उत्तर प्रदेश सरकार ने एकीकृत बागवानी मिशन योजना के तहत प्याज, लहसुन, जैविक खेती और अन्य सब्जी-मसाला फसलों पर खास अनुदान की घोषणा की है। यह योजना किसानों की आय बढ़ाने और जैविक तरीकों को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई है। उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2025-26 में जिले स्तर पर लक्ष्य तय किए गए हैं, जिससे छोटे-मझोले किसान आसानी से लाभ उठा सकें। इससे न सिर्फ उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि बाजार में अच्छी कीमत मिलने से आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
प्याज-लहसुन पर 20 हजार सब्सिडी
इस मिशन में विभिन्न फसलों और कार्यों के लिए अलग-अलग अनुदान दिए जा रहे हैं। प्याज और लहसुन की खेती पर प्रति हेक्टेयर 20 हजार रुपये का अनुदान मिलेगा, जबकि संकर शाकभाजी के लिए 24 हजार तक। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए 1500 रुपये प्रति हेक्टेयर की मदद दी जाएगी। इसके अलावा तुलसी, लेमग्राम और पामारोजा जैसी फसलों पर 12 हजार, अदरक पर 24 हजार और धनिया, मेथी, सौंफ, जीरा, अजवाइन पर भी 12 हजार का प्रावधान है।
सब्जियों के लिए मचान बनाने पर 10 हजार और घेराबंदी पर प्रति वर्ग मीटर 150 रुपये का अनुदान होगा। विभाग ने महोबा जिले में ही प्याज-लहसुन के लिए 4-4 हेक्टेयर का लक्ष्य रखा है, जबकि जैविक खेती के लिए 5 हेक्टेयर। ये आंकड़े अन्य जिलों में भी समान रूप से लागू होंगे, जैसा कि राज्य स्तर पर निर्धारित है।
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आवेदन का आसान तरीका
किसान भाई योजना का फायदा उठाने के लिए उद्यान विभाग के पोर्टल पर ऑनलाइन पंजीकरण कर सकते हैं। मोबाइल, लैपटॉप या नजदीकी जनसेवा केंद्र से यह काम हो जाएगा। चयन प्रक्रिया पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर होगी, यानी उपलब्ध लक्ष्यों की सीमा तक ही आवेदनों को मंजूरी मिलेगी। अगर आप माइक्रो इरिगेशन जैसे ड्रिप या स्प्रिंकलर सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं, तो आपको प्राथमिकता दी जाएगी।
आवेदन के बाद स्थलीय सत्यापन होगा और अनुदान डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) से खाते में आएगा। योजना के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, किसान अपनी मर्जी से चुने गए कार्यक्रम का खर्च खुद उठाएंगे, लेकिन अनुदान मिलने पर फायदा निश्चित है। जिला उद्यान अधिकारी सुरेश कुमार ने बताया कि किसान कार्यालय जाकर पूरी जानकारी ले सकते हैं।
मुफ्त बीज-खाद से कम लागत
यह योजना न सिर्फ अनुदान देती है, बल्कि संकर शाकभाजी, मसाला, प्याज-लहसुन के बीज और जैविक खाद किट भी मुफ्त उपलब्ध कराती है। इससे खेती की लागत 30-50 प्रतिशत तक कम हो जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि जैविक खेती से फसलें बाजार में प्रीमियम दाम पर बिकती हैं, खासकर शहरों और निर्यात के लिए।
उत्तर प्रदेश सरकार का यह कदम छोटे किसानों को व्यावसायिक बागवानी की ओर ले जा रहा है, जहां एक ही खेत से कई फसलें लेकर आय के नए स्रोत बन सकते हैं। रबी मौसम में प्याज-लहसुन बोने का सही समय है, तो देर न करें। योजना से जुड़ी ताजा अपडेट्स के लिए स्थानीय उद्यान कार्यालय या पोर्टल चेक करें।
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