देशभर के 700 से ज्यादा जिलों में चलेगा विकसित कृषि संकल्प अभियान, गाँव-गाँव तक पहुंचेगी आधुनिक खेती की जानकारी

केंद्र सरकार ने देश के किसानों को समृद्ध और खेती को आधुनिक बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025 के तहत 29 मई से 12 जून तक पूरे देश के 700 से ज्यादा जिलों में कृषि वैज्ञानिक और अधिकारी गाँव-गाँव जाकर किसानों से मिलेंगे। इस अभियान का मकसद है कि खेतों में नई तकनीकों का इस्तेमाल हो, मिट्टी की सेहत बनी रहे और किसानों की कमाई बढ़े।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसकी शुरुआत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “लैब टू लैंड” मंत्र से जोड़ा है। उनका कहना है कि यह अभियान “एक देश, एक कृषि, एक टीम” की सोच को साकार करेगा। यह योजना न सिर्फ खेती को बेहतर बनाएगी, बल्कि गाँव के किसानों को नई दिशा देगी।

गाँवों में किसानों से सीधा संवाद

इस अभियान की सबसे खास बात यह है कि वैज्ञानिक और कृषि अधिकारी खुद गाँवों में जाकर किसानों से बात करेंगे। वे खेती से जुड़ी नई तकनीकों, सरकारी योजनाओं और प्राकृतिक खेती के फायदों के बारे में समझाएंगे। हर जिले में चार-चार वैज्ञानिकों की टीमें बनाई जाएंगी, जो मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर सही खाद और उर्वरकों के इस्तेमाल की सलाह देंगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसान कम लागत में ज्यादा पैदावार ले सकें। इस काम में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), 731 कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), और अन्य संस्थान मिलकर काम करेंगे। केंद्रीय कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी और आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट ने भी इस अभियान की तैयारियों को अंतिम रूप दिया है।

प्राकृतिक खेती और नई तकनीकों पर जोर

इस अभियान में प्राकृतिक खेती को खास तवज्जो दी जा रही है। किसानों को बताया जाएगा कि रासायनिक खाद और कीटनाशकों की जगह गोबर, जीवामृत और बीजामृत जैसी प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल कैसे करें। इससे मिट्टी की ताकत बनी रहेगी और खेती का खर्चा भी कम होगा। साथ ही, ड्रोन से खेती, धान की सीधी बुवाई (डीएसआर), और सोयाबीन में मशीनों का इस्तेमाल जैसी नई तकनीकों को भी बढ़ावा दिया जाएगा। इन तकनीकों से समय और मेहनत की बचत होगी। किसानों को यह भी सिखाया जाएगा कि एक ही खेत में कई फसलें कैसे उगाई जा सकती हैं, ताकि नुकसान का खतरा कम हो और मुनाफा बढ़े।

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सरकारी योजनाओं की जानकारी

इस अभियान में किसानों को केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के बारे में भी बताया जाएगा। मसलन, पीएम किसान सम्मान निधि, फसल बीमा योजना और कृषि यंत्रों पर सब्सिडी जैसी योजनाओं का फायदा कैसे उठाया जाए, इसकी पूरी जानकारी दी जाएगी। इसके लिए आईसीटी (सूचना और संचार तकनीक) का इस्तेमाल होगा, ताकि ज्यादा से ज्यादा किसानों तक बात पहुंचे। प्रगतिशील किसान, कृषि उद्यमी और किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) भी इस अभियान में शामिल होंगे, ताकि गाँव-गाँव में जागरूकता फैले।

तेजी से दिखेंगे नतीजे

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साफ किया है कि यह अभियान कोई लंबा इंतजार नहीं करवाएगा। उनका कहना है कि तीन महीने बाद खरीफ सीजन में ही इसके नतीजे दिखने शुरू हो जाएंगे। वैज्ञानिकों की सलाह और नई तकनीकों से किसानों की फसल बेहतर होगी और उनकी लागत कम होगी। इस अभियान में राज्य के कृषि, बागवानी, पशुपालन और मत्स्य पालन विभाग भी शामिल होंगे। सभी मिलकर यह सुनिश्चित करेंगे कि खेती न सिर्फ फायदेमंद बने, बल्कि पर्यावरण के लिए भी अच्छी हो।

यह अभियान सिर्फ खेती तक सीमित नहीं है, बल्कि यह गाँव की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का भी एक रास्ता है। केंद्रीय मंत्री ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर इस अभियान में सहयोग मांगा है। हरियाणा जैसे राज्यों में यह योजना खेती को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी। किसानों को नई तकनीक, सही जानकारी और सरकारी मदद मिलेगी, जिससे उनके खेत और जेब दोनों हरे-भरे रहेंगे। यह अभियान विकसित भारत के सपने को सच करने की दिशा में बड़ा कदम है।

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  • Shashikant

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