उत्तर प्रदेश में एक बार फिर प्रकृति और किसानों के लिए एक नई शुरुआत हो रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में 1 जुलाई 2025 से शुरू होने वाले वन महोत्सव अभियान में 35 करोड़ पौधे रोपे जाएंगे, और इस बार सहजन (ड्रमस्टिक) को खास तवज्जो दी जा रही है। यह अभियान हरियाली, सेहत, और जैव विविधता को बढ़ावा देने का वादा करता है। सहजन को पोषण का खजाना और प्रकृति का चमत्कार माना जाता है, और योगी का सपना है कि इसे सिर्फ पेड़ के रूप में न देखा जाए, बल्कि इसे लोगों की सेहत और किसानों की आय का आधार बनाया जाए। आइए, इस पहल की खासियत और इसके फायदों को विस्तार से समझते हैं।
सहजन का जादू, सेहत और पर्यावरण का तोहफा
सहजन को दक्षिण भारत में आहार का आधार माना जाता है, और अब उत्तर प्रदेश में भी इसका बोलबाला बढ़ने लगा है। इसकी पत्तियाँ और फलियाँ 300 से ज्यादा रोगों से लड़ने की ताकत रखती हैं, जिनमें विटामिन सी संतरे से 7 गुना, कैल्शियम दूध से 4 गुना, और प्रोटीन दही से 3 गुना अधिक है। इसमें 92 तरह के विटामिन, 46 एंटीऑक्सिडेंट, 36 दर्द निवारक तत्व, और 18 एमिनो एसिड पाए जाते हैं, जो इसे सेहत का पावरहाउस बनाते हैं। 2024 में 55 लाख सहजन के पौधे लगाए गए थे, और इस साल भी इतनी ही संख्या का लक्ष्य है।
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खेती और पशुपालन में सहायक, मुनाफे का नया रास्ता
सहजन सिर्फ सेहत के लिए नहीं, खेती और पशुपालन के लिए भी वरदान है। इसके पत्तों को पशुओं के चारे में मिलाने से दूध उत्पादन डेढ़ गुना और पशुओं का वजन एक तिहाई तक बढ़ा है, जो ग्रामीण क्षेत्रों के लिए बड़ी राहत है। साथ ही, पत्तों का रस फसलों पर छिड़कने से उपज में इजाफा होता है—धान और गन्ने में 15-20% तक फायदा देखा गया है। मॉनसून की इस बारिश (जून-जुलाई 2025) में सहजन के पौधे आसानी से उग सकते हैं, और इसके फल-फूल से किसानों की आय भी बढ़ सकती है।
यह पेड़ कम पानी और देखभाल में भी फलता-फूलता है, जो खेतिहर समुदाय के लिए टिकाऊ विकल्प है। योगी सरकार का इरादा है कि आकांक्षात्मक जिलों में हर परिवार को सहजन लगाने के लिए प्रेरित किया जाए, ताकि मुनाफा और सेहत साथ-साथ आए।
हरित आवरण का सपना, 2030 तक 20% का लक्ष्य
सीएम योगी का विजन साफ है पर्यावरण संरक्षण जन आंदोलन बने। 2030 तक उत्तर प्रदेश का हरित आवरण 20% तक पहुँचाना उनका लक्ष्य है, और सहजन इस मिशन का अहम हिस्सा है। यह पेड़ कार्बन सोखता है, ऑक्सीजन देता है, और मिट्टी के कटाव को रोकता है। मॉनसून में इसके पौधे बारिश का पानी रोककर खेतों को नमी प्रदान करते हैं, जो फसलों के लिए फायदेमंद है। यह पहल न सिर्फ हवा साफ करेगी, बल्कि जैव विविधता को बढ़ावा देगी, जहाँ पक्षी और कीटों का प्राकृतिक संतुलन बनेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में यह बदलाव आने वाली पीढ़ियों के लिए हरा-भरा भविष्य देगा।
योगी सरकार इस अभियान को सफल बनाने के लिए कमर कस चुकी है। 35 करोड़ पौधों में से सहजन के लिए 55 लाख पौधे मुफ्त या सब्सिडी पर उपलब्ध होंगे। नेशनल मिशन फॉर ग्रीन इंडिया के तहत वृक्षारोपण किट और ट्रेनिंग दी जाएगी। आंगनबाड़ी और स्वास्थ्य केंद्रों के जरिए जागरूकता फैलाई जा रही है। नजदीकी पंचायत या कृषि केंद्र से संपर्क करें और इस योजना का लाभ उठाएँ। यह पहल खेतिहर समुदाय को सेहत, मुनाफा, और पर्यावरण का तोहफा देगी।
उत्तर प्रदेश का वन महोत्सव अभियान सहजन के जरिए हरियाली, सेहत, और समृद्धि का संदेश लेकर आया है। इस जुलाई 2025 से इसे अपनाएँ, अपने खेतों और घरों में सहजन लगाएँ, और प्रकृति के साथ कदम से कदम मिलाएँ। यह मेहनत न सिर्फ आपकी जिंदगी बदलेगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी फायदा देगी!
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