किसान भाइयों अरहर, जिसे रेड ग्राम या तुअर भी कहते हैं, किसानों की कमाई का बड़ा साधन है। यह नई किस्म अपनी उत्कृष्ट गुणवत्ता और अनोखे स्वाद के लिए मशहूर है। यह ज्यादा पैदावार देती है और इसके दाने चमकदार, स्वादिष्ट होते हैं, जो बाज़ार में खूब पसंद किए जाते हैं। गाँवों में देखा गया है कि इस किस्म की खेती से कम खर्च में अच्छा मुनाफा मिलता है। यह नस्ल रोगों से लड़ने में भी सक्षम है, जिससे कीटनाशकों पर खर्च कम होता है। आइए, जानते हैं कि इस नई नस्ल की खेती कैसे करें और यह किसानों के लिए क्यों खास है।
मिट्टी और मौसम का सही तालमेल
इस TS-3R रेड ग्राम की खेती के लिए दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि मिट्टी का पीएच 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए, ताकि पौधों को पूरा पोषण मिले। खेत को 2-3 बार जोतकर तैयार करें और 5-7 टन गोबर की खाद डालें। गाँवों में अनुभव है कि गोबर की खाद मिट्टी को उपजाऊ बनाती है, जिससे पौधे मजबूत बनते हैं और दाने भारी होते हैं। यह नस्ल मध्यम गर्म और ठंडे मौसम में अच्छी तरह बढ़ती है। 25-30 डिग्री तापमान इसके लिए आदर्श है। बारिश शुरू होने पर, यानी जून-जुलाई में बुवाई करें, ताकि फसल समय पर तैयार हो जाए।
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बुवाई का आसान देसी तरीका
इस किस्म के बीज उच्च गुणवत्ता वाले होते हैं, जो ज्यादा पैदावार और रोगों से लड़ने की ताकत देते हैं। कृषि विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि बुवाई से पहले बीज को 2-3 ग्राम थायरम या केप्टान से उपचारित करें, ताकि फंगस से बचाव हो। एक हेक्टेयर के लिए 15-20 किलो बीज पर्याप्त हैं। बीज को 5-6 सेंटीमीटर गहराई में और 30-40 सेंटीमीटर की दूरी पर बोएं। गाँवों में ड्रिल विधि से बुवाई करने से पौधे एक समान बढ़ते हैं। बुवाई के बाद हल्का पानी दें, ताकि बीज अच्छे से अंकुरित हों। यह तरीका सरल है और फसल की शुरुआत को मजबूत बनाता है।
खेती को बनाएं और असरदार
अरहर की इस किस्म की खेती (TS-3R Arhar Farming) में सही देखभाल से पैदावार बढ़ सकती है। गाँवों में अनुभव है कि ड्रिप इरिगेशन का उपयोग करने से पानी की बचत होती है और पौधों को सही मात्रा में पोषण मिलता है। अगर ड्रिप सिस्टम नहीं है, तो 10-15 दिन के अंतराल पर पानी दें। खेत में खरपतवार को समय-समय पर हटाएं, ताकि पौधों को पूरा पोषण मिले। नीम की पत्तियों का रस या लहसुन-मिर्च का मिश्रण पानी में मिलाकर छिड़कें, ताकि कीटों से बचाव हो। फूल आने के समय यह छिड़काव करने से फलियों की संख्या बढ़ती है।
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कीट और रोगों से फसल की सुरक्षा
इस नई की फसल को फ्यूजेरियम विल्ट और पॉड बोरर जैसे कीटों से खतरा हो सकता है। कृषि विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि बुवाई से पहले बीज को 3 ग्राम कार्बेन्डाजिम से उपचारित करें। अगर पौधों में कीट दिखें, तो नीम का तेल 5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें। गाँवों में देखा गया है कि नीम का रस छिड़कने से पॉड बोरर का हमला कम होता है। खेत में पानी का जमाव न होने दें, वरना जड़ें सड़ सकती हैं। अगर फलियों में छेद दिखें, तो तुरंत हल्का कीटनाशक छिड़कें। ये देसी तरीके सस्ते हैं और फसल को सुरक्षित रखते हैं।
बीज कैसे प्राप्त करें
इस TS-3R किस्म के बीज आसानी से उपलब्ध हैं। 5 किलो बीज का पैक केवल ₹844 में NSC के mystore.in पर ऑनलाइन ऑर्डर किया जा सकता है। यह पैक छोटे और मध्यम खेतों के लिए पर्याप्त है। इसके अलावा, नजदीकी कृषि सेवा केंद्र या पंजीकृत बीज की दुकानों से भी बीज खरीदे जा सकते हैं। खरीदने से पहले बीज की गुणवत्ता और पैकेजिंग की जाँच करें, ताकि आपको सही और उच्च गुणवत्ता वाले बीज मिलें।
ज्यादा उपज, बढ़िया मुनाफा
इस नई किस्म की खेती कम लागत में बढ़िया मुनाफा देती है। एक हेक्टेयर में इसकी खेती से 15-20 क्विंटल तक पैदावार मिल सकती है। इसके दाने चमकदार, स्वादिष्ट, और बाज़ार में मांग वाले हैं, जो 60-80 रुपये प्रति किलो तक बिकते हैं। यह नस्ल रोगों से लड़ने में सक्षम है, जिससे कीटनाशकों पर खर्च कम होता है। इसके फल लंबे समय तक ताजे रहते हैं, जिससे दूर के बाज़ारों में भी बेचे जा सकते हैं। इस नस्ल को आजमाएं और अपनी खेती को कमाई का खजाना बनाएं।
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