Moong Farming : आजकल गाँव के किसान भाई मूंग की खेती की ओर बढ़ रहे हैं, क्योंकि ये कम लागत में अच्छा मुनाफा देती है। इसी को ध्यान में रखते हुए चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU) ने मूंग की दो उन्नत किस्मों MH 1762 और MH 1772 के बीज ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुँचाने के लिए राजस्थान एग्री सीड्स कंपनी के साथ समझौता किया है। इस करार से न सिर्फ किसानों को विश्वसनीय बीज मिलेंगे, बल्कि उनकी पैदावार में भी 10-15% तक का इजाफा होगा।
MH 1762 और MH 1772 की खासियत
विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने बताया कि मूंग की ये दोनों किस्में पीला मोजेक वायरस और अन्य रोगों के प्रति प्रतिरोधी हैं। MH 1762 को बसंत और ग्रीष्मकाल में भारत के उत्तर-पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों (जैसे हरियाणा, पंजाब) में बोने के लिए अनुमोदित किया गया है, जो 60 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। वहीं, MH 1772 खरीफ सीजन में उत्तर-पूर्वी मैदानी क्षेत्रों (जैसे पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार) के लिए मंजूर है और ये 67 दिनों में तैयार होती है।
इन दोनों किस्मों के दाने चमकीले हरे और मध्यम आकार के होते हैं। MH 1762 की औसत पैदावार 14.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और MH 1772 की 13.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। ये दोनों किस्में मौजूदा प्रचलित किस्मों से 10-15% ज्यादा उपज देती हैं। सही प्रबंधन के साथ इनसे और भी बेहतर परिणाम मिल सकते हैं।
खेत को ऐसे करें तैयार
मूंग की खेती के लिए खेत की अच्छी तैयारी जरूरी है। सबसे पहले खेत की दो-तीन बार जुताई करें, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। खरपतवार साफ करें और जैविक खाद डालें। MH 1762 के लिए मार्च-अप्रैल (ग्रीष्मकाल) और MH 1772 के लिए जुलाई-अगस्त (खरीफ) का समय बुवाई के लिए सबसे सही है। पौधों के बीच 10 सेमी और पंक्तियों के बीच 30 सेमी की दूरी रखें। बुवाई से पहले मौसम और मिट्टी की नमी का ध्यान रखें, ताकि अंकुरण अच्छा हो।
बीज कैसे मिलेंगे
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने राजस्थान एग्री सीड्स कंपनी के साथ करार किया है, जिसके तहत कंपनी इन उन्नत किस्मों के बीज तैयार करेगी और किसानों तक पहुँचाएगी। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने कहा कि ज्यादा से ज्यादा किसानों तक उन्नत बीज पहुँचाने के लिए अलग-अलग राज्यों की कंपनियों के साथ ऐसे समझौते किए जा रहे हैं। कंपनी विश्वविद्यालय को लाइसेंस फीस देगी, जिसके बाद उसे बीज उत्पादन और बिक्री का अधिकार मिलेगा।
किसानों के लिए फायदा
ये समझौता किसानों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है। MH 1762 और MH 1772 जैसी उन्नत किस्मों से न सिर्फ पैदावार बढ़ेगी, बल्कि रोगों से होने वाला नुकसान भी कम होगा। मूंग की खेती मिट्टी में नाइट्रोजन बढ़ाती है, जिससे अगली फसल को भी फायदा होता है। तो गाँव के किसान भाइयों, इस मौके का लाभ उठाएँ। राजस्थान एग्री सीड्स कंपनी से संपर्क करें और इन उन्नत बीजों के साथ अपनी खेती को नई ऊँचाइयों तक ले जाएँ।