हमारे मेहनती किसान भाइयों और बहनों के लिए गर्मी का मौसम कीटों की चुनौती लाता है, लेकिन अब डरने की जरूरत नहीं। जैविक कीटनाशकों का गर्मी में इस्तेमाल आपके खेतों को स्वस्थ और हरा-भरा रखने का शानदार तरीका है। नीम, लहसुन, तंबाकू और गोमूत्र जैसे देसी उपाय कीटों को भगाते हैं और मिट्टी को पोषण देते हैं। गर्मी में टमाटर, भिंडी, और बैंगन को कीटों से बचाने का ये आसान रास्ता है। आइए, इसे सादगी के साथ समझें कि ये खेती को कैसे चमकाएगा।
गर्मी में कीटों का कहर
गर्मी शुरू होते ही कीटों की फौज बढ़ जाती है। मार्च से जून तक मकड़ी, चूसक कीट, और तना छेदक फसलों को नुकसान पहुँचाते हैं। टमाटर में फल छेदक, भिंडी में मक्खियाँ, और बैंगन में कीट पैदावार घटाते हैं। रासायनिक दवाएँ कीट मारती हैं, लेकिन मिट्टी और सेहत को कमजोर करती हैं। जैविक कीटनाशकों का गर्मी में इस्तेमाल इसका शानदार हल है। ये तरीका ऑर्गेनिक कीट नियंत्रण को आसान बनाता है और खेत को प्राकृतिक ताकत देता है। गाँव में लोग कहते हैं, “कीटों को भगाओ, खेत को हँसाओ।”
नीम तेल: गर्मी का भरोसेमंद साथी
नीम तेल जैविक कीटनाशकों का गर्मी में इस्तेमाल का सबसे पक्का उपाय है। 5 लीटर पानी में 100 मिली नीम तेल और थोड़ा साबुन घोल मिलाएँ। इसे टमाटर, भिंडी, या मिर्च पर सुबह-शाम छिड़कें। नीम की कड़वाहट चूसक कीटों और मकड़ियों को दूर भगाती है। प्रति हेक्टेयर 300-500 रुपये में ये 15-20 दिन तक सुरक्षा देता है। नीम तेल खेती गर्मी में सस्ता और कारगर रास्ता है।
लहसुन और मिर्च का घोल
देसी कीटनाशक में लहसुन और मिर्च का घोल गर्मी में कमाल दिखाता है। 100 ग्राम लहसुन और 50 ग्राम हरी मिर्च पीसकर 5 लीटर पानी में मिलाएँ। 24 घंटे रखें, छानें, और छिड़कें। ये घोल मक्खियों, सफेद मक्खी, और छोटे कीटों को भगा देता है। बैंगन और भिंडी पर इसका असर शानदार है। लागत सिर्फ 50-100 रुपये, और 10-15 दिन तक प्रभाव। ये ऑर्गेनिक कीट नियंत्रण का आसान और भरोसेमंद तरीका है।
गोमूत्र और तंबाकू: प्रकृति की मजबूत ढाल
गर्मी में जैविक कीटनाशकों का गर्मी में इस्तेमाल गोमूत्र और तंबाकू से भी बढ़िया होता है। 5 लीटर गोमूत्र में 100 ग्राम तंबाकू भिगोकर 2 दिन रखें। छानकर पानी मिलाएँ और छिड़कें। ये मिश्रण तना छेदक और पत्ती खाने वाले कीटों को दूर रखता है। टमाटर और कपास पर इसका असर जबरदस्त है। लागत 200-300 रुपये प्रति हेक्टेयर, और 20 दिन तक सुरक्षा। ये देसी कीटनाशक खेत को मजबूत बनाता है।
खेत की तैयारी
गर्मी में जैविक खेती के लिए खेत को सही तरीके से तैयार करें। मिट्टी में गोबर खाद (8-10 टन प्रति हेक्टेयर) डालें। बुवाई से पहले नीम की खली (500 किलो प्रति हेक्टेयर) मिलाएँ, जो कीटों को शुरू से रोकती है। ड्रिप सिंचाई से पानी बचाएँ। छिड़काव सुबह या शाम करें, ताकि पौधे स्वस्थ रहें। ये तैयारी कीटों से लड़ने की ताकत देती है।
लागत और मुनाफा
जैविक कीटनाशकों का गर्मी में इस्तेमाल सस्ता और फायदेमंद है। रासायनिक दवाओं पर 2,000-3,000 रुपये प्रति हेक्टेयर खर्च होते हैं, लेकिन नीम या गोमूत्र से 500-700 रुपये में काम हो जाता है। फसल की गुणवत्ता बढ़ने से बाजार में 20-30% ज्यादा दाम (टमाटर 30-40 रुपये/किलो) मिलता है। प्रति हेक्टेयर 10-15 क्विंटल सब्जी से 30,000-50,000 रुपये का मुनाफा। ये ऑर्गेनिक कीट नियंत्रण का जबरदस्त रास्ता है।
गर्मी की चुनौतियाँ और शानदार हल
गर्मी में कीटों का बढ़ना और पानी की कमी मुश्किल लाती है। लेकिन जैविक कीटनाशकों का गर्मी में इस्तेमाल इसका शानदार जवाब है। नीम तेल कीटों को भगाता है, गोमूत्र मिट्टी को ताकत देता है। हर 10-15 दिन में छिड़कें। पानी कम हो तो ड्रिप का सहारा लें। ये तरीका खेत को हरा-भरा रखता है।
कई किसानों से बात करके पता चला कि जैविक कीटनाशकों का गर्मी में इस्तेमाल उनकी मेहनत को शानदार फल दे रहा है। एक भाई ने कहा कि नीम तेल से टमाटर बचे, और लागत आधी हुई। दूसरे ने बताया कि गोमूत्र से कीट भागे, और बाजार में अच्छा दाम मिला। ये आसान तरीका छोटे किसानों के लिए बड़ी राहत है। इसे अपनाइए, और खेत को कीटों से आजाद रखिए।
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