उत्तर प्रदेश सरकार ने पराली जलाने की घटनाओं पर लगाम कसने के लिए एक बार फिर कड़े कदम उठाए हैं। मुख्य सचिव एसपी गोयल ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि सैटेलाइट की मदद से निगरानी तेज की जाए और वैकल्पिक प्रबंधन के तरीकों को अपनाने के लिए किसानों को जागरूक किया जाए। इसी तरह, डिजिटल फसल सर्वे को समय पर पूरा करने के लिए भी सख्ती बरती जा रही है, ताकि खेत स्तर पर सटीक जानकारी मिल सके। ये कदम किसानों की आय बढ़ाने और पर्यावरण संरक्षण दोनों के लिए जरूरी हैं।
पराली जलाने पर जीरो टॉलरेंस पॉलिसी
मुख्य सचिव गोयल ने साफ कहा है कि पराली और फसल अवशेष जलाना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है और लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा है। इसके लिए सैटेलाइट इमेजरी से लगातार नजर रखी जा रही है। जिलाधिकारियों को व्यक्तिगत जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वे संबंधित विभागों के साथ मिलकर ऐसी घटनाओं को रोकें। अगर किसी इलाके में पराली जलाने की शिकायत मिले, तो तुरंत मौके पर पहुंचकर कार्रवाई करें। किसानों को पराली को खाद या पशु चारे के रूप में इस्तेमाल करने के विकल्प बताए जाएं। संवेदनशील जिलों में विशेष अभियान चलाने के आदेश हैं, और अधिकारी समय-समय पर फील्ड विजिट करेंगे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में इस मुद्दे पर और सख्ती का ऐलान किया है। उनका लक्ष्य 2025-26 तक पराली जलाने की घटनाओं को पूरी तरह खत्म करना है। किसानों को चेतावनी दी गई है कि अगर वे फसल अवशेष जलाते पाए गए, तो पर्यावरण मुआवजे के तहत जुर्माना लगेगा दो एकड़ से कम के लिए 2,500 रुपये, दो से पांच एकड़ के लिए 5,000 रुपये और पांच एकड़ से ज्यादा के लिए 15,000 रुपये। साथ ही, जनप्रतिनिधियों से भी अपील की गई है कि वे इस अभियान में सहयोग करें, ताकि प्रदेश प्रदूषण मुक्त बने। पिछले सालों में यूपी में पराली जलाने की घटनाएं कम हुई हैं, लेकिन अब जीरो टॉलरेंस का रुख अपनाया जा रहा है।
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डिजिटल फसल सर्वे में प्रगति की समीक्षा
दूसरी ओर, डिजिटल क्रॉप सर्वे को लेकर भी सरकार अलर्ट मोड में है। प्रदेश के कुल 90,153 ग्रामों में से 87,203 ग्रामों में सर्वे शुरू हो चुका है, जो 96.73 प्रतिशत कवरेज दिखाता है। 20,257 ग्रामों में काम पूरा भी हो गया है, यानी 22.47 प्रतिशत। मीरजापुर ने 100 प्रतिशत पूर्णता हासिल की है, जबकि एटा (97.72%), लखनऊ (97.57%), बाराबंकी (97.36%), कन्नौज (97.23%) जैसे जिले शीर्ष पर हैं। खीरी (96.29%), औरैया (96.17%), बरेली (95.87%), बिजनौर (95.85%) और ललितपुर (94.37%) भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं।
शीर्ष 20 जिलों में अंबेडकर नगर (93.84%), मुरादाबाद (93.44%), शाहजहांपुर (93.02%), हमीरपुर (92.74%), भदोही (92.64%), बलिया (92.63%), श्रावस्ती (92.53%), जालौन (91.50%), फिरोजाबाद (91.25%) और अमरोहा (91.24%) शामिल हैं। मुख्य सचिव ने कहा कि यह सर्वे बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे सरकार को हर खेत की सही जानकारी मिलेगी—फसल का प्रकार, क्षेत्रफल और पैदावार का अनुमान। इससे योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू किया जा सकेगा।
लापरवाही पर कार्रवाई का ऐलान
गोयल ने अधिकारियों को चेतावनी दी है कि सर्वे में कोई लापरवाही, मनमानी या फर्जी एंट्री बर्दाश्त नहीं होगी। अगर कहीं शिथिलता मिली, तो संबंधित अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त प्रशासनिक कार्रवाई होगी। डिजिटल फसल सर्वे को 10 अक्टूबर तक पूरा करने का अल्टीमेटम पहले ही दिया जा चुका था, और अब प्रगति की दैनिक समीक्षा हो रही है। यह सर्वे किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगा, क्योंकि इससे पीएम किसान जैसी योजनाओं में पारदर्शिता आएगी और फसल बीमा, सब्सिडी जैसे लाभ आसानी से मिलेंगे।
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