किसान भाइयों, खरीफ सीजन में धान, सोयाबीन, और मक्का की बुवाई देशभर में जोरों पर है। मगर अगर आप किसी कारण बुवाई से चूक गए हैं, तो चिंता की कोई बात नहीं। सागर कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. केएस यादव के मुताबिक, 25 जुलाई 2025 तक उड़द और मूंग की बुवाई कर सकते हैं। ये फसलें 70-80 दिनों में पककर तैयार हो जाती हैं, जिससे रबी सीजन की फसलों के लिए खेत समय पर खाली हो जाता है। उन्नत किस्मों और सही तकनीक के साथ किसान 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज पा सकते हैं। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, और छत्तीसगढ़ में ये फसलें अच्छा मुनाफा दे रही हैं।
उड़द और मूंग की खासियत
उड़द और मूंग की फसलें कम समय में अच्छी उपज देती हैं। सागर KVK के वैज्ञानिकों ने बताया कि उन्नत किस्में जैसे इंदिरा उड़द प्रथम, प्रताप उड़द प्रथम, शेखर उड़द 2 या 3, और कोटा उड़द 1 या 2 बेहतरीन परिणाम देती हैं। ये किस्में न सिर्फ जल्दी पकती हैं, बल्कि रोगों और कीटों के प्रति भी सहनशील हैं। उड़द की फसल सोयाबीन और मक्का के साथ तैयार हो जाती है, जिससे किसानों को रबी की बुवाई में देरी नहीं होती। बाजार में उड़द का भाव 8000-10000 रुपये प्रति क्विंटल और मूंग का 7000-9000 रुपये प्रति क्विंटल है, जो मुनाफे का शानदार मौका देता है।
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खेत की तैयारी का सही तरीका
उड़द और मूंग की सफल खेती के लिए खेत की तैयारी बहुत जरूरी है। दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी इसके लिए आदर्श है। अंतिम जुताई से पहले प्रति हेक्टेयर 20 किलो DAP या सिंगल सुपर फॉस्फेट और 20 किलो पोटाश डालें। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है। खेत को अच्छी तरह जोतकर समतल करें, ताकि पानी का ठहराव न हो। बारिश के मौसम में ज्यादा पानी फसल को नुकसान पहुंचा सकता है। वैज्ञानिकों ने सलाह दी कि 15-20 दिन के अंतराल पर निराई करें, ताकि खरपतवार न उगें। पेंडिमेथालिन (1 किलो/हेक्टेयर) का प्री-इमर्जेंस छिड़काव भी खरपतवार नियंत्रण में मदद करता है।
बीज उपचार से बढ़ाएँ उपज
बुवाई से पहले बीज उपचार जरूरी है। उन्नत किस्मों का 8 किलो बीज प्रति हेक्टेयर इस्तेमाल करें। बीज को ट्राइकोडर्मा (5 ग्राम/किलो बीज) या राइजोबियम कल्चर (10 ग्राम/किलो बीज) से उपचारित करें। इससे अंकुरण बेहतर होता है और फसल रोगों से बची रहती है। मध्य प्रदेश के सागर में किसानों ने बताया कि बीज उपचार से उनकी फसल में 20% ज्यादा अंकुरण हुआ। सीधी बुवाई के लिए 45×15 सेंटीमीटर की दूरी रखें। हल्की सिंचाई हर 10-12 दिन में करें, खासकर फूल और फली बनने के समय। ज्यादा पानी से बचें, क्योंकि ये फसलें पानी के ठहराव को सहन नहीं करतीं।
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देर से बुवाई के फायदे
जुलाई में भारी बारिश से अक्सर अंकुरण की समस्या आती है, लेकिन देर से बुवाई (20-25 जुलाई) करने से ये दिक्कत कम होती है। सागर KVK के अनुसार, देर से बुवाई वाली उड़द और मूंग की फसलें अच्छी तरह उगती हैं और सितंबर-अक्टूबर तक पककर तैयार हो जाती हैं। इससे रबी की फसलों जैसे गेहूं और चने की बुवाई में कोई देरी नहीं होती। उन्नत किस्में और सही तकनीक अपनाकर किसान कम लागत में मोटा मुनाफा कमा सकते हैं। किसान भाई नजदीकी कृषि केंद्र से बीज और सलाह लें, और इस मौके का फायदा उठाएँ।
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