उत्तर प्रदेश में किसान रजिस्ट्री अभियान ने अच्छी रफ्तार पकड़ ली है। केंद्र सरकार की एग्रीस्टैक योजना के तहत चल रहे इस अभियान में अब तक 54% किसानों का पंजीकरण हो चुका है, जिससे करीब 1.5 करोड़ किसान सीधे लाभान्वित हो रहे हैं। सीतापुर जिला इस मामले में सबसे आगे है, जहाँ 74% से अधिक किसानों ने रजिस्ट्री करा ली है। यह अभियान आधार कार्ड की तर्ज पर किसान आईडी बनाने का काम कर रहा है, जो सरकारी योजनाओं का लाभ आसानी से दिलाएगा। आइए जानते हैं कि यह अभियान कैसे आगे बढ़ रहा है और किसानों को क्या करना चाहिए।
सीतापुर ने छुआ पहला स्थान
आंकड़ों के मुताबिक, सीतापुर जिले ने 74.58% पंजीकरण के साथ प्रदेश में पहला स्थान हासिल कर लिया है। बस्ती दूसरे पायदान पर है, जहाँ 74.24% किसान रजिस्टर्ड हो चुके हैं। रामपुर ने 70% पंजीकरण के साथ तीसरा स्थान पकड़ा है। ये आंकड़े 25 अक्टूबर 2025 तक के हैं, और इन जिलों की सफलता स्थानीय प्रशासन की मेहनत का नतीजा है। बाकी जिलों में भी तेजी आई है, लेकिन सीतापुर जैसे जिलों ने लक्ष्य को पार करने की मिसाल कायम की है। इससे किसानों को योजनाओं का लाभ मिलना आसान हो गया है।
किसान आईडी का महत्व
यह अभियान केंद्र सरकार की एग्रीस्टैक पहल का हिस्सा है, जो किसानों को डिजिटल पहचान देगी। आधार की तरह किसान आईडी से भूमि रिकॉर्ड, फसल विवरण और पशुधन की जानकारी एक जगह जुड़ जाएगी। इससे सरकारी सब्सिडी, ऋण और बीमा जैसी योजनाओं का वितरण पारदर्शी बनेगा। उत्तर प्रदेश में कुल 2.8 करोड़ से अधिक किसान हैं, और 54% पंजीकरण का मतलब है कि आधे से ज्यादा अब डिजिटल सिस्टम से जुड़ चुके हैं। योगी सरकार ने इसे तेज करने के लिए हर जिले में कैंप लगाने के निर्देश दिए हैं।
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1 अप्रैल 2026 से नया नियम
केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि 1 अप्रैल 2026 से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) की अगली किस्त केवल रजिस्टर्ड किसानों को ही मिलेगी। इससे लाखों किसानों को प्रेरणा मिली है, और पंजीकरण में तेजी आई है। जो किसान अभी तक नहीं जुड़े, उन्हें जल्दी करना होगा, वरना 6,000 रुपये सालाना की आय से वंचित रह सकते हैं। राज्य स्तर पर रोजाना औसतन 4,000 पंजीकरण हो रहे हैं, और लक्ष्य है कि नवंबर के अंत तक सभी पात्र किसानों का काम पूरा हो जाए।
30 नवंबर तक हर गाँव में कैंप
अभियान को गति देने के लिए 30 नवंबर तक हर गाँव में पंजीकरण शिविर लगाए जाएँगे। जिलाधिकारियों को कैंप चार्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि कोई किसान छूट न जाए। CSC केंद्रों, पंचायतों और कृषि कार्यालयों पर सहायता उपलब्ध है। ऑनलाइन पोर्टल upfr.agristack.gov.in पर भी आसानी से रजिस्ट्री हो सकती है बस आधार, मोबाइल नंबर और भूमि विवरण चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में ब्लॉक स्तर पर टीमें काम कर रही हैं, जिससे पंजीकरण सरल हो गया है।
किसानों के लिए फायदे और सलाह
यह रजिस्ट्री न केवल PM-KISAN का लाभ दिलाएगी, बल्कि अन्य योजनाओं जैसे फसल बीमा, मिट्टी परीक्षण और सब्सिडी पर भी मदद करेगी। सीतापुर और बस्ती जैसे जिलों के किसान बता रहे हैं कि इससे उनका समय और मेहनत बची है। अगर आपका पंजीकरण बाकी है, तो नजदीकी CSC या कृषि केंद्र जाएँ। दस्तावेज़ साथ रखें आधार, बैंक पासबुक और खसरा नंबर। ऑनलाइन ट्राई करें तो upfr.agristack.gov.in पर लॉगिन करें। यह छोटा कदम आपकी खेती को डिजिटल बना देगा और भविष्य की योजनाओं का द्वार खोलेगा।
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