धान की रोपाई के अगले दिन डालें ये 2 में से कोई 1 दवा, खेत से खत्म हो जाएंगे सारे खरपतवार

Weed Control Tips in Rice cultivation: धान की रोपाई का समय शुरू हो चुका है, और किसान अपनी फसल को तैयार करने में जुटे हैं। लेकिन इस दौरान खरपतवार एक बड़ी समस्या बनकर उभरते हैं। रोपाई के तुरंत बाद उगने वाले खरपतवार धान के पौधों के साथ पोषक तत्वों, पानी, और जगह के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं। इससे धान की फसल को आवश्यक पोषण नहीं मिल पाता, जिसका सीधा असर पैदावार पर पड़ता है। कृषि विज्ञान केंद्र, नियामतपुर के विशेषज्ञ डॉ. एनसी त्रिपाठी के अनुसार, अगर रोपाई के शुरुआती चरण में ही खरपतवार नियंत्रण के उपाय कर लिए जाएँ, तो न केवल फसल स्वस्थ रहती है, बल्कि बाद में महंगे उपायों की भी जरूरत नहीं पड़ती।

खरपतवार को उगने से रोकें

खरपतवारों को नियंत्रित करने का सबसे प्रभावी तरीका है उन्हें उगने से पहले ही रोकना। डॉ. त्रिपाठी सलाह देते हैं कि धान की रोपाई के 24 से 36 घंटे के भीतर खरपतवारनाशक दवाओं का छिड़काव करना चाहिए। प्रीटिलाक्लोर 50% ईसी (Pretilachlor 50% EC) और बूटाक्लोर 50% ईडब्ल्यू (Butachlor 50% EW) इस उद्देश्य के लिए सबसे उपयुक्त हैं। इन दवाओं का सही समय पर उपयोग करने से खरपतवारों का अंकुरण रुक जाता है, जिससे धान के पौधों को पूरा पोषण मिलता है। यह तरीका न केवल किफायती है, बल्कि फसल की पैदावार को 15-20% तक बढ़ाने में भी मदद करता है।

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प्रीटिलाक्लोर का उपयोग

प्रीटिलाक्लोर 50% ईसी का उपयोग धान की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए अत्यंत प्रभावी है। प्रति एकड़ खेत के लिए 500 मिलीलीटर प्रीटिलाक्लोर को 150-200 लीटर पानी में अच्छी तरह मिलाएँ। इसके बाद स्प्रे पंप की मदद से पूरे खेत में समान रूप से छिड़काव करें। छिड़काव के समय खेत में 5-6 सेंटीमीटर पानी भरा होना चाहिए, ताकि दवा की परत सतह पर बनी रहे। छिड़काव के बाद खेत में दोबारा प्रवेश न करें, क्योंकि इससे दवा की परत टूट सकती है और इसका असर कम हो सकता है। यह उपाय चौड़ी और संकरी पत्ती वाले खरपतवारों को प्रभावी ढंग से रोकता है।

बूटाक्लोर: किसानों का भरोसा

बूटाक्लोर 50% ईडब्ल्यू भी खरपतवार नियंत्रण के लिए एक विश्वसनीय विकल्प है, जिसका उपयोग किसान वर्षों से करते आ रहे हैं। प्रति एकड़ खेत के लिए 500 मिलीलीटर बूटाक्लोर को 150-200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। प्रीटिलाक्लोर की तरह, इस दवा के छिड़काव के समय भी खेत में 5-6 सेंटीमीटर पानी का स्तर बनाए रखें। छिड़काव के बाद खेत में दोबारा न जाएँ, ताकि दवा की परत बरकरार रहे। बूटाक्लोर घास और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों को उगने से रोकता है, जिससे धान की फसल को पोषक तत्वों की पूरी आपूर्ति होती है।

छिड़काव के समय सावधानियाँ

खरपतवारनाशक दवाओं का अधिकतम लाभ उठाने के लिए कुछ सावधानियाँ बरतनी जरूरी हैं। छिड़काव के समय खेत में पानी का स्तर एकसमान होना चाहिए, ताकि दवा पूरे खेत में फैल सके। स्प्रे पंप को अच्छी तरह साफ करें और दवा को पूरी तरह मिलाएँ। छिड़काव सुबह या शाम के समय करें, जब हवा शांत हो, ताकि दवा बिखरे नहीं। किसानों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि खरपतवारनाशक का उपयोग रोपाई के 36 घंटे के भीतर हो, क्योंकि देरी होने पर खरपतवार अंकुरित हो सकते हैं, जिससे दवा का असर कम हो जाता है।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं krishitak.com पर लेखक हूं, जहां मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाओं पर केंद्रित आर्टिकल लिखता हूं। अपनी रुचि और विशेषज्ञता के साथ, मैं पाठकों को लेटेस्ट और उपयोगी जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता हूं।

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