UP News: प्यारे किसान साथियों, उत्तर प्रदेश भूजल संरक्षण और जल प्रबंधन के क्षेत्र में एक नया मॉडल बनकर उभरा है। योगी सरकार की दूरदर्शी नीतियों, तकनीकी नवाचारों, और जनभागीदारी के बल पर प्रदेश के 826 में से 566 विकासखंडों में भूजल स्तर में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। लखनऊ, बलरामपुर, गोंडा, बहराइच, बाराबंकी, और रायबरेली जैसे 29 जिलों में भूजल स्तर की बेहतरी ने न केवल स्थानीय किसानों और पशुपालकों को लाभ पहुँचाया है, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा प्रस्तुत की है। यह लेख उत्तर प्रदेश की भूजल संरक्षण नीति, तकनीकी प्रगति, 29 जिलों में सुधार, चुनौतियों, और भविष्य की योजनाओं पर विस्तृत जानकारी देगा।
भूजल संरक्षण में उत्तर प्रदेश का मॉडल
उत्तर प्रदेश भारत में भूजल का सबसे बड़ा निष्कर्षक है, जहाँ 2023 में 46 बिलियन क्यूबिक मीटर (BCM) भूजल निकाला गया, जिसका 90% से अधिक सिंचाई के लिए उपयोग हुआ। 2017 में, प्रदेश के 82 विकासखंड अतिदोहित श्रेणी में थे, लेकिन योगी सरकार की जल नीति के कारण यह संख्या 2025 तक घटकर 50 रह गई है। कुल 826 विकासखंडों में से 566 अब सुरक्षित श्रेणी में हैं, जो 68% से अधिक है। यह उपलब्धि नमामि गंगे, ग्रामीण जलापूर्ति विभाग, और स्थानीय समुदायों के समन्वय का परिणाम है। सरकार ने खेत तालाब योजना, वर्षा जल संचयन, और आर्द्रभूमि संरक्षण को बढ़ावा दिया है, जिससे भूजल पुनर्भरण में वृद्धि हुई है।
तकनीकी नवाचार और निगरानी
भूजल स्तर की सटीक निगरानी के लिए उत्तर प्रदेश ने तकनीकी क्षेत्र में अग्रणी कदम उठाए हैं। पिछले एक वर्ष में 500 नए पीजोमीटर और 690 डिजिटल वॉटर लेवल रिकॉर्डर (DWLR) स्थापित किए गए हैं। ये उपकरण जलस्तर की निरंतर और पारदर्शी निगरानी करते हैं, जिससे समय पर नीतिगत निर्णय लिए जा सकते हैं। CGWB के सहयोग से भूजल सूचना प्रणाली को उन्नत किया गया है, जो दोहन और पुनर्भरण के आँकड़ों को डिजिटल रूप में उपलब्ध कराती है। 2017 से 2024 तक भूजल पुनर्भरण में 15 BCM की वृद्धि हुई है, जबकि निष्कर्षण में 3 BCM की कमी आई है।
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29 जिलों में भूजल स्तर में सुधार हुआ है
उत्तर प्रदेश के 29 जिलों—आगरा, अलीगढ़, औरैया, बहराइच, बलरामपुर, बाराबंकी, बरेली, बिजनौर, एटा, फतेहपुर, फिरोजाबाद, गोंडा, हापुड़, जालौन, झाँसी, कानपुर देहात, लखीमपुर खीरी, ललितपुर, लखनऊ, महोबा, मैनपुरी, मथुरा, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, रायबरेली, रामपुर, सहारनपुर, शाहजहाँपुर, और श्रावस्ती में भूजल स्तर में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। इन जिलों में वर्षा जल संचयन संरचनाएँ, तालाबों का जीर्णोद्धार, और खेत तालाब योजना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उदाहरण के लिए, लखनऊ और गोंडा में कई विकासखंड जो पहले सेमी-क्रिटिकल थे, अब सुरक्षित श्रेणी में हैं। यह सुधार किसानों के लिए सिंचाई और पशुपालकों के लिए पेयजल उपलब्धता में वृद्धि का कारण बना है।
योगी सरकार की जल नीति
योगी सरकार ने भूजल प्रबंधन और विनियमन अधिनियम, 2019 को लागू कर अवैध भूजल दोहन को दंडनीय अपराध बनाया है। राज्य जल नीति 1999 की समीक्षा कर 2025 की चुनौतियों के अनुरूप अद्यतन किया गया है। खेत तालाब योजना के तहत किसानों को अपने खेत का एक हिस्सा तालाब में बदलने के लिए 50% अनुदान दिया जाता है। नमामि गंगे और ग्रामीण जलापूर्ति विभाग ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में भूजल के स्थायी प्रबंधन के लिए विस्तृत योजनाएँ बनाई हैं। अटल भूजल योजना के तहत 80 जिलों की 8,213 जल-संकटग्रस्त ग्राम पंचायतों में संधारणीय प्रथाएँ लागू की गई हैं।
वर्षा जल संचयन और आर्द्रभूमि संरक्षण के उपाय
वर्षा जल संचयन भूजल पुनर्भरण का प्रमुख साधन है। सरकार ने मिशन अमृत सरोवर के तहत प्रत्येक जिले में कम से कम 75 जल निकायों का निर्माण और जीर्णोद्धार किया है। उत्तर प्रदेश वेटलैंड प्राधिकरण ने छह आर्द्रभूमियों को संयुक्त राष्ट्र रामसर कन्वेंशन के तहत नामित किया है। ये आर्द्रभूमियाँ भूजल पुनर्भरण और जैव विविधता संरक्षण में मदद करती हैं। तालाबों और संरक्षण संरचनाओं से पुनर्भरण 2017 में 13.98 BCM से बढ़कर 2024 में 25.34 BCM हो गया है।
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