उत्तर प्रदेश के खेतों में हलचल शुरू हो चुकी है। आज का दिन हमारे किसान भाइयों के लिए खास है, क्योंकि कृषि विभाग उत्तर प्रदेश ने एक महत्वपूर्ण एडवाइजरी जारी की है। इस संदेश में किसानों को कीट और रोग से निपटने का सही तरीका सिखाया गया है। मौसम अब ठंडक की ओर बढ़ रहा है, जो फसलों के लिए चुनौतियाँ ला सकता है। इसलिए, विभाग ने सलाह दी है कि कीट या रोग की सही पहचान करें, और अगर खुद समझ न आए, तो विशेषज्ञ से सलाह लें। यह कदम हमारे खेतों को सुरक्षित रखने का एक मजबूत आधार बन सकता है, जैसे गाँव में बुजुर्ग सलाह देकर फसल बचाते हैं।
कीट-रोग पहचान पहले जानें, फिर करें
किसान भाइयों, फसल को बचाने के लिए सबसे पहला कदम है कि आप कीट या रोग को अच्छी तरह पहचान लें। सुबह के समय खेत में घूमें और पत्तियों, तनों, या जड़ों पर निशान देखें। अगर आपको लगे कि पत्तियां पीली पड़ रही हैं या कीड़े छेद कर रहे हैं, तो जल्दबाजी में रसायन न छिड़कें। कई बार गलत पहचान से फसल को नुकसान हो जाता है। अगर आप खुद कन्फ्यूज हैं, तो नजदीकी कृषि विशेषज्ञ या मंडी के अनुभवी किसानों से सलाह लें। वे आपको सही रसायन और मात्रा बता सकते हैं। सितंबर में नमी बढ़ने से फफूंदी का खतरा हो सकता है, इसलिए सावधानी बरतें। यह तरीका आपकी मेहनत को बर्बाद होने से बचाएगा।
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रसायन का सही इस्तेमाल, जरूरत पड़ने पर ही करें
कृषि विभाग की सलाह है (Crop Protection Tips) कि रसायन का प्रयोग तभी करें, जब कीट या रोग की संख्या ज्यादा हो जाए। थोड़े-बहुत कीट होने पर प्राकृतिक तरीके आजमाएं, जैसे नीम की पत्तियों का काढ़ा या हल्की जुताई। अगर कीटों का हमला बढ़े, तो ही रसायन का सहारा लें। इससे मिट्टी और फसल की सेहत बनी रहेगी, और लागत भी कम होगी। सुबह के समय रसायन छिड़काव करना बेस्ट है, क्योंकि हवा शांत होती है और दवा पौधों पर टिकती है। ज्यादा रसायन डालने से फसल का स्वाद खराब हो सकता है और मिट्टी बंजर भी पड़ सकती है। इसलिए, धैर्य रखें और सिर्फ जरूरत पड़ने पर कदम उठाएं।
कम विषाक्त रसायन, फसल और सेहत की रक्षा
विषाक्तता की श्रेणी को समझना बहुत जरूरी है। कृषि विभाग ने साफ कहा है कि सबसे कम विषाक्त रसायन ही खरीदें। बाजार में रंग-बिरंगे पैकेट्स आते हैं—लाल रंग वाले सबसे खतरनाक होते हैं, पीले मध्यम, और हरे सबसे सुरक्षित। हरे रंग के रसायन चुनें, जो फसलों को नुकसान पहुंचाए बिना कीटों को भगाएंगे। इनकी पैकिंग पर सावधानियां पढ़ें और तय मात्रा में ही इस्तेमाल करें। गाँव में कई किसान नीम तेल और देसी जड़ी-बूटियों के साथ मिलाकर रसायन का प्रयोग करते हैं, जो विषाक्तता कम करता है। इससे आपकी सेहत और मिट्टी दोनों सुरक्षित रहेंगी।
कृषि विभाग उत्तर प्रदेश किसानों के लिए कई सुविधाएं दे रहा है। इस एडवाइजरी के साथ-साथ वे मुफ्त प्रशिक्षण और विशेषज्ञ सलाह भी उपलब्ध करा रहे हैं। नजदीकी कृषि केंद्र या ग्राम पंचायत से संपर्क करें, जहाँ आपको सही रसायन और कीट-रोग पहचान के लिए गाइड मिलेगी। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (NFSM) के तहत कम विषाक्त रसायनों पर सब्सिडी भी मिल सकती है। अपने मोबाइल पर कृषि विभाग की हेल्पलाइन (1800-180-1551) पर कॉल करके जानकारी लें। यह सहायता आपकी फसल को नुकसान से बचा सकती है।
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फसल की सेहत, लंबे समय का फायदा
कीट-रोग से बचाव का सही तरीका अपनाने से फसल की गुणवत्ता बेहतर होगी। कम विषाक्त रसायन का इस्तेमाल मिट्टी की उर्वरता बनाए रखेगा, और आपकी उपज बाजार में अच्छी कीमत लाएगी। अगर आप धान, गेहूं, या मटर उगा रहे हैं, तो इस एडवाइजरी को फॉलो करें। सही समय पर कीट नियंत्रण से प्रति हेक्टेयर 10-15% ज्यादा पैदावार हो सकती है। यह कदम न सिर्फ आपके खेत को बचाएगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए मिट्टी को हरा-भरा रखेगा।
किसान भाइयों, अपनी फसल को कीट-रोग से बचाने के लिए यह एडवाइजरी आपका सच्चा साथी है। सही पहचान, कम विषाक्त रसायन, और देसी तरीकों से आप खेतों में समृद्धि ला सकते हैं। तो आज से ही अपने खेत का मुआयना करें और विशेषज्ञ की सलाह लें—आपकी मेहनत का फल जरूर मीठा होगा!
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