किसान भाइयों, उत्तर भारत में गर्मी इस बार जल्दी सिर चढ़कर बोल रही है अप्रैल में ही तापमान 40 डिग्री के करीब पहुँच गया है। इस तपिश का असर खेतों में बेल वाली सब्जियों पर दिख रहा है। टमाटर, घीया, तुरई, मिर्च जैसी फसलों की बढ़वार थम सी गई है। मगर घबराइए मत, विशेषज्ञों ने देसी नुस्खे बताए हैं। शाम की हल्की सिंचाई से सब ठीक हो सकता है। चलिए, इस गर्मी से लड़ने का पूरा हिसाब समझते हैं।
अप्रैल की तपिश ने रोकी बढ़वार
हर साल अप्रैल में तापमान 35 डिग्री तक रहता है, और टमाटर, घीया, मिर्च, टिंडा, तुरई, ककड़ी, खीरा, तरबूज, बैंगन की बुवाई जोरों पर होती है। इस मौसम में छोटी पौधें तेजी से बढ़ती हैं। मगर इस बार गर्मी ने खेल बिगाड़ दिया। महेंद्रगढ़ में 40 डिग्री की तपन ने बेल वाली सब्जियों को सुस्त कर दिया। पौधों की जड़ें कमजोर पड़ रही हैं, और बढ़वार रुक सी गई है। किसानों की मेहनत पर गर्मी भारी पड़ रही है।
कृषि विशेषज्ञ कहते हैं कि इस गर्मी से फसल को बचाना आसान है। शाम के वक्त हल्की सिंचाई करिए। दोपहर की तेज धूप में पानी मत डालिए, वरना जड़ें झुलस सकती हैं। शाम को जब सूरज ढल जाए, तब खेत में हल्का पानी छोड़िए। इससे मिट्टी ठंडी रहेगी, और पौधों को राहत मिलेगी। बेल वाली सब्जियों की बढ़वार फिर से पटरी पर आएगी। ये छोटा सा उपाय आपकी फसल को गर्मी के कहर से बचा लेगा।
कृषि अधिकारी की सलाह
महेंद्रगढ़ के उपमंडल कृषि अधिकारी डॉ. अजय यादव ने भी यही रास्ता बताया। वो कहते हैं कि घीया, तुरई, टमाटर जैसी बेल वाली फसलों पर गर्मी का असर हल्का सा पड़ा है। शाम को हल्की सिंचाई से ये ठीक हो जाएँगी। दिन में धूप तेज होने से पौधों की नमी उड़ रही है, और जड़ें कमजोर हो रही हैं। नियमित देखभाल करिए – खेत में जाएँ, पौधों को देखें, और शाम को पानी का इंतजाम करिए। थोड़ी मेहनत से फसल फिर लहलहाएगी।
गर्मी से लड़ने का पूरा खेल
अप्रैल में 40 डिग्री की गर्मी नई मुसीबत है। पौधों को पानी की सख्त जरूरत है, मगर सही वक्त पर। दोपहर में पानी डाला तो मिट्टी उबलने लगती है, और पौधे मुरझा जाते हैं। शाम को हल्का पानी डालने से जड़ें नमी पकड़ती हैं, और रात में ठंडक से ताकत लेती हैं। टमाटर और मिर्च की छोटी पौधें इस गर्मी में सबसे ज्यादा परेशान हैं। बेल वाली फसलों को सहारा दीजिए, ताकि गर्म हवा से टूटें नहीं।
शाम को 5-6 बजे के बाद हल्का पानी डालिए। ड्रिप सिस्टम हो तो और बेहतर, पानी बर्बाद नहीं होगा। खेत में गोबर खाद डालकर मिट्टी को नम रखिए। बेलों को लकड़ी या तार से सहारा दीजिए। सुबह पौधों को चेक करिए, अगर पत्तियाँ मुरझाई दिखें तो पानी की मात्रा थोड़ी बढ़ाइए। तेज धूप से बचाने के लिए हल्की छाया का जुगाड़ कर सकते हैं। गाँव के अनुभवी भाइयों से सलाह लीजिए।
मुनाफे पर गर्मी का असर
अगर फसल की बढ़वार रुकी, तो बाजार में देरी होगी। टमाटर, खीरा, तुरई का दाम अच्छा मिलता है, मगर पौधे कमजोर हुए तो पैदावार घटेगी। शाम की सिंचाई से ये नुकसान बच सकता है। एक हेक्टेयर में 20-25 टन सब्जियाँ होती हैं, जो 50-60 रुपये किलो बिकती हैं। गर्मी ने रोका, तो 4-5 टन कम हो सकता है। सही देखभाल से फसल और जेब दोनों हरी रहेंगी।
तो भाइयों, गर्मी से लड़िए और फसल बचाइए। शाम को हल्की सिंचाई करिए, खेत में नजर रखिए। विशेषज्ञों की सलाह मानिए, और बेल वाली सब्जियों को ताकत दीजिए।
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