बंजर भूमि को खेती योग्य बनाएगी यूपी सरकार 35,600 हेक्टेयर जमीन पर खर्च करेगी ₹125 करोड़

उत्तर प्रदेश में मॉनसून की बारिश खेतों को हरा-भरा करती है, लेकिन 24.11 लाख हेक्टेयर जमीन बीहड़, बंजर और जलभराव की वजह से खेती के लिए बेकार पड़ी है। इस समस्या से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना शुरू की है। इस योजना के तहत चालू वित्त वर्ष में 125.52 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं, ताकि हजारों हेक्टेयर बंजर और जलभराव वाली जमीन को खेती योग्य बनाया जाए। इस साल 43,850 हेक्टेयर जमीन को उपजाऊ बनाने का लक्ष्य है, जिसमें 35,600 हेक्टेयर बीहड़-बंजर और 8,250 हेक्टेयर जलभराव वाले क्षेत्र शामिल हैं। ये योजना न सिर्फ़ जमीन को हरा-भरा करेगी, बल्कि गाँवों में रोजगार भी बढ़ाएगी।

खेती की जमीन बढ़ाने की ज़रूरत

आज शहरीकरण, सड़कों और एक्सप्रेस-वे जैसे बुनियादी ढांचों के निर्माण की वजह से हर साल 40-50 हजार हेक्टेयर खेती योग्य जमीन कम हो रही है। ऐसे में खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने के लिए बंजर और जलभराव वाली जमीन को उपजाऊ बनाना ज़रूरी है। इस योजना के तहत सरकार बीहड़ और जलभराव वाली जमीन को सुधारकर छोटे-सीमांत किसानों और भूमिहीन मजदूरों को फायदा पहुंचाएगी। साथ ही, सामुदायिक कार्यों जैसे बांध और जल निकासी के ढांचे बनाने में आम लोगों को भी शामिल किया जाएगा। ये कदम न सिर्फ़ खेती को बढ़ावा देगा, बल्कि गाँवों में रोजगार का जुगाड़ भी करेगा।

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योजना के तहत होने वाले काम

इस योजना में कई तरह के काम शामिल हैं, जो जमीन को खेती के लायक बनाएंगे। मेंढ़बंदी, समतलीकरण, बेंच टेरेसिंग, चेक डैम और जल निकासी जैसे काम किए जाएंगे। समतलीकरण मैदानी इलाकों में 30 फीसदी और बुंदेलखंड व पहाड़ी क्षेत्रों में 10 फीसदी तक सीमित होगा। जमीन सुधारने के बाद किसानों को बुवाई में मदद के लिए प्रति हेक्टेयर 7,000 रुपये की सहायता दी जाएगी। साथ ही, खेतों में वृक्षारोपण को भी बढ़ावा दिया जाएगा, ताकि पर्यावरण भी हरा-भरा रहे। ये सारे काम रिज-टू-वैली वाटरशेड नियमों के हिसाब से होंगे, और एससी/एसटी व भूमि आवंटित क्षेत्रों को खास तवज्जो दी जाएगी।

खर्च और सहायता का बँटवारा

इस योजना का कुल खर्च 125.52 करोड़ रुपये है, जिसमें 115.27 करोड़ रुपये भूमि सुधार और फसल उत्पादन के लिए राज्य सरकार देगी। बाकी 10.25 करोड़ रुपये जलभराव क्षेत्रों और कृषि वानिकी के लिए मनरेगा से लिए जाएंगे। सरकार जमीन सुधार का पूरा खर्च उठाएगी, लेकिन फसल उत्पादन का 50 फीसदी खर्च (श्रम और सामग्री) किसानों को देना होगा, बाकी सरकार वहन करेगी। ये योजना न सिर्फ़ जमीन को उपजाऊ बनाएगी, बल्कि गाँवों में मजदूरी के मौके भी देगी। मजदूरों को प्रदेश सरकार की न्यूनतम मजदूरी के हिसाब से दैनिक भुगतान मिलेगा, जो उनके लिए बड़ा सहारा बनेगा।

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निगरानी और समयसीमा

इस योजना को कामयाब बनाने के लिए राज्य, संभाग और जिला स्तर पर कड़ी निगरानी होगी। हर महीने और तीन महीने में समीक्षा की जाएगी, ताकि काम सही दिशा में चले। जुलाई से फील्ड गतिविधियाँ शुरू होंगी, और फरवरी 2026 तक 43,850 हेक्टेयर जमीन को उपजाऊ बनाने का लक्ष्य पूरा होगा। मार्च 2026 तक सारी वित्तीय प्रक्रियाएँ भी निपट जाएँगी। दोहराव से बचने के लिए पहले से उपचारित गाँवों को इस योजना से बाहर रखा गया है।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना सिर्फ़ जमीन सुधारने की योजना नहीं है, बल्कि ये गाँवों में नई उम्मीद जगाने का ज़रिया है। बंजर और जलभराव वाली जमीन को खेती योग्य बनाकर ये योजना छोटे किसानों और मजदूरों को रोजगार और बेहतर ज़िंदगी देगी। मॉनसून के इस मौसम में अपने खेतों को हरा-भरा करने और गाँव को समृद्ध बनाने का ये सुनहरा मौका है।

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  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

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