उत्तर प्रदेश में धान की कटाई का मौसम शुरू होने के साथ ही पराली जलाने की समस्या फिर से चर्चा में है। सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय हरित अधिकरण के निर्देशों के बाद उत्तर प्रदेश कृषि विभाग ने किसानों से पराली न जलाने की अपील की है। विभाग ने एक नई एडवाइजरी जारी की है, जिसमें पराली जलाने के पर्यावरण और मिट्टी पर होने वाले नुकसानों को बताया गया है। सोशल मीडिया पर इस जानकारी को साझा करते हुए विभाग ने सख्त कानूनी कार्रवाई और भारी जुर्माने की चेतावनी दी है। कई किसानों ने कहा कि सही संसाधनों की कमी के कारण वे पराली जलाने को मजबूर हैं, लेकिन विभाग इसके विकल्प सुझा रहा है।
पराली जलाने से मिट्टी और स्वास्थ्य को नुकसान
कृषि विभाग के अनुसार, पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरता पर बुरा असर पड़ता है। खेत में आग लगाने से पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं और मिट्टी की जैविक संरचना खराब होती है। इससे मित्र कीट, जो खेती के लिए फायदेमंद हैं, मर जाते हैं। एक टन पराली जलाने से 1460 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड और 60 किलोग्राम कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी जहरीली गैसें निकलती हैं। ये गैसें हवा को प्रदूषित करती हैं और साँस की बीमारियों का कारण बनती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पराली जलाने से न सिर्फ़ पर्यावरण को नुकसान होता है, बल्कि अगली फसल की पैदावार भी कम हो सकती है।
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पराली प्रबंधन के आसान और प्रभावी तरीके
कृषि विभाग ने किसानों को पराली जलाने के बजाय इसके प्रबंधन के कई तरीके सुझाए हैं। पराली को मिट्टी में मिलाने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है। इसके लिए सरकार ने मशीनरी बैंकों की स्थापना की है, जहाँ से किसान सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल, मल्चर, रोटरी स्लेशर और रीपर कम बाइंडर जैसी मशीनें किराए पर ले सकते हैं। डीकंपोजर का उपयोग करके पराली को जैविक खाद में बदला जा सकता है, जो मिट्टी के लिए फायदेमंद है। कई किसानों ने बताया कि इन तरीकों से न सिर्फ़ लागत कम होती है, बल्कि खेत की सेहत भी सुधरती है।
सख्त निगरानी और जुर्माने की चेतावनी
एडवाइजरी में साफ कहा गया है कि पराली जलाना सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय हरित अधिकरण के नियमों के खिलाफ है। सैटेलाइट के जरिए खेतों की निगरानी हो रही है, और उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी। जुर्माना खेत के आकार पर निर्भर करेगा। दो एकड़ से कम जमीन पर 5,000 रुपये, 2 से 5 एकड़ पर 10,000 रुपये और 5 एकड़ से ज्यादा पर 30,000 रुपये प्रति घटना का जुर्माना लगेगा। विभाग ने किसानों से अनुरोध किया है कि वे इन नियमों का पालन करें और पर्यावरण की रक्षा में योगदान दें।
किसानों अपने जिले के उप कृषि निदेशक या जिला कृषि अधिकारी से संपर्क करें। मशीनरी बैंकों से सस्ते दामों पर यंत्र किराए पर लें और डीकंपोजर का उपयोग करें। पराली को जलाने के बजाय खाद बनाने या मिट्टी में मिलाने से मिट्टी की सेहत सुधरेगी और अगली फसल की पैदावार बढ़ेगी। अगर आपके क्षेत्र में मशीनों की कमी है, तो स्थानीय प्रशासन से शिकायत करें। यह कदम न सिर्फ़ पर्यावरण को बचाएगा, बल्कि आपकी खेती को भी लाभकारी बनाएगा।
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