उत्तर प्रदेश में रहने वाले किसानों और ग्रामीणों के लिए बड़ी राहत की खबर है! अब सियार, लोमड़ी, और मधुमक्खियों जैसे जंगली जानवरों और कीटों के हमले को भी राज्य आपदा की श्रेणी में शामिल कर लिया गया है। यानी अगर इन हमलों में किसी की जान जाती है या कोई घायल होता है, तो सरकार मुआवजा देगी। उत्तर प्रदेश सरकार की राज्य कार्यकारिणी समिति ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, और जल्द ही इसकी आधिकारिक अधिसूचना भी जारी होगी। यह कदम उन गाँवों के लिए बड़ा सहारा है, जहाँ जंगली जानवरों के हमले आम हैं।
पिछले साल कई दुखद घटनाएँ हुईं
पिछले साल उत्तर प्रदेश में जंगली जानवरों और कीटों के हमलों ने कई परिवारों को दुख दिया। बहराइच और आसपास के जिलों में सियारों और लोमड़ियों के हमलों में आठ बच्चों और एक महिला की जान चली गई। वहीं, देवगढ़ में मधुमक्खियों ने सीडीओ कमलाकांत पांडेय सहित नौ अधिकारियों को घायल कर दिया। पीलीभीत में भी सियारों ने सात बच्चों समेत 12 लोगों को घायल किया।
इन दुखद घटनाओं को देखते हुए सरकार ने फैसला लिया कि अब ऐसे हमलों को भी राज्य आपदा माना जाएगा। इससे पहले बेमौसम बारिश, बिजली गिरना, साँप का काटना, नीलगाय, और सांड के हमले जैसी घटनाएँ आपदा की सूची में थीं। अब सियार, लोमड़ी, और मधुमक्खी के हमले भी इस सूची में जुड़ गए हैं।
मुआवजा और मुफ्त इलाज की व्यवस्था
इस नई योजना के तहत अगर सियार, लोमड़ी, या मधुमक्खी के हमले में किसी की मौत हो जाती है, तो उनके परिवार को 4 लाख रुपये का मुआवजा मिलेगा। अगर कोई घायल होता है, तो उसका इलाज सरकारी अस्पतालों में मुफ्त होगा। लेकिन इसके लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हमले का स्पष्ट कारण होना जरूरी है। यह मुआवजा और इलाज ग्रामीण इलाकों के उन परिवारों के लिए बड़ी राहत है, जो अक्सर ऐसे हमलों का शिकार होते हैं। सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि मुआवजा जल्दी मिले, ताकि पीड़ित परिवार को तुरंत मदद मिल सके। अगर आप या आपका कोई जानने वाला ऐसी घटना का शिकार होता है, तो तुरंत इस योजना का लाभ उठाएँ।
मुआवजा पाने का आसान तरीका
मुआवजा पाने के लिए आपको कुछ आसान कदम उठाने होंगे। सबसे पहले, घटना की सूचना 1070 हेल्पलाइन नंबर पर दें या अपने जिले के डीएम (जिलाधिकारी) या एडीएम (अतिरिक्त जिलाधिकारी) को बताएँ। इसके बाद आपको एक आवेदन जमा करना होगा। तहसील स्तर पर जाँच के बाद 24 से 72 घंटे के अंदर मुआवजा देने की व्यवस्था है। यह तेजी से मदद पहुँचाने का सरकार का वादा है। अगर आप गाँव में रहते हैं और खेतों में काम करते हैं, तो इस हेल्पलाइन नंबर को अपने पास रखें। यह आपके लिए मुश्किल समय में बड़ा सहारा बन सकता है।
किसानों के लिए राहत की साँस
यह नया नियम खासकर उन किसानों के लिए राहत लेकर आया है, जो जंगली जानवरों के डर में खेतों में काम करने से कतराते हैं। बहराइच, पीलीभीत, और देवगढ़ जैसे इलाकों में सियार और लोमड़ी के हमले आम हैं। मधुमक्खियों के हमले भी खेतों में काम करने वाले किसानों के लिए खतरा बनते हैं। अब सरकार की इस योजना से न सिर्फ आर्थिक मदद मिलेगी, बल्कि किसान बिना डर के अपनी खेती कर सकेंगे। अगर आप इन इलाकों में रहते हैं, तो अपने गाँव के लोगों को इस योजना के बारे में जरूर बताएँ। यह खबर उनके लिए भी मददगार हो सकती है।
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