Wheat Sowing Tips: रबी का मौसम आते ही भारत के किसान खेतों में गेहूं की बुवाई की तैयारी में जुट जाते हैं। लेकिन कई बार बुवाई के कुछ ही दिनों बाद फसल अचानक सूखने लगती है, जिससे सारी मेहनत पर पानी फिर जाता है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यह समस्या ज्यादातर मिट्टी में मौजूद फंगस की वजह से होती है। अच्छी बात यह है कि एक साधारण देसी उपाय अपनाकर किसान इस खतरे से आसानी से बच सकते हैं। यह तरीका न केवल सस्ता है, बल्कि मिट्टी को भी स्वस्थ बनाता है। आइए जानते हैं गेहूं की बुवाई से पहले कैसे तैयारी करें, ताकि फसल हरी-भरी रहे और बंपर उपज मिले।
देसी घोल तैयार करें
किसानों के लिए सबसे आसान और प्रभावी तरीका है घरेलू संसाधनों से एक खास घोल बनाना। इसके लिए अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद लीजिए, करीब 50 किलो। इसमें 2 किलो ट्रायकोडरमा मिला दीजिए। दोनों को अच्छे से मिलाकर एक गड्ढे में रख दें और 3-4 दिनों तक छायादार जगह पर लेट रहने दें। इस दौरान ट्रायकोडरमा तेजी से बढ़ेगा और फंगस से लड़ने की ताकत हासिल कर लेगा। बुवाई से ठीक पहले इस घोल को खेत की मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें। यह उपाय चना, सरसों जैसी अन्य रबी फसलों के लिए भी कारगर साबित होता है।
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घोल के फायदे
इस देसी घोल का इस्तेमाल करने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ जाती है। पौधों की जड़ें गहरी और मजबूत हो जाती हैं, जिससे वे सूखे या फंगस के हमले से आसानी से नहीं झुकतीं। विशेषज्ञ बताते हैं कि इससे फसल में सुखाने की समस्या लगभग खत्म हो जाती है और पैदावार में 20-25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है। ऊपर से, यह पूरी तरह प्राकृतिक तरीका है, इसलिए रासायनिक दवाओं पर खर्च बचता है। छोटे किसान जो सीमित संसाधनों में खेती करते हैं, उनके लिए यह वरदान जैसा है। उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में जहां गेहूं की खेती मुख्य फसल है, वहां यह उपाय लाखों किसानों को फायदा पहुंचा सकता है।
बीज उपचार न भूलें
बुवाई से पहले एक और जरूरी काम है बीजों का उपचार। कई बार बीजों पर ही रोगाणु चिपके रहते हैं, जो अंकुरण को कमजोर कर देते हैं। इसके लिए बीजों को साफ पानी से धोकर सुखा लें। फिर, थोड़े से फफूंदनाशक दवा के घोल में डुबोकर रखें। एक घंटे बाद निकालकर छायादार जगह पर सुखा लें। इससे बीज स्वस्थ रहेंगे और फसल का पहला कदम मजबूत होगा। कृषि वैज्ञानिकों की सलाह है कि हमेशा प्रमाणित बीज ही इस्तेमाल करें, ताकि अच्छी किस्म की फसल मिले।
सफल खेती के छोटे-छोटे टिप्स
गेहूं की बुवाई से पहले खेत को अच्छी तरह जोतें और समतल करें। मिट्टी की जांच करवाकर जरूरी पोषक तत्व डालें। अगर मिट्टी भारी है, तो हल्की जुताई से जल निकासी बेहतर होगी। बुवाई का सही समय अक्टूबर के मध्य से नवंबर के शुरू तक रखें। इन छोटी-छोटी सावधानियों से न केवल फसल सूखने से बचेगी, बल्कि अच्छी उपज लेकर किसान की जेब भी भरेगी। याद रखें, स्वस्थ मिट्टी ही स्वस्थ फसल की कुंजी है।
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