देश में नंबर-1 क्यों बना यूपी? सालाना 400 लाख टन फल-सब्ज़ी उत्पादन की कहानी

उत्तर प्रदेश की खेती की दुनिया में एक नई कहानी लिखी जा रही है। ये राज्य अपनी उर्वर मिट्टी और मेहनती किसानों की बदौलत देश में कृषि का अग्रणी केंद्र बन चुका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने किसानों के हित को सबसे ऊपर रखते हुए कई योजनाओं और कार्यक्रमों के जरिए खेती को नई दिशा दी है। आज इस प्रदेश में सालाना 400 लाख टन फल और सब्जियाँ पैदा हो रही हैं, जिससे ये देश में पहले नंबर पर है। आइए, जानते हैं कि ये उपलब्धि कैसे हासिल हुई, और खेती को और बेहतर कैसे बनाया जा सकता है।

उत्तर प्रदेश की कृषि गाथा

उत्तर प्रदेश को हमेशा से खेती का गढ़ माना गया है, जहाँ की मिट्टी और मौसम फसलों के लिए वरदान हैं। गंगा और यमुना के मैदानों में उगने वाली फसलें न सिर्फ़ स्थानीय बाजारों को खिलाती हैं, बल्कि देशभर में अपनी पहचान बनाती हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने इस धरोहर को संजोने के लिए कई कदम उठाए हैं। उनकी नीतियों ने फल और सब्जियों के उत्पादन को 400 लाख टन तक पहुँचाया, जो एक रिकॉर्ड है। ये उपलब्धि गाँवों की मेहनत और सरकार के समर्थन का नतीजा है। आज प्रदेश की मिठास भरे आम, आलू, और हरी सब्जियाँ देश के कोने-कोने में पहुँच रही हैं।

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फल और सब्जियों की बढ़ती शान

उत्तर प्रदेश में फलों और सब्जियों की खेती ने नई ऊँचाइयों को छुआ है। यहाँ टमाटर, बैंगन, मिर्च, गोभी, और मटर जैसी सब्जियाँ बड़े पैमाने पर उगाई जाती हैं। फलों में आम, केला, और अमरूद की पैदावार देश में अव्वल है। ये सब इसलिए संभव हो सका, क्योंकि सरकार ने सिंचाई, बीज, और खाद की सुविधा बढ़ाई। मौसम के हिसाब से फसलों की बुआई और कीटों से बचाव पर ध्यान दिया गया। खासकर, गंगा-यमुना के दोआब क्षेत्र में सब्जियों की पैदावार ने बाजार को मजबूत किया है। ये उत्पादन न सिर्फ़ स्थानीय जरूरतों को पूरा करता है, बल्कि निर्यात में भी योगदान दे रहा है।

खेती को बेहतर बनाने का रास्ता

खेती को और समृद्ध बनाने के लिए देसी तरीके अपनाए जा सकते हैं। छितुआ विधि, जिसमें बीजों को खेत में छिटककर बोया जाता है, कम मेहनत में अच्छी पैदावार देती है। खेत को हल से जोतकर गोबर की खाद डालने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है। जून-जुलाई का मौसम फल और सब्जियों की बुआई के लिए सही है। अगर बारिश कम हो, तो ड्रिप सिंचाई से पानी बचाया जा सकता है। नीम के पत्तों को पानी में भिगोकर छिड़काव करने से कीटों से बचाव होता है। मिट्टी की जाँच कराने से सही खाद का चयन आसान हो जाता है। ये तरीके खेती को किफायती और मुनाफेदार बनाते हैं।

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बीज कहाँ से लें

फल और सब्जियों की खेती के लिए बीज पाना अब आसान है। नजदीकी कृषि केंद्रों या सहकारी समितियों से प्रमाणित बीज मिल सकते हैं। उत्तर प्रदेश के कृषि विभाग ने कई जिलों में बीज वितरण केंद्र खोले हैं, जहाँ टमाटर, आलू, और अन्य फसलों के बीज उपलब्ध हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के क्षेत्रीय केंद्र, जैसे लखनऊ या वाराणसी, भी उन्नत बीज देते हैं। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स, जैसे Amazon India या कृषि मंत्रालय की वेबसाइट्स, भी बीज बेचते हैं। बीज खरीदते समय ध्यान रखें कि वो रोगमुक्त हों। बुआई से पहले इन्हें 10 लीटर पानी में 20 ग्राम कार्बेन्डाज़िम के घोल में भिगोएँ।

सरकार की मदद

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अगुवाई में कई योजनाएँ चल रही हैं। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) के तहत ड्रिप सिंचाई के लिए सब्सिडी मिलती है। परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है। बीज, खाद, और मशीनरी पर छूट के साथ प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं। नदियों के किनारे वाले जिलों में खेती को बढ़ाने के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है। नजदीकी कृषि केंद्र या पंचायत से इन योजनाओं की जानकारी ले सकते हैं। ये कदम खेती को आधुनिक और मुनाफेदार बना रहे हैं।

उत्तर प्रदेश की खेती आज देश में सबसे आगे है, और ये सफर यहीं रुकने वाला नहीं। 400 लाख टन फल और सब्जियों का उत्पादन न सिर्फ़ आत्मनिर्भरता की निशानी है, बल्कि गाँवों की तरक्की का आधार भी है। सरकार के प्रयास और देसी तरीकों से खेती को और ऊँचाइयों तक ले जाया जा सकता है। कम पानी और जैविक खाद से उगने वाली ये फसलें पर्यावरण को भी बचाएँगी। आने वाले दिनों में ये प्रदेश खेती की मिसाल बन सकता है।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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