Wheat Farming Tips: उत्तर प्रदेश में फरवरी का मौसम अब करवट ले रहा है। कुछ दिन पहले तक सूरज की तपिश बढ़ रही थी और तापमान तेजी से चढ़ रहा था। लेकिन अब पश्चिमी विक्षोभ की वजह से कई जिलों में बादल छा गए हैं और हल्की बूंदाबांदी की खबरें भी आ रही हैं। मौसम में ये अचानक बदलाव गेहूं की फसल पर संकट ला सकता है।
गाँव के किसान भाइयों को अब अपनी मेहनत को बचाने के लिए सचेत रहना होगा। कई जगह हल्की बारिश के बाद ठंडक बढ़ गई है, जिससे खेतों की हालत पर नजर रखना जरूरी हो गया है। ऐसे में फसल को नुकसान से बचाने के लिए कुछ सावधानियां बरतनी होंगी।
मौसम का असर और फसल की चिंता
फरवरी की शुरुआत में गर्मी बढ़ने से गेहूं की फसल अच्छी तरह पक रही थी। लेकिन अब बादल और बूंदाबांदी ने हालात बदल दिए हैं। जिन किसानों ने अगेती बुवाई की थी, वो अब तीसरी सिंचाई की तैयारी में हैं। लेकिन मौसम को देखते हुए जल्दबाजी ठीक नहीं।
नियामतपुर के कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ डॉ. एनसी त्रिपाठी बताते हैं कि अगर सिंचाई के बाद बारिश हो जाए, तो फसल को नुकसान हो सकता है। गेहूं के दाने पीले पड़ सकते हैं या फसल गिर सकती है। इसलिए इस मौसम में पानी देने से पहले सोच-समझकर कदम उठाएं। अगर खेत में नमी बनी है, तो अभी रुक जाएं। लेकिन अगर सिंचाई जरूरी है, तो सही तरीके से करें।
गेहूं की सिंचाई का सही तरीका
सिंचाई करते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। विशेषज्ञों का कहना है कि शाम का समय सिंचाई के लिए सबसे अच्छा है। अगर तेज हवा चल रही हो, तो पानी देने से बचें, वरना फसल को नुकसान हो सकता है। खेत में पानी जमा न होने दें, क्योंकि जलभराव से जड़ें खराब हो सकती हैं।
इसके लिए खेत की नालियाँ साफ रखें, ताकि बारिश हो तो पानी निकल जाए। पानी इतना ही डालें कि मिट्टी गीली हो, ज्यादा न करें। अगर मिट्टी पहले से नम है और बारिश की संभावना है, तो कुछ दिन इंतजार कर लें। इस तरह आपकी फसल सुरक्षित रहेगी और मेहनत बेकार नहीं जाएगी।
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