उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने किसानों की कमाई दोगुनी करने और गाँवों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र में 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के प्रोजेक्ट्स को हरी झंडी दे दी गई है। इन परियोजनाओं से न केवल कृषि उत्पादों को नई वैल्यू मिलेगी, बल्कि गाँवों में निवेश और नौकरियों की बाढ़ आ जाएगी। कृषि उत्पादन आयुक्त दीपक कुमार ने बताया कि अब तक 400 से ज्यादा प्रोजेक्ट्स को मंजूरी मिल चुकी है, जिनमें से 60 प्रोजेक्ट्स पूरी तरह शुरू हो चुके हैं। इससे किसानों को बेहतर दाम मिलेंगे और युवाओं को रोजगार के नए रास्ते खुलेंगे।
किसानों से लेकर युवाओं तक, सबको फायदा
बैठक में अपर मुख्य सचिव उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण बीएल मीणा की सलाह पर राज्य स्तरीय इम्पावर्ड कमेटी ने दो कंपनियों को खास मदद दी है। उन्नाव की स्वाद एग्रो इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड और बाराबंकी की अर्पून पेलेट फीड्स के निवेशकों हसीब खान और पूनम सिंह को फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री पॉलिसी 2023 के तहत दोनों किश्तों की सब्सिडी मिल चुकी है। इन यूनिट्स ने सफलतापूर्वक काम शुरू कर दिया है, जो अन्य निवेशकों के लिए एक मिसाल बन रहा है। यह मदद न सिर्फ छोटे व्यवसायों को बढ़ावा देगी, बल्कि किसानों की उपज को बाजार तक पहुँचाने में भी सहायक होगी।
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फ्रोजेन फूड और सब्जियों पर 50 प्रोजेक्ट्स की मंजूरी
निवेशक अब सौर ऊर्जा पर जोर दे रहे हैं, और स्वीकृत 58 प्रोजेक्ट्स में सौर संयंत्र लगाए जा चुके हैं। इससे ऊर्जा का खर्च कम होगा और पर्यावरण को फायदा पहुँचेगा। खास तौर पर फ्रोजेन फूड और सब्जी प्रसंस्करण के 50 प्रोजेक्ट्स को मंजूरी मिली है, जो किसानों को अपनी ताजी उपज को लंबे समय तक संरक्षित करने में मदद करेंगे। अपर मुख्य सचिव बीएल मीणा ने कहा कि फूड प्रोसेसिंग में क्रांति आ रही है, और विभाग की सक्रिय मॉनिटरिंग से निवेशक प्रदेश की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
पशु आहार और दुग्ध प्रसंस्करण को मिला बढ़ावा
नीति के तहत गेहूँ, चावल, तिलहन के प्रसंस्करण के साथ-साथ दुग्ध प्रसंस्करण के 22 प्रोजेक्ट्स को हरी झंडी दी गई है। इसके अलावा कुक्कुट और पशु आहार के 12 प्रोजेक्ट्स भी स्वीकृत हो चुके हैं। प्रधानमंत्री फूड प्रोसेसिंग मिनी फूड मॉल्स एंड एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर (PMFME) योजना के तहत सबसे ज्यादा प्रोजेक्ट्स वाराणसी में लगाए गए हैं। कृषि उत्पादन आयुक्त दीपक कुमार ने इन प्रयासों की सराहना की और संबंधित अधिकारियों को प्रशस्ति पत्र दिए। यह कदम पशुपालन करने वाले किसानों को विशेष रूप से फायदा पहुँचाएगा।
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स्नैक्स, नमकीन और मसालों का नया दौर
संभल के एक निवेशक ने तुलसी और अदरक जैसे उत्पादों से एसेंशियल ऑयल और खाद्य सामग्री बनाने की योजना बताई, जो मानव उपभोग के लिए उपयोगी होंगे। समिति ने एक्सट्रूडेड स्नैक्स, नमकीन, पीनट प्रोसेसिंग, मसाला प्रसंस्करण, मस्टर्ड ऑयल, सोलर प्लांट, गुड़ प्रसंस्करण, कुक्कुट फीड, मक्का पाउडर, फ्रोजेन फूड और सब्जियों जैसे 13 प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी है। इनकी कुल लागत 85.97 करोड़ रुपये है, और सब्सिडी के रूप में 20.31 करोड़ रुपये मिलेंगे। लेटर ऑफ कम्फर्ट जारी होने से ये प्रोजेक्ट्स जल्द शुरू हो सकेंगे।
1.65 हजार करोड़ की सब्सिडी जारी, 402 प्रोजेक्ट्स स्वीकृत
फूड प्रोसेसिंग नीति के तहत अब तक 10 हजार करोड़ रुपये के 402 प्रोजेक्ट्स को मंजूरी मिल चुकी है। इनकी कुल अनुमन्य सब्सिडी 3.5 हजार करोड़ रुपये है, जिसमें से 1.65 हजार करोड़ रुपये जारी हो चुके हैं। 60 प्रोजेक्ट्स पूरी तरह सक्रिय होकर उत्पादन कर रहे हैं, जो योजना की सफलता का प्रमाण है। यह सब्सिडी किसानों और छोटे उद्यमियों को सस्ते में शुरू करने में मदद करेगी।
अगले 6 महीनों में 102 प्रोजेक्ट्स शुरू होने को तैयार
अपर मुख्य सचिव बीएल मीणा ने अनुमान लगाया है कि अगले 6 महीनों में 102 प्रोजेक्ट्स शुरू हो जाएँगे। उन्होंने किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) को नीति के तहत और ज्यादा प्रोत्साहन देने पर जोर दिया। इससे FPOs मजबूत होंगे और किसानों को सामूहिक रूप से बाजार तक पहुँच मिलेगी। यह कदम ग्रामीण विकास को नई गति देगा।
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