UP Budget: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल का चौथा बजट पेश किया है, और इस बार वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने किसानों के लिए कई बड़ी घोषणाएँ की हैं। खेती, बागवानी, पशुपालन, दूध उत्पादन, मछली पालन, सहकारी समितियों, गाँवों के विकास, पंचायतों, नमामि गंगे और ग्रामीण पानी की सप्लाई के लिए कुल 89,353 करोड़ रुपये रखे गए हैं। ये पूरे बजट का 11 प्रतिशत है। मतलब साफ है कि सरकार किसानों और गाँवों की तरक्की को अपनी पहली प्राथमिकता मान रही है।
खेती को ताकत देने का प्लान
खेतों में नई ताकत लाने के लिए सरकार ने कई योजनाएँ बनाई हैं। यूपी एग्रीज परियोजना के लिए 200 करोड़ रुपये और खेती की क्षमता बढ़ाने वाली दूसरी स्कीम के लिए भी 200 करोड़ रुपये रखे गए हैं। इसके अलावा पीएम कुसुम योजना के तहत खेतों में सोलर पंप लगाने के लिए 509 करोड़ रुपये का इंतजाम किया गया है। इससे किसानों को बिजली की चिंता नहीं रहेगी, और पानी की सुविधा आसानी से मिलेगी। गाँव में लोग कहते हैं कि सूरज की ताकत से खेत चलें, तो मेहनत का फल दुगना हो जाता है।
दुर्घटना में मदद करेगी सरकार
किसानों की मेहनत को सम्मान देने के लिए मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना को और मजबूत किया गया है। अगर कोई किसान भाई दुर्घटना का शिकार हो जाता है, तो इस योजना से उसे या उसके परिवार को आर्थिक सहायता मिलेगी। ये योजना 2019 से चल रही है, और अब इसके लिए 1,050 करोड़ रुपये रखे गए हैं। ये कदम दिखाता है कि सरकार किसानों के हर सुख-दुख में उनके साथ खड़ी है।
गन्ना किसानों की सुनवाई
उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक राज्य है, और गन्ना यहाँ की अर्थव्यवस्था का बड़ा आधार है। वित्त मंत्री ने कहा कि 2017 से अब तक 46 लाख गन्ना किसानों को 2.73 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। ये पिछले 22 सालों के भुगतान से 59,143 करोड़ रुपये ज्यादा है। गन्ने की पैदावार भी 72 टन प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 85 टन हो गई है, जिससे किसानों की कमाई में 43,364 रुपये प्रति हेक्टेयर की बढ़ोतरी हुई है। गन्ना मूल्य के भुगतान के लिए 475 करोड़ रुपये, पिपराइच चीनी मिल में आसवानी के लिए 90 करोड़ रुपये और छाता चीनी मिल को फिर से शुरू करने के लिए 50 करोड़ रुपये रखे गए हैं। एस्क्रो एकाउंट की व्यवस्था से गन्ना भुगतान में पारदर्शिता भी बढ़ी है।
दलहन-तिलहन और बीज को बढ़ावा
खेतों में दलहन और तिलहन की फसल को बढ़ाने के लिए फ्री मिनीकिट बाँटने की योजना है, जिसके लिए 50 करोड़ रुपये रखे गए हैं। साथ ही, यूपी बीज स्वावलंबन नीति 2024 के तहत सीड पार्क बनाने के लिए 251 करोड़ रुपये का प्रावधान है। इससे किसानों को अच्छे बीज मिलेंगे, और फसल की पैदावार बढ़ेगी। गाँव में लोग कहते हैं कि अच्छा बीज बोओ, तो खेत में सोना उगता है।
बागवानी और प्राकृतिक खेती की राह
बागवानी को बढ़ावा देने के लिए पर ड्राप मोर क्रॉप माइक्रो इरीगेशन योजना के लिए 720 करोड़ रुपये और राष्ट्रीय बागवानी मिशन के लिए 650 करोड़ रुपये रखे गए हैं। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए 300 करोड़ रुपये का इंतजाम है। साथ ही, प्राकृतिक खेती को बढ़ाने के लिए नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग के तहत 124 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। ये कदम मिट्टी को स्वस्थ रखने और किसानों की लागत कम करने में मदद करेंगे।
दूध और गोवंश का संरक्षण
दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए नंद बाबा दुग्ध मिशन के तहत 203 करोड़ रुपये और दुग्ध संघों को मजबूत करने के लिए 107 करोड़ रुपये रखे गए हैं। गोवंश की देखभाल के लिए भी बड़े कदम उठाए गए हैं। छुट्टा गोवंश के रखरखाव के लिए 2,000 करोड़ रुपये और बड़े गो संरक्षण केंद्रों के लिए 140 करोड़ रुपये का प्रावधान है। साथ ही, गोवंश को टैग करने की योजना भी शुरू होगी, जिससे पशुपालकों को मदद मिलेगी।
मुफ्त पानी और नहरों का जाल
किसानों को मुफ्त पानी देने के लिए नहरों और सरकारी नलकूपों के लिए 1,300 करोड़ रुपये रखे गए हैं। मध्य गंगा नहर, कनहर और रोहिन नदी बैराज से 4.74 लाख हेक्टेयर खेतों को पानी मिलेगा, जिससे 6.77 लाख किसान लाभान्वित होंगे। 6,600 नलकूपों को ठीक करने और 2,100 नए नलकूप बनाने का काम चल रहा है। इससे 2.38 लाख हेक्टेयर खेतों को फायदा होगा। मुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजना के लिए भी 1,100 करोड़ रुपये रखे गए हैं।
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