरीकों को अपनाकर आप लागत कम और कमाई ज्यादा कर सकते हैं। अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें, ताकि आपको सही बीज और तकनीक की जानकारी मिल सके। थोड़ी सी मेहनत और सही प्लानिंग से आपका खेत सोना उगल सकता है।

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  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

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