Tractor Tyre Care: ट्रैक्टर किसान की सबसे बड़ी संपत्ति है, लेकिन इसके टायरों का रखरखाव अक्सर नजरअंदाज हो जाता है। एक सेट टायर बदलने में 50,000-1 लाख रुपये तक लग जाते हैं, जबकि सही रोटेशन से इनकी उम्र 40% तक बढ़ाई जा सकती है। आगे के टायर स्टीयरिंग और लोडर का भार संभालते हैं, जिससे बाहरी किनारे तेजी से घिसते हैं, जबकि पीछे के टायर ट्रैक्शन देते हैं और बीच से घिसते हैं।
अगर रोटेशन न करें, तो एक साइड जल्दी खराब हो जाती है। लेकिन नियमित रोटेशन से घिसाव समान होता है, ट्रैक्टर की ग्रिप मजबूत रहती है, और ईंधन खर्च 5-10% कम होता है। आइए जानते हैं कि कब, कैसे और किन बातों का ध्यान रखकर टायर रोटेशन करें, ताकि आपका ट्रैक्टर लंबे समय तक दमदार चले।
टायर रोटेशन क्यों जरूरी
ट्रैक्टर के आगे-पीछे टायरों की जिम्मेदारी अलग होती है। आगे वाले स्टीयरिंग घुमाते हैं, इसलिए बाहरी किनारे 30-40% तेज घिसते हैं। पीछे वाले पावर और वजन संभालते हैं, जिससे लग्स (ट्रेड) बीच से घिसते हैं। बिना रोटेशन के एक टायर 2-3 साल में खराब हो जाता है, जबकि रोटेशन से सभी टायर एकसमान घिसते हैं और 4-5 साल तक चलते हैं। इससे न केवल पैसे बचते हैं, बल्कि खेत में फिसलन कम होती है और माइलेज बढ़ता है। महिंद्रा और सोनालिका जैसे ब्रांडों के सर्विस मैनुअल में भी हर 500 घंटे रोटेशन की सलाह दी जाती है। अगर आप लोडर या सड़क पर ज्यादा चलाते हैं, तो 300-400 घंटे में रोटेशन करें।
कब करें रोटेशन
ट्रैक्टर के मीटर पर 500 घंटे पूरे होने पर रोटेशन करें – यह औसतन 6-8 महीने में होता है। अगर ट्रैक्टर भारी काम (जुताई, लोडिंग) में इस्तेमाल होता है, तो 300-400 घंटे में करें। हर सर्विस (हर 250-300 घंटे) के दौरान टायर की गहराई (ट्रेड डेप्थ) चेक करें – अगर 50% से कम बची हो, तो रोटेशन जरूरी है। मौसम के हिसाब से भी देखें: गर्मी में टायर ज्यादा घिसते हैं, इसलिए गर्मी शुरू होने से पहले रोटेशन करें। रिकॉर्ड रखें – मोबाइल ऐप या नोटबुक में तारीख, घंटे और पैटर्न नोट करें। इससे अगला समय याद रहेगा।
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स्टेप-बाय-स्टेप रोटेशन तरीका
- तैयारी: ट्रैक्टर को समतल जगह पर पार्क करें, इंजन बंद करें और हैंडब्रेक लगाएँ। जैक और टूल्स तैयार रखें।
- प्रेशर चेक: सभी टायरों में कंपनी की सलाह के अनुसार हवा भरें (आगे 28-32 PSI, पीछे 12-18 PSI)। गलत प्रेशर से घिसाव बढ़ता है।
- रोटेशन पैटर्न:
- आगे बायाँ → पीछे दायाँ
- आगे दायाँ → पीछे बायाँ
- पीछे बायाँ → आगे दायाँ
- पीछे दायाँ → आगे बायाँ (क्रॉस पैटर्न सबसे अच्छा है।)
- जाँच: रोटेशन के बाद कट, दरार या असमान घिसाव देखें। बोल्ट टाइट करें।
- टेस्ट ड्राइव: 5-10 मिनट चलाकर ग्रिप और बैलेंस चेक करें।
अगर टायर डायरेक्शनल हैं, तो केवल आगे-पीछे स्वैप करें। अनुभवी मैकेनिक से पहली बार करवाएँ।
इस तरह से टायरों की लाइफ और बढ़ाएँ
- सही प्रेशर: कम हवा से टायर गर्म होते हैं और फट सकते हैं, ज्यादा से किनारे घिसते हैं।
- ओवरलोडिंग न करें: वजन सीमा से 20% ज्यादा न लादें।
- खेत में सावधानी: तेज मोड़ न लें, कीचड़ में फंसने से बचें।
- साफ-सफाई: कीचड़ हटाएँ, ताकि लग्स न घिसें।
- मैनुअल फॉलो: ब्रांड (जैसे जॉन डियर, स्वराज) की सलाह पढ़ें।
ये छोटे कदम टायरों की लाइफ 40% तक बढ़ा सकते हैं और सालाना 20,000-30,000 रुपये बचत करा सकते हैं।
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