VL-967 गेहूं: पहाड़ी किसानों के लिए रबी का नया सितारा, 35 क्विंटल तक उपज का वादा

VL-967 wheat variety: पहाड़ी और बारिश-निर्भर क्षेत्रों में खेती करने वाले किसानों के लिए ICAR-विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (VPKAS), अल्मोड़ा ने एक क्रांतिकारी गेहूं किस्म VL-967 विकसित की है। 2019 में अधिसूचित यह किस्म उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और अन्य पर्वतीय क्षेत्रों के लिए वरदान साबित हो रही है। खास तौर पर बारिश-निर्भर (रेनफेड) और समय पर बुवाई (टाइमली-सोन) की परिस्थितियों के लिए डिज़ाइन की गई यह किस्म पुरानी किस्म VL गेहूं 907 से 12-13 फीसदी ज्यादा उपज देती है।

स्ट्राइप रस्ट और लीफ रस्त जैसे रोगों के खिलाफ इसकी मजबूत प्रतिरोधक क्षमता इसे अनिश्चित जलवायु में भी भरोसेमंद बनाती है। औसतन 19.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और अनुकूल हालात में 35 क्विंटल तक की पैदावार के साथ, ये किस्म छोटे और मझोले किसानों के लिए कमाई का नया रास्ता खोल रही है।

अगेती और रोग-रोधी फसल

VL-967 की सबसे बड़ी ताकत इसकी जल्दी पकने की क्षमता है। ये 110-115 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है, जो पहाड़ी क्षेत्रों में दूसरी रबी फसल जैसे मसूर या चना बोने का मौका देती है। इसके दाने पीले-भूरे रंग के, मध्यम आकार के और चमकदार होते हैं, जिनमें 9.8-10 फीसदी प्रोटीन होता है। रोटी गुणवत्ता स्कोर 7.6 के साथ ये चपाती और अन्य व्यंजनों के लिए आदर्श है। बाजार में इसके दानों को अच्छा दाम मिलता है, क्योंकि ये देखने में आकर्षक और पौष्टिक हैं। VPKAS के वैज्ञानिकों ने इसे खास तौर पर कम उर्वरता वाली मिट्टी और सीमित पानी के लिए डिज़ाइन किया है, जो पहाड़ी खेती की चुनौतियों को आसान बनाता है।

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सही बुवाई और खेत की तैयारी

VL-967 की खेती के लिए खेत की सही तैयारी जरूरी है। भुरभुरी, जलनिकास युक्त और मध्यम उपजाऊ मिट्टी इसके लिए बेस्ट है, जिसका पीएच 6-7 के बीच हो। अक्टूबर के पहले पखवाड़े में बुवाई करें, ताकि ठंड शुरू होने से पहले पौधे जड़ें मजबूत कर लें। प्रति हेक्टेयर 100-120 किलो बीज दर रखें, और बीज को 2.5 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किलो से उपचारित करें ताकि फफूंद से बचाव हो।

खेत की गहरी जुताई के बाद 4-5 टन गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट डालें। उर्वरक के लिए 120 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस और 40 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर इस्तेमाल करें आधी नाइट्रोजन बुवाई के समय और बाकी दो हिस्सों में (टिलरिंग और फूल आने पर)। पंक्तियों में 20-22 सेंटीमीटर दूरी रखें, ताकि हवा और धूप पौधों तक पहुंचे। ये तरीका पैदावार को 15-20 फीसदी तक बढ़ा सकता है।

कम पानी में ज्यादा फायदा

VL-967 की सबसे बड़ी खूबी है इसकी बारिश-निर्भर खेती में शानदार परफॉर्मेंस। रेनफेड इलाकों में ये बिना सिंचाई के 19-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर दे सकती है। अगर सुविधा हो तो दो हल्की सिंचाइयां टिलरिंग (30-35 दिन) और दाना भरने (70-80 दिन) के समय देने से उपज 35 क्विंटल तक पहुंच सकती है। ज्यादा पानी से बचें, क्योंकि जलभराव जड़ों को नुकसान पहुंचाता है। पहाड़ी क्षेत्रों में बारिश की नमी का फायदा उठाएं, और अगर सूखा पड़ जाए तो ड्रिप इरिगेशन का इस्तेमाल करें। ये तरीका लागत कम रखता है और फसल को स्थिर बनाता है।

रोग और कीट प्रबंधन

VL-967 ने रिसर्च ट्रायल्स में स्ट्राइप रस्ट (ACI=17.4) और लीफ रस्त (ACI=4.0) के खिलाफ मजबूत प्रतिरोध दिखाया है, जो पहाड़ी इलाकों में आम हैं। फिर भी, कुछ सावधानियां बरतें। रोग-रोधी बीज चुनें और फसल चक्र अपनाएं—एक ही खेत में बार-बार गेहूं न बोएं। खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के 20-25 दिन बाद निराई करें। अगर टिड्डी या एफिड्स जैसे कीट दिखें, तो नीम तेल (5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें। रोगों जैसे ब्लाइट से बचने के लिए खेत को साफ रखें और पुराने अवशेष हटाएं। ये उपाय फसल को नुकसान से बचाते हैं और कीटनाशकों पर खर्च कम करते हैं।

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20 हजार की लागत, लाखों की कमाई

VL-967 की खेती में प्रति हेक्टेयर लागत करीब 20-25 हजार रुपये आती है बीज (4-5 हजार), खाद (8-10 हजार), मजदूरी और अन्य खर्च (5-7 हजार)। औसत उपज 19.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, और बाजार में गेहूं 25-30 रुपये प्रति किलो बिकता है। यानी 50-60 हजार रुपये की कमाई आसानी से हो जाती है, और अनुकूल हालात में 35 क्विंटल से 1 लाख तक पहुंच सकती है। लागत निकालने के बाद 30-70 हजार का शुद्ध मुनाफा मिलता है। जल्दी पकने की वजह से दूसरी फसल जैसे मसूर, चना या सब्जी बोई जा सकती है, जो आय को दोगुना कर देती है। पहाड़ी किसानों के लिए ये किस्म कम संसाधनों में ज्यादा रिटर्न का वादा करती है।

क्यों चुनें VL-967

VL-967 की कई खासियतें इसे खास बनाती हैं। ये रस्त रोगों से सुरक्षित, जल्दी पकने वाली और कम पानी में भी बढ़िया उपज देती है। इसकी चपाती गुणवत्ता शानदार है, और बाजार में दाने आकर्षक होने से अच्छा दाम मिलता है। ये किस्म खास तौर पर उन किसानों के लिए बनाई गई है जो सीमित संसाधनों में खेती करते हैं। हालांकि, मैदानी या ज्यादा सिंचित इलाकों में इसके बजाय दूसरी किस्में जैसे HD-2967 बेहतर हो सकती हैं। देर से बुवाई से उपज 10-15 फीसदी कम हो सकती है, इसलिए अक्टूबर में ही बोएं।

सावधानियां और सुझाव

किसान भाई, बुवाई से पहले मिट्टी की जांच करवाएं ताकि उर्वरक सही मात्रा में डालें। जैविक खाद जैसे वर्मी कम्पोस्ट का इस्तेमाल मिट्टी की सेहत बनाए रखता है। बीज VPKAS या सरकारी केंद्रों से लें, ताकि क्वालिटी की गारंटी हो। खेत में जलनिकास की व्यवस्था रखें, और बारिश की अनिश्चितता को ध्यान में रखकर ड्रिप सिस्टम पर विचार करें। मेले और कृषि केंद्रों से नई तकनीकों की जानकारी लें।

VL-967 पहाड़ी किसानों के लिए एक भरोसेमंद साथी है, जो कम संसाधनों में बंपर उपज और स्थिर कमाई का रास्ता खोलती है। इसे अपनाकर खेती को नई ऊंचाई दें।

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  • Shashikant

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