Brimato farming in UP: यूपी में ग्राफ्टेड ब्रिमैटो पौधों की मांग तेज, बैंगन-टमाटर खेती का नया रामबाण

Brimato farming in UP: उत्तर प्रदेश के किसान अब ग्राफ्टिंग तकनीक से तैयार ब्रिमैटो पौधों की ओर रुख कर रहे हैं। यह नई तकनीक टमाटर और बैंगन की खेती को मजबूत बना रही है, खासकर बरसात के मौसम में। पहले भारी बारिश में फसलें बर्बाद हो जाती थीं, लेकिन अब ये पौधे किसानों को नुकसान से बचा रहे हैं। भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर) वाराणसी के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित ये पौधे बाजार में तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। गोरखपुर के एक किसान को हाल ही में 1000 ऐसे पौधे वितरित किए गए हैं।

ग्राफ्टिंग तकनीक का कमाल

ग्राफ्टिंग से तैयार ब्रिमैटो पौधे सामान्य पौधों से थोड़े महंगे हैं, लेकिन इनकी पैदावार और टिकाऊपन देखकर किसान खुश हैं। गोरखपुर जिले के कुशम्ही गांव के प्रगतिशील किसान संजय कुमार सिंह बताते हैं कि पहले बारिश में टमाटर के पौधे सूख जाते थे, जिससे भारी नुकसान होता था। लेकिन अब ग्राफ्टेड पौधों से फसल सुरक्षित रहती है और उत्पादन दोगुना हो जाता है। यह तकनीक उत्तर प्रदेश कृषि शोध परिषद (UPCAR) की परियोजना का हिस्सा है, जो सब्जी उत्पादन को बढ़ावा दे रही है।

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ब्रिमैटो क्या है?

ब्रिमैटो एक अनोखी प्रजाति है, जो टमाटर और बैंगन के संकर से बनी है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के वैज्ञानिकों ने इसे विकसित किया है। एक ही झाड़ी पर बैंगन और टमाटर दोनों उगते हैं, जो किसानों के लिए दो फसलों का फायदा देता है। आईआईवीआर के निदेशक डॉ. राजेश कुमार के अनुसार, ये पौधे मिट्टी से जुड़ी बीमारियों से लड़ते हैं और फल बड़े व स्वादिष्ट होते हैं। इससे कीटनाशकों का खर्च भी कम होता है।

किसानों को क्या फायदे?

ग्राफ्टिंग तकनीक से फसल की गुणवत्ता और मात्रा दोनों बढ़ती हैं। डॉ. राजेश बताते हैं कि ये पौधे सोलानेसी फसलों जैसे टमाटर और बैंगन के लिए आदर्श हैं। किसानों को ज्यादा फल मिलते हैं, जो बाजार में अच्छे दाम लाते हैं। बरसात में भी फसल बच जाती है, जिससे नुकसान का डर कम होता है। यह तकनीक उद्यमिता के नए रास्ते खोल रही है, ताकि किसान आत्मनिर्भर बन सकें। हजारों किसान पहले ही इससे लाभ कमा चुके हैं।

अपनाएं नई तकनीक

डॉ. राजेश किसानों से अपील करते हैं कि ग्राफ्टिंग को गांव-गांव तक फैलाएं। यह तकनीक न केवल आय बढ़ाएगी, बल्कि खेती को आधुनिक बनाएगी। अगर आप भी टमाटर या बैंगन की खेती करते हैं, तो स्थानीय कृषि केंद्र से संपर्क करें। आईआईवीआर जैसे संस्थानों से मार्गदर्शन लें और इस मौके का फायदा उठाएं। यूपी में सब्जी खेती अब नई ऊंचाइयों पर पहुंच रही है।

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  • Shashikant

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