उत्तराखंड की जीबी पंत एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी ने दलहन की खेती करने वाले किसानों के लिए एक राहत भरी खबर दी है। यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने उड़द की दो नई किस्में—पंत उड़द-13 और पंत उड़द-14—विकसित की हैं। इन किस्मों को ज्यादा उत्पादन और रोग प्रतिरोधक क्षमता को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये किस्में मौजूदा जलवायु परिस्थितियों में बेहतर प्रदर्शन करेंगी, जिससे किसानों की कमाई में इजाफा होगा।
पंत उड़द-13 की खासियत
पंत उड़द-13 उन इलाकों के लिए खासतौर पर तैयार की गई है, जहाँ मानसून के दौरान बारिश कम होती है। ये किस्म 75 से 80 दिनों में पककर तैयार हो जाती है, जिससे किसान जल्दी बुवाई और कटाई कर सकते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इसकी उपज क्षमता 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है। पंत उड़द-13 पीला मोजेक वायरस और झुलसा रोग के खिलाफ काफी हद तक प्रतिरोधक है। इस वजह से किसानों को फसल की सुरक्षा के लिए कीटनाशकों पर कम खर्च करना पड़ेगा। ये किस्म कम पानी वाले क्षेत्रों में भी अच्छी पैदावार देती है।
पंत उड़द-14 से बंपर पैदावार
पंत उड़द-14 एक मध्यम अवधि में पकने वाली किस्म है, जो 80 से 85 दिनों में तैयार हो जाती है। ये किस्म भूरे रंग के बड़े दाने देती है, जो बाजार में खूब पसंद किए जाते हैं। इसकी उपज क्षमता 12 से 14 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक बताई गई है। पंत उड़द-14 पत्ती मुड़ान रोग और जड़ सड़न जैसे रोगों के प्रति सहनशील है। ये किस्म खासतौर पर तराई और समतल क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। बाजार में इसके बड़े दानों की अच्छी डिमांड है, जिससे किसानों को ज्यादा मुनाफा होगा।
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कम लागत में ज्यादा मुनाफा
जीबी पंत यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने बताया कि पंत उड़द-13 और पंत उड़द-14 जल्दी पकने वाली और ज्यादा उत्पादन देने वाली किस्में हैं। इनमें कीट और बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी ज्यादा है, जिससे रासायनिक दवाओं पर होने वाला खर्च कम होगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये किस्में पारंपरिक उड़द की किस्मों से ज्यादा पैदावार देती हैं। अगर इन किस्मों को बड़े पैमाने पर अपनाया गया, तो ये क्षेत्रीय स्तर पर दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम होगा। इससे लागत कम होगी और मुनाफा ज्यादा होगा।
किसानों से अपील
जीबी पंत यूनिवर्सिटी ने किसानों से अपील की है कि वे पंत उड़द-13 और पंत उड़द-14 को अपनाएँ, ताकि कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सके। यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने बताया कि ये दोनों किस्में खेती को आसान और फायदेमंद बनाएँगी। अगर किसान इन किस्मों को अपने खेतों में लगाएँगे, तो उनकी आय में बढ़ोतरी होगी। इसके लिए किसान अपने नजदीकी कृषि केंद्र से संपर्क कर इन किस्मों के बीज ले सकते हैं। यूनिवर्सिटी का मकसद है कि किसान भाई आधुनिक खेती की तरफ बढ़ें और ज्यादा कमाई करें।
उड़द की खेती से नया रास्ता
उड़द की इन नई किस्मों से न सिर्फ किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि खेती में रासायनिक दवाओं का इस्तेमाल भी कम होगा। पंत उड़द-13 और पंत उड़द-14 की खेती से किसान कम समय में ज्यादा पैदावार ले सकते हैं। बाजार में उड़द की अच्छी डिमांड रहती है, और इन किस्मों के बड़े दानों की कीमत भी ज्यादा मिलेगी। अगर आप भी उड़द की खेती करते हैं, तो इन नई किस्मों को आजमाएँ और अपनी कमाई बढ़ाएँ।
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