उत्तर प्रदेश के लिए एक बड़ी खुशखबरी है! प्रदेश सरकार बागवानी विकास मिशन के तहत अमरूद की खेती को बढ़ावा दे रही है, और इसके लिए मोटी सब्सिडी भी दे रही है। अगर आप गन्ना, धान या गेहूं जैसी पुरानी फसलों से हटकर कुछ नया करना चाहते हैं, तो अमरूद की बागवानी आपके लिए कमाल का मौका है। बाजार में अमरूद की माँग सालभर रहती है, और ये फसल कम मेहनत में अच्छा मुनाफा देती है। सरकार का मकसद है कि किसान भाई बागवानी की ओर बढ़ें और अपनी जेब भरें। आइये जानते हैं कि उत्तर प्रदेश में अमरूद की बागवानी कैसे शुरू करें और सरकार की सब्सिडी का फायदा कैसे उठाएं।
अमरूद की बागवानी
अमरूद की खेती किसानों के लिए किसी खजाने से कम नहीं। ये फल हर मौसम में बिकता है, और इसकी माँग गाँव से लेकर शहर तक बनी रहती है। सलाद हो, जूस हो या फिर कच्चा खाने के लिए, अमरूद हर किसी की पसंद है। उत्तर प्रदेश की जलवायु और मिट्टी अमरूद की खेती के लिए बिल्कुल मुफीद है। चाहे दोमट मिट्टी हो, बलुई हो या फिर चिकनी, अमरूद हर तरह की जमीन में लहलहाता है।
जिला उद्यान अधिकारी संदीप गुप्ता जी बताते हैं कि अमरूद की खेती कम लागत में शुरू हो जाती है, और एक बार पौधे लगाने के बाद 15-20 साल तक फल देती है। बाजार में अच्छे दाम और सरकार की सब्सिडी इसे और फायदेमंद बनाती है।
बागवानी विकास मिशन
उत्तर प्रदेश सरकार ने बागवानी विकास मिशन के तहत किसानों को बागवानी की ओर लाने का बीड़ा उठाया है। इस मिशन का मकसद है कि किसान पारंपरिक फसलों से हटकर अमरूद, आम, नींबू जैसी बागवानी फसलों को अपनाएं। अमरूद की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार पक्का अनुदान दे रही है, जो सीधे आपके बैंक खाते में डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के जरिए आएगा। उद्यान विभाग के अधिकारी बताते हैं कि ये योजना खास तौर पर छोटे और सीमांत किसानों के लिए बनाई गई है, ताकि वो कम जमीन में भी बड़ा मुनाफा कमा सकें। योजना का फायदा लेने के लिए आपको उद्यान विभाग में पंजीकरण कराना होगा।
नॉर्मल स्पेसिंग
अगर आप कम पौधों के साथ अमरूद की खेती शुरू करना चाहते हैं, तो नॉर्मल स्पेसिंग वाला तरीका बेस्ट है। इसमें एक हेक्टेयर में 277 पौधे लगाए जाते हैं। पिंक ताइवान जैसी उन्नत किस्में इस तरीके के लिए शानदार हैं, क्योंकि इनके फल रसीले, स्वादिष्ट और बाजार में खूब पसंद किए जाते हैं। सरकार इस तरीके के लिए 2 साल तक कुल 50,000 रुपये की सब्सिडी देती है। ये पैसा डीबीटी के जरिए आपके खाते में आएगा। नॉर्मल स्पेसिंग उन किसानों के लिए अच्छा है, जो पहली बार बागवानी शुरू कर रहे हैं और कम लागत में आजमाना चाहते हैं।
हाई डेंसिटी
जो किसान भाई थोड़ा और निवेश करके बड़ा मुनाफा चाहते हैं, उनके लिए हाई डेंसिटी बागवानी सही है। इसमें एक हेक्टेयर में 2200 पौधे लगाए जाते हैं। ज्यादा पौधों की वजह से फल भी ज्यादा मिलते हैं, और बाजार में आपकी कमाई बढ़ती है। सरकार इस तरीके के लिए 2 साल तक कुल 80,000 रुपये की सब्सिडी देती है, जो डीबीटी के जरिए मिलती है। पिंक ताइवान, इलाहाबादी सफेदा या लखनऊ-49 जैसी किस्में हाई डेंसिटी के लिए शानदार हैं। ये तरीका उन किसानों के लिए है, जिनके पास अच्छी जमीन और सिंचाई की सुविधा है।
अल्ट्रा हाई डेंसिटी
अगर आप बागवानी को अगले लेवल पर ले जाना चाहते हैं, तो अल्ट्रा हाई डेंसिटी बागवानी ट्राई करें। इसमें एक हेक्टेयर में 5000 पौधे लगाए जाते हैं, जिससे फलों की पैदावार जबरदस्त होती है। इस तरीके में शुरुआती लागत ज्यादा है, लेकिन मुनाफा भी कई गुना मिलता है। सरकार इसके लिए 2 साल तक कुल 1,20,000 रुपये की सब्सिडी देती है, जो डीबीटी के जरिए आपके खाते में आएगी। अल्ट्रा हाई डेंसिटी उन किसानों के लिए बेस्ट है, जो बड़े पैमाने पर खेती करना चाहते हैं और बाजार में बड़ा नाम कमाना चाहते हैं।
सब्सिडी कैसे और कब मिलेगी
बागवानी विकास मिशन के तहत अमरूद की खेती के लिए सब्सिडी 2 साल तक दी जाती है। नॉर्मल स्पेसिंग के लिए 50,000 रुपये, हाई डेंसिटी के लिए 80,000 रुपये और अल्ट्रा हाई डेंसिटी के लिए 1,20,000 रुपये का अनुदान मिलता है। ये पैसा डीबीटी सिस्टम के जरिए सीधे आपके बैंक खाते में आएगा। सब्सिडी का फायदा लेने के लिए आपको पहले उद्यान विभाग की वेबसाइट dbt.uphorticulture.in पर ऑनलाइन पंजीकरण कराना होगा। पंजीकरण के लिए आधार कार्ड, जमीन की खतौनी, बैंक पासबुक की कॉपी, खसरा और पासपोर्ट साइज फोटो चाहिए। अपने जिले के उद्यान विभाग कार्यालय से संपर्क करें, क्योंकि ये योजना पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर चलती है।
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