Vegetable Farming Tips: गाँवों में कद्दू, खीरा, करेला, परवल और नेनूआ जैसी लत्तेदार सब्जियाँ खूब उगाई जाती हैं। ये सब्जियाँ स्वाद में लाजवाब होने के साथ-साथ बाज़ार में अच्छा दाम भी दिलाती हैं। लेकिन कीट और रोग इन फसलों को भारी नुकसान पहुँचा सकते हैं, जिससे पैदावार और गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ता है। बिहार सरकार के कृषि विभाग ने किसानों के लिए इन कीटों और रोगों से बचने के कुछ आसान और सस्ते उपाय बताए हैं। ये नुस्खे इतने सरल हैं कि हर किसान इन्हें आसानी से अपना सकता है। आइए जानते हैं कि लत्तेदार सब्जियों को कीट और रोग से कैसे बचाएँ, ताकि खेत लहलहाए और कमाई बढ़े।
लाल मृंग कीट से खेत को बचाएँ
लत्तेदार सब्जियों में लाल मृंग कीट बड़ा खतरा बन सकता है। इस कीट की पीठ नारंगी-लाल और पेट काला होता है। इसके बच्चे पौधे की जड़ों को खा जाते हैं, जबकि बड़े कीट पत्तियों, फूलों और नए पौधों को नुकसान पहुँचाते हैं। इससे फसल की बढ़वार रुक जाती है और पैदावार कम हो जाती है।
इस कीट से निपटने के लिए सुबह के समय पत्तियों पर लकड़ी की राख छिड़कना एक पुराना और कारगर देसी नुस्खा है। राख कीटों को दूर भगाती है और पौधों को सुरक्षित रखती है। अगर कीट ज्यादा फैल गए हों, तो फेनमेलरेट 0.4% धूल को 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। ये उपाय खेत को लाल मृंग के हमले से बचाने में बहुत असरदार है।
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फल मक्खी से फसलों की रक्षा
फल मक्खी लत्तेदार सब्जियों के लिए एक और बड़ी मुसीबत है। ये भूरे रंग की मक्खी होती है, जिसके बच्चे फलों के अंदर घुसकर उन्हें सड़ा देते हैं। खीरा, कद्दू और परवल जैसी सब्जियाँ इस कीट की चपेट में जल्दी आती हैं, जिससे फसल बाज़ार में बिकने लायक नहीं रहती। इससे बचने के लिए खेत में प्रति हेक्टेयर 8-10 लाइफ टाइम ट्रैप लगाएँ। ये ट्रैप फल मक्खी को फँसाने में बहुत कारगर हैं।
साथ ही, एक देसी तरीका भी आजमाया जा सकता है। मिट्टी के बर्तन में गुड़, ताड़ी और कीटनाशक की दो बूँदें मिलाकर खेत में जगह-जगह लटका दें। ये मिश्रण मक्खियों को अपनी ओर खींचता है और उन्हें खत्म कर देता है। इस उपाय से फसल को नुकसान कम होता है और सब्जियाँ ताज़ा रहती हैं।
पाउडरी फफूंद का इलाज
पाउडरी फफूंद एक ऐसा रोग है, जो लत्तेदार सब्जियों के पौधों को सुखा देता है। इस रोग में पत्तियों पर छोटे-छोटे सफेद धब्बे बनते हैं, जो धीरे-धीरे फैलकर सफेद चूर्ण की तरह पूरे पौधे को ढक लेते हैं। इससे पत्तियाँ कमजोर होकर सूखने लगती हैं और फसल की पैदावार घट जाती है। इस रोग से बचने के लिए खेत को खरपतवार से हमेशा साफ रखें, क्योंकि खरपतवार फफूंद को बढ़ने में मदद करते हैं। साथ ही, सल्फर 80 घुलनशील चूर्ण को 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर पौधों पर छिड़काव करें। ये उपाय पाउडरी फफूंद को रोकने में बहुत असरदार है और फसल को स्वस्थ रखता है।
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डाउनी फफूंद से बचाव
डाउनी फफूंद भी लत्तेदार सब्जियों के लिए खतरनाक है। इस रोग में पत्तियों पर पीले धब्बे दिखाई देते हैं, और पत्तियों के निचले हिस्से पर सफेद फफूंद का जाल बनता है। ये जाल पत्तियों को सुखाकर पौधे की बढ़वार को रोक देता है, जिससे फल छोटे रह जाते हैं या बिल्कुल नहीं लगते। इस रोग से निपटने के लिए खेत को खरपतवार और पुराने फसल अवशेषों से मुक्त रखें, क्योंकि ये फफूंद को फैलने में मदद करते हैं। साथ ही, मैंकोजेब 75 घुलनशील चूर्ण को 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। ये उपाय डाउनी फफूंद को काबू करने में बहुत कारगर है और फसल को नुकसान से बचाता है।
किसानों के लिए ज़रूरी सलाह
लत्तेदार सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को अपने खेत की नियमित निगरानी करनी चाहिए। कीट या रोग के शुरुआती लक्षण दिखते ही इन उपायों को अपनाएँ, ताकि नुकसान कम से कम हो। देसी नुस्खों जैसे राख और गुड़-ताड़ी के जाल का इस्तेमाल करें, क्योंकि ये सस्ते और आसानी से उपलब्ध हैं। इसके अलावा, समय-समय पर स्थानीय कृषि केंद्र से संपर्क करें, जहाँ विशेषज्ञ नई तकनीकों और सरकारी योजनाओं की जानकारी दे सकते हैं।
बिहार सरकार के कृषि विभाग ने किसानों की मदद के लिए एक टोल-फ्री नंबर 1800-180-1551 शुरू किया है। इस पर कॉल करके या अपने जिले के सहायक निदेशक (पौधा संरक्षण) से मिलकर और जानकारी ली जा सकती है। सही समय पर सही कदम उठाने से न सिर्फ आपकी फसल बचेगी, बल्कि बाज़ार में अच्छा दाम भी मिलेगा।
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