सब्जी की खेती का सुपरहिट फॉर्मूला! अपनाएं ये तरीका और पाएं बंपर उत्पादन, होगी तगड़ी कमाई

Vegetable Farming Tips : सब्जियाँ हमारे खानपान का अहम हिस्सा हैं, जो हमें जरूरी विटामिन और खनिज देती हैं। लेकिन अगर इनकी फसलों में पोषक तत्वों की कमी हो जाए, तो पौधों की बढ़त रुक जाती है, पैदावार घटती है और कुपोषण की समस्या बढ़ती है। खराब गुणवत्ता वाली सब्जियाँ न सिर्फ किसानों का नुकसान करती हैं, बल्कि सेहत के लिए भी चुनौती बनती हैं।

इस समस्या से निपटने के लिए वाराणसी के आईसीएआर-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर) ने दो नए फॉर्मूलेशन तैयार किए हैं—काशी सूक्ष्म शक्ति और काशी सूक्ष्म शक्ति प्लस। ये फॉर्मूलेशन सब्जियों की गुणवत्ता सुधारते हैं और पैदावार को बढ़ाते हैं। किसान भाइयों, चलिए जानते हैं कि ये कैसे काम करते हैं और आपकी खेती को कैसे फायदा पहुँचाते हैं।

काशी सूक्ष्म शक्ति: कद्दूवर्गीय फसलों का साथी

काशी सूक्ष्म शक्ति एक पाउडर फॉर्मूलेशन है, जो कद्दूवर्गीय फसलों जैसे करेला, परवल, लौकी और खीरा के लिए बनाया गया है। इसमें बोरॉन, जिंक, आयरन जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व हैं, जो पौधों को मजबूत करते हैं। मिर्जापुर के कैलहट के किसान नागेश कुमार सिंह ने 2024 में इसकी ताकत देखी। उन्होंने 10 बिस्वा में करेला, 5 बिस्वा में परवल और 15 बिस्वा में लौकी लगाई।

काशी सूक्ष्म शक्ति के छिड़काव से तुड़ाई का समय 15-20 दिन बढ़ गया और 3-4 अतिरिक्त तुड़ाई हुई। पिछले साल के मुकाबले 25-30% ज्यादा उपज मिली। फसल स्वस्थ और चमकदार दिखी। इससे करेले से ₹29,000, परवल से ₹17,500 और लौकी से ₹45,000 का शुद्ध मुनाफा हुआ। ये फॉर्मूलेशन फसल की सेहत बढ़ाकर कमाई का रास्ता खोलता है।

काशी सूक्ष्म शक्ति प्लस: फलीदार फसलों की ताकत

काशी सूक्ष्म शक्ति प्लस एक तरल फॉर्मूलेशन है, जो लोबिया, सोयाबीन और मटर जैसी फलीदार फसलों के लिए तैयार किया गया है। इसमें सूक्ष्म पोषक तत्वों के साथ-साथ वर्मीवाश और पौधों की बढ़त बढ़ाने वाले तत्व हैं। नागेश सिंह ने इसे लोबिया (3 बिस्वा) और सोयाबीन (1 बिस्वा) पर आजमाया। नतीजा? उत्पादन 20-25% बढ़ गया और 3-4 अतिरिक्त तुड़ाई मिली। लोबिया से ₹10,000 का फायदा हुआ, जबकि सोयाबीन घर के लिए इस्तेमाल हुआ। ये फॉर्मूलेशन फलियों की संख्या बढ़ाता है और फसल को मजबूत बनाता है। दोनों फॉर्मूलेशन की खास बात ये है कि ये पोषक तत्वों की कमी को पूरा करते हैं और पैदावार को आसमान छूते हैं।

पोषक तत्वों की कमी के लक्षण और उपाय

सब्जियों में पोषक तत्वों की कमी को पहचानना जरूरी है। पत्तियाँ पीली पड़ें तो नाइट्रोजन कम है, बैंगनी हों तो फॉस्फोरस की कमी है, किनारे भूरे हों तो पोटैशियम कम है। मैग्नीशियम की कमी से पुरानी पत्तियों की शिराएँ हरी रहती हैं और किनारे पीले पड़ते हैं। आयरन कम हो तो नई पत्तियाँ पीली पड़ती हैं और बोरॉन की कमी से फल कम लगते हैं।

इनसे बचने के लिए मिट्टी की जाँच कराएँ। मिट्टी और पानी का पीएच 6.2 से 6.8 के बीच रखें। काशी सूक्ष्म शक्ति को कद्दूवर्गीय फसलों पर 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़कें। काशी सूक्ष्म शक्ति प्लस को फलीदार फसलों पर 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाएँ। फसल की अवधि के हिसाब से 2-3 बार छिड़काव करें।

वैज्ञानिकों की मेहनत, किसानों की जीत

आईसीएआर-आईआईवीआर ने इन फॉर्मूलेशनों को संस्थान और किसानों के खेतों में आजमाया। परिणाम शानदार रहे। कद्दूवर्गीय फसलों में 30% और फलीदार फसलों में 25% तक पैदावार बढ़ी। प्रधान वैज्ञानिक डॉ. हरे कृष्ण कहते हैं, “ये फॉर्मूलेशन शानदार नतीजे दे रहे हैं। अब इन्हें कमर्शियल स्तर पर ले जाने की तैयारी है।” आईआईवीआर के निदेशक डॉ. नागेंद्र राय के साथ बैठक हो चुकी है। जल्द ही ये किसानों के हाथों में होगा। नागेश सिंह जैसे किसानों की सफलता बताती है कि ये तकनीक खेती की चुनौतियों का जवाब है। ये न सिर्फ पैदावार बढ़ाती है, बल्कि सब्जियों को पोषण से भरपूर बनाती है।

शुरू करने का आसान तरीका

किसान भाइयों, अगर आप भी अपनी फसल को बढ़ाना चाहते हैं, तो इन फॉर्मूलेशनों को आजमाएँ। अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें। मिट्टी की जाँच करवाएँ और सही समय पर छिड़काव करें। कद्दूवर्गीय फसलों में फूल आने से पहले और फलीदार फसलों में फल बनते वक्त इसका इस्तेमाल करें। ये छोटा कदम आपकी मेहनत को बड़ा फल देगा। खेती को स्मार्ट बनाइए और कमाई को बढ़ाइए।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं krishitak.com पर लेखक हूं, जहां मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाओं पर केंद्रित आर्टिकल लिखता हूं। अपनी रुचि और विशेषज्ञता के साथ, मैं पाठकों को लेटेस्ट और उपयोगी जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता हूं।

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