तुलसी की खेती : सिर्फ 90 दिन में होगी लाखों की कमाई, 2000 रूपये लीटर बिकता है इसका तेल

किसान भाइयों, तुलसी की खेती कम लागत में बंपर कमाई का शानदार तरीका है। तुलसी की पत्तियाँ, बीज, और लकड़ी आयुर्वेद, पूजा, और कॉस्मेटिक उद्योग में बिकती हैं। भारत में, खासकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, और राजस्थान में इसकी माँग बढ़ रही है। 1 बीघा से 200-300 किलो सूखी पत्तियाँ, 50-100 किलो बीज, और लकड़ी मिलती है, जिससे 50,000-1 लाख रुपये सालाना मुनाफा हो सकता है। ये पौधा 2-3 साल तक उत्पादन देता है और कम पानी, कम देखभाल में उगता है। लागत 10,000-15,000 रुपये/बीघा है। आइए जानें तुलसी की खेती कैसे करें।

तुलसी की खासियत

तुलसी (Ocimum sanctum) एक औषधीय और पवित्र पौधा है। इसकी प्रमुख किस्में श्यामा (काली) और रामा (हरी) हैं। ये 15-35 डिग्री तापमान और 500-1500 मिमी बारिश में उगता है। पत्तियाँ आयुर्वेदिक दवाओं, चाय, तेल में, बीज तेल और पूजा में, और लकड़ी माला, अगरबत्ती में इस्तेमाल होती है। तुलसी रोग-प्रतिरोधक है, और कीट कम लगते हैं। एक पौधा 100-200 ग्राम सूखी पत्तियाँ और 20-50 ग्राम बीज देता है। बाजार में पत्तियाँ 100-200 रुपये/किलो, बीज 300-500 रुपये/किलो, और लकड़ी 50-100 रुपये/किलो बिकती है। माँग पूजा स्थलों, आयुर्वेद कंपनियों में बढ़ रही है।

खेत और मिट्टी की तैयारी

तुलसी के लिए दोमट, बलुई मिट्टी (pH 6-7.5) बेस्ट है। खेत की जुताई करें, 1-2 टन गोबर खाद या 500 किलो वर्मी कम्पोस्ट प्रति बीघा डालें। खेत को समतल करें और जलनिकासी सुनिश्चित करें, क्योंकि ज्यादा पानी जड़ों को नुकसान पहुँचाता है। 2-3 फीट चौड़ी क्यारियाँ बनाएँ। मार्च-अप्रैल (जायद) या जून-जुलाई (खरीफ) में रोपण करें। छोटे किसान 0.5 बीघा या गमलों से शुरू कर सकते हैं। सही तैयारी से पौधे जल्दी बढ़ते हैं, और पहली कटाई 60-90 दिन में मिलती है।

बीज और रोपण का तरीका

तुलसी के बीज या पौधे नर्सरी, कृषि केंद्र, या ऑनलाइन (Amazon, NurseryLive) से लें। प्रति बीघा 1-1.5 किलो बीज (200-300 रुपये/किलो) या 10,000-12,000 पौधे चाहिए। बीज को 12 घंटे पानी में भिगोएँ और जीवामृत (500 मिलीलीटर/किलो) से उपचारित करें। नर्सरी में 2-3 सेमी गहराई पर बीज बोएँ, 30-40 दिन बाद पौधे खेत में रोपें। खेत में 45×45 सेमी दूरी पर पौधे लगाएँ। रोपण के बाद हल्की सिंचाई करें। 7-10 दिन में पौधे जड़ पकड़ लेते हैं। सही रोपण से उत्पादन 20-30% बढ़ता है।

देखभाल और सिंचाई का समय

तुलसी की देखभाल आसान है। गर्मी में हर 5-7 दिन और सर्दी में 10-15 दिन बाद हल्की सिंचाई करें। ड्रिप सिस्टम से पानी की बचत होती है। हर 30 दिन में 300-400 किलो वर्मी कम्पोस्ट डालें। खरपतवार हटाने के लिए 20-25 दिन बाद गुड़ाई करें। पत्ती खाने वाले कीटों से बचाने के लिए नीम का तेल (5 मिलीलीटर/लीटर पानी) छिड़कें। ज्यादा पानी से जड़ सड़न हो सकती है। सर्दी में पौधों को ढकें। सही देखभाल से एक बीघा में 200-300 किलो सूखी पत्तियाँ और 50-100 किलो बीज मिलते हैं।

कटाई और उत्पादन कब लें

पहली कटाई 60-90 दिन बाद करें, जब पौधा 30-40 सेमी ऊँचा हो। पत्तियों को सुबह काटें, ताकि ताजगी बनी रहे। हर 30-40 दिन बाद पत्तियाँ तोड़ें। बीज के लिए फूलों को पकने दें और सूखने पर काटें। लकड़ी के लिए 2-3 साल बाद पौधे की मोटी टहनियाँ काटें। एक बीघा से सालाना 200-300 किलो सूखी पत्तियाँ, 50-100 किलो बीज, और 100-200 किलो लकड़ी मिलती है। पत्तियाँ छाया में सुखाएँ और हवाबंद डिब्बों में रखें। सही कटाई से पौधा 2-3 साल तक उत्पादन देता है।

बिक्री और कमाई हिसाब

तुलसी की पत्तियाँ, बीज, और लकड़ी की बिक्री आसान है। पत्तियाँ 100-200 रुपये/किलो, बीज 300-500 रुपये/किलो, और लकड़ी 50-100 रुपये/किलो बिकती है। लोकल मंडी, आयुर्वेदिक दवा कंपनियों (पतंजलि, डाबर), पूजा सामग्री दुकानों, या ऑनलाइन (IndiaMART, Amazon) पर बेचें। सूखी पत्तियों से चाय, तेल, या पाउडर बनाकर 300-500 रुपये/किलो कमाएँ। एक बीघा से 200 किलो पत्तियाँ (30,000 रुपये), 50 किलो बीज (15,000 रुपये), और 100 किलो लकड़ी (5,000 रुपये) से 50,000-60,000 रुपये कमाई होती है। लागत 10,000-15,000 रुपये घटाकर 35,000-50,000 रुपये मुनाफा। बड़े स्तर पर (2-3 बीघा) 1-1.5 लाख रुपये सालाना कमाई संभव है।

तुलसी की खेती में स्वस्थ बीज या पौधे चुनें। ज्यादा पानी न दें। रासायनिक खाद से बचें, जैविक खाद इस्तेमाल करें। पौधों को हवादार जगह पर लगाएँ। स्थानीय आयुर्वेदिक कंपनियों से बिक्री के लिए कॉन्ट्रैक्ट करें। छोटे स्तर पर गमलों या 0.5 बीघा से शुरू करें। बागवानी योजनाओं से सब्सिडी लें। तुलसी की खेती न सिर्फ कमाई देती है, बल्कि पर्यावरण और स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाती है।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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