किसानों की लगी लॉटरी! सरकार सीधे दे रही है ₹3900 प्रति हैक्टेयर, जानें कैसे मिलेगा फायदा

मध्यप्रदेश के किसान खेती में नए कीर्तिमान बना रहे हैं। चाहे दालों का उत्पादन हो, खाद्यान्न हो या तिलहन, प्रदेश ने देश में अपनी मजबूत जगह बना ली है। दालों में पहला, खाद्यान्न में दूसरा और तिलहन में तीसरा स्थान हासिल करने के पीछे सरकार की नई नीतियां और किसानों की मेहनत है। अब मध्यप्रदेश श्रीअन्न (मोटे अनाज) की खेती को बढ़ावा देने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। रागी, कोदो-कुटकी, ज्वार-बाजरा और मक्का जैसे पौष्टिक अनाजों की खेती से किसानों की कमाई बढ़ाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं।

श्रीअन्न की खेती को बढ़ावा

मध्यप्रदेश सरकार ने श्रीअन्न की खेती को बढ़ाने का बड़ा फैसला लिया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने साफ निर्देश दिए हैं कि रागी, कोदो-कुटकी, ज्वार-बाजरा और मक्का की खेती को प्रोत्साहित किया जाए। इन फसलों की खास बात ये है कि ये कम पानी और कम खर्च में उग जाती हैं। साथ ही, इनकी मांग बाजार में बढ़ रही है, क्योंकि लोग अब पौष्टिक खाने की ओर रुख कर रहे हैं। सरकार ने वादा किया है कि किसानों द्वारा उगाए गए श्रीअन्न को सीधे खरीदा जाएगा, ताकि उन्हें सही दाम मिले और बिचौलियों का खेल खत्म हो। ये कदम किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा बदलाव ला रहा है।

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रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना

श्रीअन्न की खेती को और आकर्षक बनाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना शुरू की है। इस योजना में किसानों को प्रति हेक्टेयर 3900 रुपये की अतिरिक्त सहायता दी जा रही है। ये राशि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के अलावा होगी, जो कोदो-कुटकी, ज्वार-बाजरा जैसे अनाजों की खरीद पर मिलता है। ये पैसा सीधे किसानों के बैंक खातों में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के जरिए पहुंचेगा। इस योजना से किसानों को न सिर्फ अच्छा दाम मिलेगा, बल्कि खेती में निवेश के लिए भी अतिरिक्त पूंजी मिलेगी।

फसल बीमा और किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ

मध्यप्रदेश में किसानों को कई दूसरी योजनाओं का भी फायदा मिल रहा है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत फसल खराब होने पर मुआवजा मिलता है, जिससे किसानों का नुकसान कम होता है। इस योजना में खरीफ फसलों के लिए 2%, रबी फसलों के लिए 1.5% और बागवानी फसलों के लिए 5% प्रीमियम देना होता है, बाकी खर्च सरकार वहन करती है। इससे किसान बिना डर के नई फसलों की खेती कर सकते हैं।

किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) भी किसानों के लिए बड़ी राहत है। इसके जरिए कम ब्याज पर लोन मिलता है, जिससे बीज, खाद और कीटनाशक जैसी जरूरतें पूरी की जा सकती हैं। 2019 में इस योजना को पशुपालन और मछली पालन तक बढ़ाया गया, ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान इसका लाभ उठा सकें।

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मिट्टी की सेहत और सिंचाई सुविधाएं

मिट्टी की सेहत बनाए रखने के लिए सॉयल हेल्थ कार्ड योजना चल रही है। इस योजना में किसानों को उनकी मिट्टी की जांच की जानकारी दी जाती है, ताकि वो सही खाद और पोषक तत्वों का इस्तेमाल कर सकें। इससे फसल की पैदावार बढ़ती है और मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है।

साथ ही, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) के तहत ‘हर खेत को पानी’ और ‘मोर क्रॉप पर ड्रॉप’ का लक्ष्य रखा गया है। ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी तकनीकों से पानी की बचत होती है और फसल को सही समय पर पानी मिलता है। छोटे और मझोले किसानों को इनके लिए 55% तक सब्सिडी मिलती है।

सोयाबीन खरीद में रिकॉर्ड

मध्यप्रदेश ने सोयाबीन की खरीद में भी बड़ा रिकॉर्ड बनाया है। भारत सरकार की न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के तहत 2,12,568 किसानों से 6.22 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन खरीदा गया, जिसके लिए 3043 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। ये पैसा सीधे किसानों के खातों में पहुंचा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई। ये दिखाता है कि सरकार किसानों को सही दाम और समय पर भुगतान देने के लिए कितनी गंभीर है।

क्यों खास है श्रीअन्न की खेती?

श्रीअन्न जैसे कोदो, कुटकी, ज्वार और बाजरा न सिर्फ पौष्टिक हैं, बल्कि इन्हें उगाने में कम खर्च और कम पानी लगता है। ये फसलें सूखा और कम उपजाऊ जमीन में भी अच्छी पैदावार देती हैं। मध्यप्रदेश के मंदला, डिंडोरी, बालाघाट, शहडोल जैसे जिलों में इनकी खेती पहले से हो रही है, और अब सरकार इन्हें पूरे प्रदेश में बढ़ावा दे रही है। इन फसलों की मांग देश-विदेश में बढ़ रही है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा मिल सकता है।

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  • Shashikant

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