किसानों को 75 प्रतिशत अनुदान पर मिलेगा जिप्सम, देखें डिटेल

खरीफ का मौसम आते ही किसान भाई अपने खेतों को तैयार करने में जुट जाते हैं। लेकिन अगर मिट्टी की सेहत अच्छी ना हो, तो मेहनत और खर्च के बावजूद फसल की पैदावार कम रह जाती है। उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों की इस मुश्किल को समझा और जिप्सम उर्वरक के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए एक शानदार योजना शुरू की है। इस योजना में जिप्सम पर 75 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है, ताकि किसान कम खर्च में ज़्यादा मुनाफा कमा सकें। जिप्सम खास तौर पर दलहन, तिलहन और जड़ वाली फसलों के लिए वरदान है। आइए जानते हैं कि ये जिप्सम आपके खेतों को कैसे फायदा दे सकता है।

जिप्सम उर्वरक क्या है और क्यों ज़रूरी है

जिप्सम एक ऐसा उर्वरक है, जो मिट्टी की सेहत को सुधारने का काम करता है। ये मिट्टी के पीएच मान को संतुलित करता है, जिससे फसलों को पोषक तत्व आसानी से मिलते हैं। इसमें कैल्शियम और सल्फर जैसे तत्व होते हैं, जो फसलों की जड़ों को मज़बूत करते हैं और उनकी बढ़त को बेहतर बनाते हैं। खासकर खरीफ की फसलों जैसे मूँग, उड़द, सोयाबीन, मूँगफली और जड़ वाली फसलों जैसे गाजर या मूली के लिए ये बहुत फायदेमंद है। जिप्सम मिट्टी की जल धारण क्षमता को भी बढ़ाता है, जिससे बारिश के मौसम में फसलों को सही मात्रा में पानी मिलता रहता है।

सरकार की अनुदान योजना

उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों की मदद के लिए जिप्सम उर्वरक पर 75 प्रतिशत अनुदान की योजना शुरू की है। इसका मतलब है कि किसान भाई को जिप्सम की पूरी कीमत का सिर्फ़ 25 प्रतिशत ही देना होगा। एक बोरी जिप्सम की कीमत 216.10 रुपये है, लेकिन अनुदान के बाद ये आपको सिर्फ़ 54 रुपये में मिलेगी। एक किसान अपने दो हेक्टेयर खेत के लिए 12 बोरी यानी 6 क्विंटल जिप्सम अनुदान पर ले सकता है। ये योजना छोटे और बड़े दोनों तरह के किसानों के लिए फायदे का सौदा है, क्योंकि कम खर्च में मिट्टी की सेहत सुधरेगी और फसल की पैदावार बढ़ेगी।

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अनुदान कैसे लें

जिप्सम पर अनुदान पाने के लिए किसानों को उत्तर प्रदेश के कृषि विभाग के पोर्टल agriculture.up.gov.in पर जाकर पंजीकरण कराना होगा। इस पोर्टल पर आपको अपने खेत और फसल की जानकारी देनी होगी। पंजीकरण के बाद आप अनुदान पर जिप्सम की 12 बोरी ले सकते हैं। कृषि विभाग के स्थानीय कार्यालय से भी संपर्क किया जा सकता है, ताकि आपको सही जानकारी और मदद मिल सके। ये प्रक्रिया इतनी आसान है कि गाँव का हर किसान इसे बिना झंझट के कर सकता है। बस समय पर आवेदन करें, ताकि बुआई से पहले जिप्सम आपके खेत में पहुँच जाए।

जिप्सम के फायदे

जिप्सम का इस्तेमाल खेत में करने से कई तरह के फायदे मिलते हैं। सबसे बड़ा फायदा ये है कि ये मिट्टी को ढीला करता है, जिससे जड़ें गहराई तक बढ़ती हैं और फसल को ज़्यादा पोषण मिलता है। दलहन और तिलहन फसलों में ये पौधों को मज़बूत बनाता है, जिससे दाने भारी और चमकदार होते हैं। जड़ वाली फसलों में जिप्सम जड़ों को और गहरा करने में मदद करता है, जिससे फसल की गुणवत्ता और मात्रा दोनों बढ़ती हैं। इसके अलावा, मिट्टी में नमी बनाए रखने की इसकी खासियत खरीफ के मौसम में बहुत काम आती है, जब बारिश अनिश्चित हो सकती है।

जिप्सम का इस्तेमाल कैसे करें

जिप्सम का इस्तेमाल करना उतना ही आसान है, जितना खेत में खाद डालना। खरीफ फसलों की बुआई से पहले खेत को अच्छे से तैयार करें और जिप्सम को बराबर मात्रा में पूरे खेत में छिड़क दें। प्रति हेक्टेयर 6 क्विंटल जिप्सम का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। छिड़काव के बाद खेत को हल्की जुताई करें, ताकि जिप्सम मिट्टी में अच्छे से मिल जाए। अगर मिट्टी बहुत सख्त या खारी है, तो जिप्सम का असर और भी बेहतर होता है। बुआई से पहले मिट्टी की जाँच करा लें, ताकि सही मात्रा में जिप्सम डाला जाए। इससे फसल को पूरा फायदा मिलेगा।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं krishitak.com पर लेखक हूं, जहां मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाओं पर केंद्रित आर्टिकल लिखता हूं। अपनी रुचि और विशेषज्ञता के साथ, मैं पाठकों को लेटेस्ट और उपयोगी जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता हूं।

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