धान की कटाई के बाद खेत में बची पराली को जलाने की समस्या लंबे समय से किसानों और पर्यावरण दोनों के लिए चुनौती रही है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट्स के अनुसार पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरता कम होती है तथा वायु प्रदूषण बढ़ता है। अब सुपर सीडर मशीन इस समस्या का प्रभावी समाधान प्रदान कर रही है। यह मशीन पराली को हटाए या जलाए बिना खेत में मिट्टी में मिलाकर सीधे गेहूं की बुवाई कर देती है।
रबी सीजन में उत्तर भारत के राज्यों जैसे पंजाब हरियाणा उत्तर प्रदेश राजस्थान और मध्य प्रदेश में इस मशीन का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत सरकार सब्सिडी भी प्रदान कर रही है जिससे किसान आसानी से इसे अपनाते हैं।
सुपर सीडर मशीन क्या है और कैसे काम करती है
सुपर सीडर एक उन्नत कृषि यंत्र है जिसमें रोटावेटर जीरो टिल ड्रिल और पराली काटने वाले ब्लेड का संयोजन होता है। यह ट्रैक्टर से जुड़कर एक साथ कई काम करती है। सबसे पहले खेत में खड़ी या बिखरी पराली को काटकर मिट्टी में मिलाती है। फिर खेत की जुताई करता है और बीज तथा खाद को एकसमान गहराई पर बोता है। अंत में रोलर से मिट्टी को दबाकर समतल कर देता है। पूरी प्रक्रिया एक ही चक्कर में पूरी हो जाती है। यह जीरो टिलेज तकनीक पर आधारित है जिसमें खेत की जुताई की जरूरत नहीं पड़ती। कृषि विश्वविद्यालयों की सिफारशों के अनुसार 50 से 75 हॉर्सपावर वाले ट्रैक्टर से यह मशीन आसानी से चल जाती है।
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सुपर सीडर के प्रमुख लाभ
इस मशीन का उपयोग करने से पराली जलाने की जरूरत पूरी तरह खत्म हो जाती है। पराली मिट्टी में मिलकर प्राकृतिक खाद का काम करती है जिससे मिट्टी की जैविक संरचना सुधरती है और उर्वरक की जरूरत कम हो जाती है। मिट्टी में नमी ज्यादा समय तक बनी रहती है जिससे सिंचाई का खर्च बचता है। एक घंटे में 1 से 2 एकड़ तक बुवाई हो जाती है इसलिए समय और ईंधन की भारी बचत होती है।
ICAR की रिपोर्ट्स में पाया गया है कि सुपर सीडर से बोए गए गेहूं में उत्पादन 5 से 10 प्रतिशत तक बढ़ जाता है क्योंकि बीज सही गहराई और दूरी पर बोए जाते हैं। पर्यावरण की दृष्टि से यह वायु प्रदूषण रोकता है और मिट्टी के सूक्ष्म जीवों की रक्षा करता है।
गेहूं बुवाई के लिए उपयुक्त समय और विधि
रबी सीजन 2025-26 में धान कटाई के तुरंत बाद नवंबर के पहले पखवाड़े में सुपर सीडर से बुवाई सबसे अच्छी रहती है। खेत में नमी होने पर यह मशीन बेहतर काम करती है। बीज दर 40 से 50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखें तथा उन्नत किस्में जैसे एचडी 2967 डीबीडब्ल्यू 187 या पीबीडब्ल्यू 826 चुनें। खाद के रूप में यूरिया डीएपी और पोटाश को मशीन में ही डालें। बुवाई के बाद पहली सिंचाई 20-25 दिन बाद करें। कृषि विशेषज्ञों की सलाह है कि पराली की ऊंचाई 12-18 इंच तक हो तो सबसे अच्छा परिणाम मिलता है।
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मशीन की कीमत और सरकारी सब्सिडी
सुपर सीडर की कीमत मॉडल और ब्रांड के अनुसार 1.30 लाख से 3 लाख रुपये तक होती है। फसल अवशेष प्रबंधन योजना और एसएमएएम स्कीम के तहत सब्सिडी उपलब्ध है। सामान्य किसानों को 40 से 50 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति जनजाति और महिला किसानों को 50 प्रतिशत से अधिक अनुदान मिलता है। कई राज्यों में अधिकतम 1.20 लाख रुपये तक की सब्सिडी दी जा रही है। आवेदन ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल या कृषि विभाग की वेबसाइट पर किया जा सकता है। चयन लॉटरी या पहले आओ पहले पाओ आधार पर होता है। यदि सब्सिडी नहीं मिले तो कस्टम हायरिंग सेंटर से मशीन किराए पर लेकर भी उपयोग किया जा सकता है।
आवेदन और संपर्क की प्रक्रिया
सब्सिडी के लिए स्थानीय कृषि विभाग या जिला कृषि अधिकारी से संपर्क करें। आवश्यक दस्तावेजों में आधार कार्ड बैंक पासबुक भूमि रिकॉर्ड और मोबाइल नंबर शामिल हैं। ऑनलाइन पोर्टल जैसे agriharyana.gov.in या dbt.mpdage.org पर पंजीकरण करें। कई राज्यों ने आवेदन की समयसीमा बढ़ाई है इसलिए शीघ्र आवेदन करें।
सुपर सीडर मशीन आधुनिक खेती का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई है। इसका उपयोग करके किसान पराली प्रबंधन के साथ-साथ लागत कम कर अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। कृषि विभाग की नवीनतम गाइडलाइंस का पालन करके इस तकनीक का पूरा लाभ उठाएं।
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