विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025: 2170 टीमों ने 2 दिन में 7.95 लाख किसानों से किया सीधा संवाद

भारत के खेतों को और समृद्ध बनाने के लिए एक नया जन आंदोलन शुरू हो चुका है। विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025 के तहत केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में देश भर के किसानों तक वैज्ञानिक जानकारी और नई तकनीक पहुंचाने की मुहिम चल रही है। ये कोई साधारण सरकारी योजना नहीं, बल्कि एक ऐसा अभियान है, जो किसानों और वैज्ञानिकों को एक मंच पर लाएगा। 29 मई को ओडिशा के पुरी से शुरू हुआ ये 15 दिन का अभियान 12 जून तक चलेगा। इसका मकसद है खेती को आधुनिक बनाना और किसानों की आय बढ़ाना।

अभियान का मकसद और पहुंच

इस अभियान का लक्ष्य है देश के 700 से ज्यादा जिलों के 65,000 गाँवों में 1.5 करोड़ किसानों तक पहुंचना। अभी तक 2170 टीमें 7368 गाँवों में 4416 दौरे कर चुकी हैं और 7.95 लाख किसानों को जोड़ चुकी हैं। ये टीमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), 731 कृषि विज्ञान केंद्रों (KVK), और राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रही हैं। शिवराज सिंह चौहान खुद 20 राज्यों का दौरा करेंगे, ताकि किसानों और वैज्ञानिकों से सीधा संवाद हो। ये अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लैब टू लैंड विजन को जमीन पर उतारने की कोशिश है, जिसमें वैज्ञानिक खोजें सीधे खेतों तक पहुंचें।

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किसानों को क्या मिलेगा

इस अभियान में वैज्ञानिक गाँव-गाँव जाकर किसानों को नई तकनीकों की जानकारी देंगे। जैसे कि मौसम के हिसाब से बीज चुनना, खाद का सही इस्तेमाल, मिट्टी की सेहत सुधारना, और फसलों को बीमारियों से बचाना। इसके अलावा, प्राकृतिक खेती, ड्रोन का इस्तेमाल, पशुपालन, डेयरी, और मछली पालन जैसे नए तरीकों पर भी बात होगी। ये सब इसलिए, ताकि खरीफ की फसल में किसानों को तुरंत फायदा हो। साथ ही, किसानों के नए-नए प्रयोगों से वैज्ञानिक भी सीखेंगे, ताकि भविष्य में और बेहतर समाधान मिल सकें।

शिवराज सिंह चौहान ने इसे जन आंदोलन बताया है। उनका कहना है कि ये सिर्फ कागजी योजना नहीं, बल्कि एक देश, एक कृषि, एक टीम की भावना से चलने वाला कार्यक्रम है। इसमें 16,000 वैज्ञानिक, कृषि अधिकारी, प्रगतिशील किसान, और किसान उत्पादक संगठन (FPO) एक साथ काम करेंगे। खरीफ और रबी फसलों की बुवाई से पहले हर साल ये अभियान चलेगा, ताकि किसानों को समय पर सही सलाह मिले। चौहान ने विधायकों से भी अपील की है कि वो किसानों को वैज्ञानिकों से बात करने और प्रशिक्षण में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करें।

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खेती में बदलाव का रास्ता

ये अभियान भारत को दुनिया का खाद्य टोकरी (Food Basket) बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। 2024-25 में खाद्यान्न उत्पादन 3157.74 लाख टन से बढ़कर 3309.18 लाख टन हो गया। दालों का उत्पादन 221.71 से 230.22 लाख टन और तिलहन 384 से 416 लाख टन तक पहुंचा। इस अभियान से उत्पादन और बढ़ेगा, लागत कम होगी, और किसानों की आय में इजाफा होगा। मृदा स्वास्थ्य कार्ड के जरिए किसानों को मिट्टी की जरूरतों की सही जानकारी मिलेगी, जिससे खाद का सही इस्तेमाल होगा।

किसान भाइयों, इस अभियान का फायदा उठाएं। अपने गाँव में आने वाली वैज्ञानिक टीमों से मिलें, अपनी समस्याएं बताएं, और नई तकनीकों के बारे में पूछें। अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें और मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनवाएं। ये अभियान आपकी खेती को आसान और मुनाफेदार बनाने का मौका है। अगर आप प्राकृतिक खेती या ड्रोन जैसे नए तरीके आजमाना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से सलाह लें। आइए, मिलकर भारत की खेती को नई ऊंचाइयों तक ले जाएं।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और मैंने संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं Krishitak.com का संस्थापक और प्रमुख लेखक हूं। पिछले 3 वर्षों से मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाएं, और ग्रामीण भारत से जुड़े विषयों पर लेखन कर रहा हूं।

    Krishitak.com के माध्यम से मेरा उद्देश्य है कि देशभर के किसानों तक सटीक, व्यावहारिक और नई कृषि जानकारी आसान भाषा में पहुँचे। मेरी कोशिश रहती है कि हर लेख पाठकों के लिए ज्ञानवर्धक और उपयोगी साबित हो, जिससे वे खेती में आधुनिकता और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ सकें।

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