ब्रायलर छोड़िए, इस पक्षी की फार्मिंग से 7 महीने में कमाएं तीन गुना से ज्यादा मुनाफा, गर्मियों में जबरदस्त डिमांड!

Turkey Bird Palan: आजकल गाँव के कई किसान भाई मुर्गी पालन की तरफ बढ़ रहे हैं, लेकिन ज्यादातर लोग ब्रायलर मुर्गियों को ही पालते हैं। ब्रायलर में फायदा तो अच्छा है, पर गर्मियों में बीमारियों का डर और नुकसान की चिंता भी बनी रहती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ऐसा पक्षी है, जिसे पालने में बीमारी का डर लगभग न के बराबर है और मुनाफा लागत से तीन गुना तक हो सकता है?

जी हाँ, हम बात कर रहे हैं टर्की की। बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के पशु वैज्ञानिक बताते हैं कि टर्की पालन गर्मियों में किसानों के लिए सोने का अंडा देने वाली मुर्गी साबित हो सकता है। आइए, जानते हैं कि टर्की पालन कैसे शुरू करें और इसके क्या फायदे हैं।

टर्की पालन क्यों है खास

टर्की एक विदेशी पक्षी है, लेकिन अब बिहार, उत्तर प्रदेश और देश के कई हिस्सों में इसे बड़े पैमाने पर पाला जा रहा है। गर्मियों में जहाँ ब्रायलर मुर्गियों को वायरल बीमारियाँ जल्दी जकड़ लेती हैं, वहीं टर्की की खासियत है कि यह बीमारियों से बचा रहता है। पश्चिम चंपारण के कृषि विज्ञान केंद्र के पशुपालन वैज्ञानिक बताते हैं कि गर्मी के मौसम में ब्रायलर का वजन बढ़ना रुक जाता है और बाजार में उनकी माँग भी कम हो जाती है।

लेकिन टर्की की डिमांड साल भर, खासकर गर्मियों में, बनी रहती है। इसका मांस न सिर्फ स्वादिष्ट होता है, बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद है। कई लोग इसे औषधीय गुणों वाला मानते हैं, जिसकी वजह से बाजार में इसकी कीमत भी अच्छी मिलती है।

Turkey Bird Palan
Turkey Bird Palan 

टर्की की देखभाल कैसे करें

टर्की पालन (Turkey Bird Palan) शुरू करना कोई रॉकेट साइंस नहीं है। आप इसे छोटे स्तर पर चूजों से शुरू कर सकते हैं। शुरुआती एक महीने में चूजों की अच्छी देखभाल जरूरी होती है। इस दौरान उन्हें साफ और हवादार जगह पर रखें, ताकि कोई इंफेक्शन न हो। चूजों को गर्मी और ठंड से बचाने के लिए छोटा सा दर्बा या शेड बनाना काफी है।

उन्हें समय पर दाना और साफ पानी दें। एक बार जब चूजे बड़े हो जाते हैं, तो उनकी देखभाल और भी आसान हो जाती है। गाँव में कई किसान भाई बताते हैं कि टर्की को पालना ब्रायलर से ज्यादा आसान है, क्योंकि ये ज्यादा नखरे नहीं करते और जल्दी बड़े हो जाते हैं। बस इस बात का ध्यान रखें कि झुंड में कोई बीमार पक्षी न आए, नहीं तो बाकियों को भी नुकसान हो सकता है।

कितना खर्चा, कितना मुनाफा

अब बात करते हैं टर्की पालन के खर्चे और कमाई की। एक नर टर्की को पालने में हर महीने करीब 150 रुपये का खर्च आता है। यानी 7 महीने में एक टर्की पर कुल 1000-1100 रुपये खर्च होते हैं। इस दौरान टर्की बड़ा होकर 10-12 किलो का हो जाता है। बाजार में टर्की का मांस 400 से 450 रुपये प्रति किलो तक बिकता है।

अगर आप इसे 400 रुपये प्रति किलो के हिसाब से भी बेचते हैं, तो एक टर्की से 4800 रुपये तक की कमाई हो सकती है। यानी लागत से तीन गुना से ज्यादा मुनाफा। कई बार तो होटल और रेस्तरां वाले सीधे किसानों से टर्की खरीदते हैं, जिससे और अच्छा दाम मिल जाता है। गर्मियों में इसकी डिमांड बढ़ने से मुनाफा और बढ़ सकता है।

Turkey Bird Palan
Turkey Bird Palan

गर्मियों में टर्की पालन के फायदे

गर्मियों में टर्की पालन (Turkey Bird Palan) की सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें नुकसान का डर बहुत कम होता है। ब्रायलर में गर्मी की वजह से चिकन की ग्रोथ रुक जाती है और बीमारियाँ फैलने का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन टर्की इन सबसे बचा रहता है। इसका शरीर गर्मी को झेलने में सक्षम होता है, जिससे किसानों को बार-बार दवाइयों का खर्च नहीं उठाना पड़ता।

साथ ही, टर्की का मांस ब्रायलर से ज्यादा प्रोटीन और कम फैट वाला होता है, जिसकी वजह से इसे खाने वाले लोग इसे खूब पसंद करते हैं। गाँव के कई किसान बताते हैं कि एक बार टर्की पालन शुरू करने के बाद उन्होंने ब्रायलर की तरफ मुड़कर नहीं देखा, क्योंकि इसमें मेहनत कम और फायदा ज्यादा है।

पालकों के लिए सलाह

अगर आप टर्की पालन (Turkey Bird Palan) शुरू करना चाहते हैं, तो पहले अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या पशुपालन विशेषज्ञ से सलाह लें। अच्छी नस्ल के चूजे चुनें और शुरुआत छोटे स्तर पर करें। टर्की को साफ-सुथरी जगह पर रखें और उनके खाने में बाजरा, मक्का या सस्ता दाना मिलाएँ, ताकि खर्चा कम रहे।

समय-समय पर उनके रहने की जगह को साफ करते रहें, ताकि बीमारी का खतरा न हो। अगर आपके गाँव में टर्की की मार्केट नहीं है, तो नजदीकी शहर के होटलों या मांस की दुकानों से संपर्क करें। एक बार बाजार बन जाए, तो आप इसे बड़े स्तर पर भी कर सकते हैं। टर्की पालन न सिर्फ आपकी जेब भर सकता है, बल्कि गर्मियों में होने वाले नुकसान से भी बचा सकता है।

टर्की पालन आज के समय में किसानों के लिए एक सुनहरा मौका है। कम मेहनत, कम लागत और ज्यादा मुनाफे के साथ यह आपके लिए नई राह खोल सकता है।

ये भी पढ़ें- दूध और मीट दोनों में जबरदस्त, जानिए बकरियों की वो 3 नस्लें जिन पर पशुपालन मंत्रालय ने लगाई मुहर

Author

  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और मैंने संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं Krishitak.com का संस्थापक और प्रमुख लेखक हूं। पिछले 3 वर्षों से मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाएं, और ग्रामीण भारत से जुड़े विषयों पर लेखन कर रहा हूं।

    Krishitak.com के माध्यम से मेरा उद्देश्य है कि देशभर के किसानों तक सटीक, व्यावहारिक और नई कृषि जानकारी आसान भाषा में पहुँचे। मेरी कोशिश रहती है कि हर लेख पाठकों के लिए ज्ञानवर्धक और उपयोगी साबित हो, जिससे वे खेती में आधुनिकता और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ सकें।

    View all posts

Leave a Comment