Watermelon Farming: तरबूजा, जिसे हम गर्मियों का राजा कहते हैं, एक ऐसा फसल है जो न सिर्फ स्वाद में बेहतरीन होता है, बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है। यह फल गर्मी के मौसम में शरीर को ठंडक देता है और पानी की कमी को पूरा करता है। गाँव में तरबूजे की खेती करना किसानों के लिए एक अच्छा मौका हो सकता है, क्योंकि यह कम लागत में अच्छा मुनाफा देने वाली फसल है। आइए, जानते हैं कि तरबूजे की खेती कैसे की जाती है और इससे जुड़ी कुछ जरूरी बातें।
मिट्टी और खेत की तैयारी
तरबूजे की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। यह मिट्टी नरम होती है और इसमें पानी का निकास अच्छे से होता है। तरबूजे की जड़ें जमीन में गहराई तक जाती हैं, इसलिए मिट्टी का ढीला होना जरूरी है। अगर मिट्टी में ज्यादा चिकनापन होगा, तो पानी जमा हो सकता है और फसल खराब हो सकती है।
तरबूजे की खेती शुरू करने से पहले खेत की अच्छे से तैयारी करनी चाहिए। सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करें, ताकि मिट्टी ढीली और भुरभुरी हो जाए। इसके बाद खेत में गोबर की खाद डालें। गोबर की खाद मिट्टी को उपजाऊ बनाती है और फसल को जरूरी पोषक तत्व देती है। खाद डालने के बाद खेत को समतल कर लें, ताकि पानी का बहाव ठीक से हो सके। खेत का ढाल एक तरफ करें क्योकि तरबूजे के जड़ो में पानी नही लगने चाहिए ,अन्यथा पत्तियां पिली पड़ जाती हैं ,पौधा ग्रोथ कम करता है.
बीज को कैसे बोएं
तरबूजे के बीज बोने का सही समय फरवरी से मार्च का महीना होता है। सबसे पहले आप अच्छी किस्म के बीज का चयन करें जैसे -नामधारी ,VNR,आदि उसके बाद , बीज बोने से पहले उन्हें 24 घंटे के लिए पानी में भिगोकर रखें। इससे बीज का अंकुरण तेजी से होता है। बीज बोते समय ध्यान रखें कि पंक्तियों के बीच की दूरी लगभग 2-3 मीटर और पौधों के बीच की दूरी 1-1.5 मीटर होनी चाहिए। बीज को लगभग 2-3 सेमी की गहराई में बोएं और ऊपर से मिट्टी से ढक दें।
सिंचाई
तरबूजे की फसल को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती, लेकिन नियमित सिंचाई जरूरी है। बीज बोने के बाद पहली सिंचाई तुरंत करें। इसके बाद जब पौधे बड़े होने लगें, तो हल्की सिंचाई करते रहें। फलों के पकने के समय पानी की मात्रा कम कर दें, क्योंकि ज्यादा पानी से फल फट सकते हैं।
तरबूजे की (Watermelon Farming) फसल में खरपतवार नियंत्रण बहुत जरूरी है। खरपतवार फसल से पोषक तत्व चुरा लेते हैं और पौधों की बढ़त को रोकते हैं। इसलिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहें। अगर फसल में कीट या बीमारी का प्रकोप दिखे, तो तुरंत उपचार करें। नीम का तेल या गोमूत्र जैसे प्राकृतिक उपाय भी कीट नियंत्रण में कारगर होते हैं।
फसल की कटाई
तरबूजे की फसल बीज बोने के लगभग 80-90 दिन बाद तैयार हो जाती है। फल पकने पर उसका रंग गहरा हरा हो जाता है और उस पर एक चमकदार परत दिखाई देती है। फल को हाथ से थपथपाने पर खोखली आवाज आती है। यह संकेत होता है कि फल पक गया है और कटाई के लिए तैयार है। कटाई के बाद तरबूजों को ठंडी और छायादार जगह पर रखें, ताकि वे लंबे समय तक ताजे बने रहें।
खरबूजे से मुनाफा
तरबूजे की खेती (Watermelon Farming) कम लागत में अच्छा मुनाफा देने वाली फसल है। एक एकड़ खेत में लगभग 8-10 टन तरबूजे का उत्पादन हो सकता है। बाजार में इसकी कीमत मौसम और मांग के हिसाब से अलग-अलग होती है, लेकिन औसतन एक एकड़ से 50,000 से 1,00,000 रुपये तक की कमाई हो सकती है।
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