400 रुपये किलो बिकने वाला सफेद जामुन बना किसानों की कमाई का नया जरिया, विदेशों में बंपर डिमांड

खेती में नया मोड़ लाने का वक्त आ गया है, किसान भाइयों! पारंपरिक फसलों को छोड़कर अब फलों की बागवानी की ओर रुख करने का मौका है। ऐसा ही एक फल है सफेद जामुन, जिसे व्हाइट जावा प्लम भी कहते हैं। यह फल न सिर्फ़ अपने खट्टे-मीठे स्वाद के लिए मशहूर है, बल्कि बाज़ार में इसकी कीमत 400 से 500 रुपये प्रति किलो तक पहुँच रही है। ओडिशा से लेकर महाराष्ट्र और बिहार तक, इसकी माँग देश-विदेश में बढ़ रही है। यह फल न सिर्फ़ सेहत के लिए वरदान है, बल्कि किसानों की जेब भी भर रहा है।

सफेद जामुन की अनोखी खासियत

सफेद जामुन, जिसे कुछ लोग वैक्स जंबू या रोज़ एप्पल भी कहते हैं, बैंगनी जामुन का एक दुर्लभ और खास प्रकार है। इसका स्वाद और आकार बैंगनी जामुन जैसा ही है, लेकिन इसका रंग हल्का हरा या सफेद होता है, जो इसे बाज़ार में और आकर्षक बनाता है। पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. महेश गायकवाड़ बताते हैं कि सफेद जामुन में औषधीय गुण बैंगनी जामुन से भी ज़्यादा हैं, खासकर मधुमेह रोगियों के लिए।

यह फल विटामिन सी, फाइबर, और एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर है। ओडिशा में इसकी खेती लंबे समय से होती रही है, लेकिन अब महाराष्ट्र, गुजरात, और बिहार के किसान भी इसे अपनाकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। विदेशों में भी इसकी भारी डिमांड है, जिससे किसानों को अच्छी कमाई हो रही है।

खेती का आसान और किफायती तरीका

सफेद जामुन की खेती हर किसान के लिए आसान और किफायती है। यह फल उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में खूब फलता-फूलता है। गर्म और आर्द्र मौसम इसके लिए सबसे सही है। दोमट या बलुई मिट्टी, जिसमें जल निकासी अच्छी हो और pH 6.0 से 7.5 के बीच हो, इसकी खेती के लिए आदर्श है। खास बात यह है कि सफेद जामुन के पेड़ को ज़्यादा पानी की ज़रूरत नहीं पड़ती। एक बार पौधा जड़ पकड़ ले, तो कम पानी में भी अच्छी पैदावार देता है। पौधों को 6×6 मीटर की दूरी पर लगाना चाहिए, ताकि हर पेड़ को बढ़ने के लिए काफी जगह मिले।

मानसून का मौसम, खासकर जून-जुलाई, रोपण के लिए सबसे अच्छा समय है। पौधे बीज या ग्राफ्टिंग से तैयार किए जा सकते हैं, और नर्सरी में 1-2 साल तक रखने के बाद इन्हें खेत में लगाया जाता है। जैविक खाद और कम कीटनाशकों का इस्तेमाल करें, ताकि लागत कम रहे और फल की गुणवत्ता बनी रहे।

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कम मेहनत में मोटा मुनाफा

सफेद जामुन की खेती किसानों के लिए किसी खजाने से कम नहीं। महाराष्ट्र के पुणे जिले के किसान भरत लालगे ने 2019 में ओडिशा से 300 पौधे लाकर एक एकड़ में लगाए थे। तीन साल बाद उनके पेड़ों ने फल देना शुरू किया, और अब वह 400 से 500 रुपये प्रति किलो की दर से फल बेच रहे हैं। एक एकड़ से उन्हें सालाना 5 लाख रुपये तक की कमाई हो रही है।

बिहार के मुजफ्फरपुर में किसान रामकिशोर सिंह ने भी थाई सफेद जामुन की खेती शुरू की और अब वह बाज़ार में अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। एक पेड़ 3-4 साल बाद 2-3 क्विंटल फल दे सकता है, जिससे प्रति पेड़ 20,000 से 30,000 रुपये की कमाई हो सकती है। यह फल मार्च-अप्रैल में फूल देता है और मई-जुलाई में फल तैयार हो जाते हैं। कम रखरखाव और कम लागत के कारण यह खेती छोटे और बड़े दोनों तरह के किसानों के लिए फायदेमंद है।

सेहत का खजाना, मधुमेह का इलाज

सफेद जामुन न सिर्फ़ स्वाद में लाजवाब है, बल्कि सेहत के लिए भी अमृत है। इसमें विटामिन सी, विटामिन ए, और फाइबर की अच्छी मात्रा होती है, जो पाचन को दुरुस्त रखता है और इम्यून सिस्टम को मज़बूत करता है। यह फल मधुमेह रोगियों के लिए खासतौर पर फायदेमंद है, क्योंकि यह ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करता है।

गर्मियों में इसके सेवन से शरीर हाइड्रेट रहता है और हीट स्ट्रोक का खतरा कम होता है। आयुर्वेद में इसे पेट की समस्याओं, जैसे कब्ज और गैस, के लिए भी उपयोगी माना जाता है। बिहार के सीतामढ़ी में आयुर्वेदिक चिकित्सक के बेटे आकिब जावेद अपने पिता के लगाए सफेद जामुन के पेड़ों की देखभाल कर रहे हैं और इसे औषधीय फल के रूप में बढ़ावा दे रहे हैं।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं krishitak.com पर लेखक हूं, जहां मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाओं पर केंद्रित आर्टिकल लिखता हूं। अपनी रुचि और विशेषज्ञता के साथ, मैं पाठकों को लेटेस्ट और उपयोगी जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता हूं।

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