KRIBHCO: कपास और मूंग की खेती में क्रांति! कृभको की 10-26-26 NPK से मिलेगा बंपर उत्पादन, DAP की छुट्टी

KRIBHCO 10-26-26 NPK: खरीफ सीजन शुरू हो चुका है, और किसान खेतों की जुताई-बुवाई में जुट गए हैं। इस बार ग्राम सभा सहकारी समितियों पर खाद की माँग खूब बढ़ गई है, खासकर फास्फेटिक खाद जैसे डीएपी और एनपीके की। लेकिन राजस्थान में डीएपी की थोड़ी कमी देखी जा रही है, जबकि एनपीके खूब उपलब्ध है। कृभको हनुमानगढ़ के क्षेत्र प्रतिनिधि राजेश गोदारा बताते हैं कि डीएपी की जगह एनपीके का इस्तेमाल करके भी फसलों की ज़रूरत पूरी की जा सकती है। किसान भाइयों को ये समझना ज़रूरी है कि एनपीके कैसे काम करता है और ये खेती के लिए कितना फायदेमंद है। आइए, जानें डीएपी और एनपीके के फायदे और खरीफ फसलों के लिए सही खाद का चुनाव।

डीएपी और एनपीके: क्या है अंतर

डीएपी और एनपीके दोनों ही फसलों के लिए ज़रूरी खाद हैं, लेकिन इनके काम अलग-अलग हैं। डीएपी भी एक तरह का एनपीके है, जिसमें 18% नाइट्रोजन, 46% फास्फोरस, और 0% पोटाश होता है। वहीं, एनपीके एक संतुलित खाद है, जिसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटाश तीनों मिलते हैं। नाइट्रोजन से फसल की पत्तियाँ और तना मज़बूत होता है, फास्फोरस जड़ों को ताकत देता है, और पोटाश फसलों को बीमारियों से बचाता है। राजस्थान में कृभको का एनपीके 10-26-26 ग्रेड खूब मिल रहा है, जिसमें 10% नाइट्रोजन, 26% फास्फोरस, और 26% पोटाश है। इसकी खासियत ये है कि इसमें पोटाश की अच्छी मात्रा है, जो फसलों को बीमारियों से बचाने में कमाल करता है।

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राजस्थान में एनपीके की आसान उपलब्धता

राजस्थान में एनपीके की कमी नहीं है। गंगानगर, बीकानेर, हनुमानगढ़, और चुरू जैसे जिलों की ग्राम सभा सहकारी समितियों पर कृभको का एनपीके 10-26-26 ग्रेड आसानी से मिल रहा है। इस खाद में पोटाश की मात्रा ज़्यादा होने की वजह से कपास और मूंग जैसी फसलों के लिए ये बहुत फायदेमंद है। अगर इस खाद को खेतों में डाला जाए, तो अलग से पोटाश डालने की ज़रूरत नहीं पड़ती। गाँव के किसान भाइयों को ये समझना चाहिए कि डीएपी की कमी होने पर एनपीके एक बढ़िया विकल्प है, जो फसलों को पूरा पोषण देता है।

मूंग और कपास के लिए एनपीके का कमाल

खरीफ सीजन में मूंग और कपास की खेती खूब होती है। मूंग में ज़्यादा नाइट्रोजन डालना ठीक नहीं, क्योंकि ये फसल खुद नाइट्रोजन फिक्स करती है। अगर ज़्यादा नाइट्रोजन डाला जाए, तो मूंग की बढ़वार तो होगी, लेकिन फलियाँ कम लगेंगी। कृभको का एनपीके 10-26-26 इस मामले में बिल्कुल सही है, क्योंकि इसमें नाइट्रोजन कम और फास्फोरस-पोटाश ज़्यादा है। कपास में पोटाश का रोल बहुत बड़ा है, क्योंकि ये फसल को बीमारियों से बचाता है। अगर कपास में पोटाश की कमी हो, तो कीट और रोग लगने का डर रहता है। इसीलिए एनपीके 10-26-26 कपास और मूंग दोनों के लिए संतुलित खाद है।

डीएपी की जगह एनपीके क्यों चुनें

डीएपी की कमी होने पर एनपीके एक भरोसेमंद विकल्प है। कृभको का एनपीके 10-26-26 न सिर्फ़ आसानी से मिल रहा है, बल्कि ये फसलों को तीनों ज़रूरी तत्व नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटाश देता है। डीएपी में पोटाश नहीं होता, जबकि एनपीके में पोटाश की अच्छी मात्रा फसलों को बीमारियों से बचाती है। किसान भाई डीएपी की जगह एनपीके चुनकर लागत कम कर सकते हैं और फसलों की पैदावार बढ़ा सकते हैं। साथ ही, ये पर्यावरण के लिए भी बेहतर है, क्योंकि सही मात्रा में खाद का इस्तेमाल मिट्टी को नुकसान नहीं पहुँचाता।

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  • Shashikant

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