Wheat Sowing: भारत में रबी सीजन मुख्यतः नवंबर से अप्रैल तक होता है। इस दौरान गेहूं जैसी फसलों की बुवाई और कटाई होती है। चालू रबी सत्र 2024-25 में गेहूं की बुवाई का रकबा 2.77% बढ़कर 324.38 लाख हेक्टेयर हो गया है। यह वृद्धि किसानों की मेहनत और सरकार की योजनाओं के प्रभाव का प्रतीक है।
गेहूं की बुवाई में वृद्धि
27 जनवरी 2024 तक गेहूं की बुवाई का रकबा 315.63 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 324.38 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया। इस वृद्धि में समय पर बारिश, उन्नत बीज और सरकारी योजनाओं का योगदान रहा।
सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और आधुनिक कृषि तकनीकों को बढ़ावा देकर किसानों को प्रोत्साहित किया। बेहतर मौसम और सिंचाई सुविधाओं ने भी किसानों को अधिक क्षेत्र में गेहूं की बुवाई के लिए प्रेरित किया।
दलहन और मोटे अनाज की स्थिति
रबी सत्र में दलहन और मोटे अनाज भी महत्वपूर्ण फसलें हैं। इस वर्ष दलहन की बुवाई का रकबा 139.29 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 142.49 लाख हेक्टेयर हो गया है।
वहीं, मोटे अनाज की बुवाई का क्षेत्र 55.67 लाख हेक्टेयर पर स्थिर रहा। इन फसलों का उत्पादन खाद्य सुरक्षा और पोषण की दृष्टि से आवश्यक है।
तिलहन फसलों के रकबे में गिरावट
तिलहन की बुवाई का कुल रकबा 108.52 लाख हेक्टेयर से घटकर 98.18 लाख हेक्टेयर रह गया। इसके पीछे MSP का कम होना और किसानों का अन्य फसलों की ओर रुझान प्रमुख कारण हैं। साथ ही, मौसम की अनिश्चितताओं ने भी तिलहन उत्पादन को प्रभावित किया है।
झारखंड में धान की खरीद
झारखंड में 2024-25 के लिए 60 लाख क्विंटल धान खरीदने का लक्ष्य रखा गया है। 15 दिसंबर 2024 से शुरू हुई इस प्रक्रिया में अब तक 13 लाख क्विंटल से अधिक धान खरीदा जा चुका है।
राज्य में 724 खरीद केंद्रों के माध्यम से यह कार्य किया जा रहा है। सरकार अतिरिक्त केंद्रों को सक्रिय कर लक्ष्य को पूरा करने की योजना बना रही है।
मछली उत्पादन का लक्ष्य
झारखंड ने 2023-24 में 3 लाख टन मछली उत्पादन का लक्ष्य रखा है। पिछले वित्तीय वर्ष में 2.80 लाख टन उत्पादन की तुलना में यह एक महत्वपूर्ण वृद्धि है।
अमृत सरोवर मिशन के तहत प्रत्येक जिले में मत्स्य सहकारी समितियां बनाई जा रही हैं। इस पहल से जल संसाधनों का संरक्षण और उत्पादन क्षमता में वृद्धि हो रही है। अब तक 33 समितियां स्थापित की जा चुकी हैं।
कृषि क्षेत्र में स्थिरता
रबी सत्र 2024-25 के आंकड़े भारतीय कृषि क्षेत्र में प्रगति को दर्शाते हैं। गेहूं और दलहन की बुवाई में वृद्धि से खाद्यान्न सुरक्षा मजबूत हुई है। हालांकि, तिलहन फसलों की घटती बुवाई एक चिंता का विषय है, जिसे सुधारने के लिए MSP में वृद्धि और तकनीकी समर्थन आवश्यक है।
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